शालिनी गुप्ता ने प्रोग्रामर के एक नये जॉब के लिए प्रमुख कंप्यूटर सिस्टम्स कंपनी में अर्जी दी। उनकी सीवी एकदम परफेक्ट थी- हर चीज अपनी जगह पर और ई-मेल की भी कोई गलती नहीं थी। एक अन्य ब्लू चिप फर्म का उनके पास अनुभव भी था, ग्रेड भी अच्छे थे और हुनर व कौशल भी था।
लेकिन जब शालिनी की अर्जी संभावित एम्पलायर के पास पहुंची, तो उसने उनका नाम गूगल पर रन किया। फौरन ही कुछ ऐसी जानकारी सामने आयी, जिसका शालिनी ने अपनी सीवी में जिक्र ही नहीं किया था। वे दो टॉपलैस मॉडलिंग प्रतियोगिताओं में प्रतियोगी थीं, यह तमाम जानकारी संबंधित एम्पलायर के लिए काम कर रहे रिक्रूटमेंट सलाहकार ने दी।
सलाहकार के अनुसार, ब्यूटी कॉम्पीटीशन में हिस्सा लेना कोई अपराध नहीं है, लेकिन फर्म के पास दर्जनों सीवी थीं, जो 39 अभ्यर्थियों की तरफ से आयी थीं, जो शालिनी के बराबर ही योग्य थे। शालिनी की अर्जी को इसलिए ठुकरा दिया गया, क्योंकि गूगल सर्च ने एक जटिल समस्या पेश की थी, जिसका समाधान करने के लिए फर्म के पास समय नहीं था।
लिहाजा, शालिनी गुप्ता के लिए गेम ओवर हो गया। उनकी अच्छे जॉब के लिए मासूम उम्मीदें कूड़ेदान में फेंक दी गयीं और उनको यह भी नहीं मालूम हुआ कि ऐसा क्यों हुआ?
इस दुःखद अनुभव से गुजरने वाली शालिनी गुप्ता (असली नाम नहीं) अकेली नहीं हैं। इस क्षेत्र के विशेषज्ञों का ऐसा कहना है। उनके अनुसार अब ज्यादातर अभ्यर्थियों का मूल्यांकन, वह भी उनकी जानकारी के बगैर, इस आधार पर होता है कि इंटरनेट सर्च इंजन उनके बारे में क्या कहते हैं।
हाल के वर्षों तक शर्मिंदा करने वाले गलत फैसले निजी मामला होते थे। उन्हें आसानी से छिपाया व भुलाया जा सकता था। लेकिन साइबर युग में जो लोग नेट पर सोशलाइज करते हैं, वह एक लम्हें की बेवकूफी के नतीजे को मिटा नहीं सकते।
रिक्रूटमेंट विशेषज्ञ कहते हैं कि पर्सनल एक्जीक्यूटिव कुछ तथ्यों की पुष्टि करने के लिए सबसे पहले नेट का इस्तेमाल करते हैं। मसलन, अगर किसी ने अपनी सीवी में दावा किया है कि वह स्कूल में हेड ब्वॉय था, तो इसकी पुष्टि नेट के द्वारा कर ली जाती है।
फिर अन्य जानकारियां भी सामने आ जाती हैं, मसलन उनका ब्लॉग या आपको कोई रिपोर्ट मिल जाये कि अभ्यर्थी नशे की हालत में ड्राइव करते हुए पकड़ा गया था। जाहिर है, यह जानकारी उसकी सीवी में नहीं होती और संभवतः उसके लाइसेंस पर भी नहीं होती। किसी महिला अभ्यर्थी की यह तस्वीर भी सामने आ सकती है कि वह किसी पार्टी में अपने वक्ष प्रदर्शित कर रही थी।
इसमें शक नहीं है कि गूगल के जरिये किसी भी व्यक्ति की सीवी चैक की जा सकती है। लेकिन अक्सर आप यह तलाशना चाहेंगे कि वह सफल क्यों हैं, इसलिए उनकी सीवी को खोजें और यह जानने की कोशिश करेंगे कि सांस्कृतिक दृष्टि से वह आपके संगठन में सही बैठेंगे या नहीं।
वह अतिरिक्त, अक्सर मासूम, जानकारी महत्वपूर्ण है या नहीं, यह उस व्यक्ति पर निर्भर करता है, जो गूगल सर्च कर रहा है और इस संदर्भ में कोई अपील नहीं है।
आप किसी राजनीति पार्टी से संबंधित हैं, इसकी जानकारी निश्र्चित रूप से हासिल हो जायेगी, साथ ही आपकी रुचियों की भी। ऐसा हो सकता है कि कोई नाइट राइडर्स का समर्थक हो और जो रिक्रूट कर रहा है, वह मुंबई इंडियंस का फैन हो और इस बात को शिद्दत से महसूस करता हो, तो यह उसके लिए नकारात्मक पहलू होगा।
इस लिहाजा, कुल मिलाकर निष्कर्ष यह निकलता है कि साइबर युग में किसी भी व्यक्तिगत बात, पसंद, हॉबी, विचारधारा आदि को छुपाना कठिन है। अगर आप कारपोरेट जगत में आगे बढ़ना चाहते हैं तो कोई भी काम ऐसा न करें कि वह आपके खिलाफ जाये। ध्यान रहे कि आपका मूल्यांकन, सर्च इंजन जो आपके बारे में कहते हैं, उसके अनुसार किया जाता है और साइबर स्पेस में आप कुछ भी छुपा नहीं सकते हैं।
– नरेन्द्र कुमार
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