जन्माष्टमी

द्वापर युग में श्री कृष्ण ने लिया मनुज अवतार भुमि भार उतारा, किया दुष्टो का संहार भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी को, जन्माष्टमी का त्यौहार होता है, इसी दिन श्री कृष्ण ने कंश केबढते अत्याचारों को रोकने के लिए अवतार लिया, अपने माता पिता को कंश के कारागार से मुक्त करवाया, मामा कंश का वध करके नाना अग्रसेन का राज्याभिषेक किया इस खुशी में हमगाते है।

नन्द घर आनन्द भयो, जय कन्हैया लाल की,

जन्माषट्मी के दिन रात को सवा बारह बजे रामजी मन्दिर में आरती होती है, वहाँ पर हम पंजेरी व मक्खन का प्रसाद चढाते है, दर्शन करते है, मन्दिर से घर आकर घर में भगवान की आरती करते है,भगवान को नहला धुलाकर नवीन वस्त्र पहनाते है।

उस दिन सभी जन्माष्टमी का व्रत करते है। फलिहार करते है, खाना नहीं बनता है। पंजीरी बनाने की विधि रामनवमी चेत्रमास में लिखी है।

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