बच्चे झूठ बोलते हैं कहीं इसमें आपका योगदान भी तो नहीं

Reason behind Children Telling Lieजॉनी, जॉनी

यस पापा

ईटिंग शुगर

नो पापा

टेलिंग लाइस

नो पापा

ओपन योर माऊथ

हा-हा-हा।

यह नर्सरी राइम है, जो शायद हर स्कूल में बच्चों को सिखायी जाती है। यह आसान राइम है, बच्चे जल्दी सीख जाते हैं। यही वजह है कि इसे सीखने पर जोर दिया जाता है। लेकिन मनोविज्ञान की दृष्टि से इस राइम को देखने पर कुछेक बातें एकदम स्पष्ट हो जाती हैं-

 

  • बच्चे को जिस उम्र में यह राइम सिखायी जाती है, वह उसी उम्र में झूठ बोलना सीखता है।
  • माता-पिता उसकी मनःस्थिति को समझने और उसे सही दिशा देने की बजाय अक्सर डांट या मार से उसे सुधारने का प्रयास करते हैं, जो कि गलत है।
  • अगर बच्चा झूठ बोल रहा है, तो इसके लिए जिम्मेदार ज्यादा मामलों में मां-बाप ही होते हैं।

 

बहरहाल, अगर आपका बच्चा झूठ बोलता है, तो उससे फौरन या पहली फुर्सत में सच उगलवाने का प्रयास न करें, बल्कि सबसे पहले यह जानने की कोशिश करें कि वह झूठ बोल क्यों रहा है? जब बच्चा तीन या चार साल का हो जाता है, तो वह अपने आप से मालूम करता है कि कम डांट/मार और अधिक प्रशंसा हासिल करने के लिए वह क्या करे? इसके लिए आसान रास्ता झूठ बोलने का होता है।

इसी सोच के चलते ऐसे मिथ जन्म लेते हैं- मम्मी, वॉलपेपर पर लकीरें मैंने नहीं खींचीं। (तीन माह की) बहन पालने में से निकली और उसने वॉलपेपर को गंदा किया है या जिस बच्चे के चेहरे पर चॉकलेट चिपकी हो तो वह इस बात पर जोर देता है कि स्वीट्स के जार के पास तक वह नहीं गया।

इस किस्म के झूठों के लिए गलती आपकी भी हो सकती है। शायद आप अपने बच्चे से बहुत सख्ती से पेश आते हैं। शायद आपका ध्यान सिर्फ उसकी गलतियों पर ही रहता है। शायद आप उसकी छोटी-छोटी उपलब्धियों को नजर-अंदाज कर देते हैं या शायद यह भी हो सकता है कि बच्चा अपने बड़ों को किसी टूटे हुए बर्तन पर जबरदस्त झगड़ा करते हुए देखता है और फिर उसे डर लगता है कि अगर उसने सच बोला, तो उतना ही जबरदस्त गुस्सा उसे बर्दाश्त करना पड़ेगा।

कारण चाहे जो हो, बच्चे का झूठ बोलना एक खतरनाक संकेत है। सबसे पहले तो उसे झूठ बोलने की आदत पड़ जायेगी, जो उसके व्यक्तित्व विकास और भावी सामाजिक रिश्तों के लिए ठीक नहीं है। दूसरा यह कि आप में और बच्चे के बीच एक-दूसरे पर विश्र्वास करने की कमी रहेगी, जिससे वह गलत संगत में पड़ सकता है या उसमें बुरी आदतें आ सकती हैं फिर आपके लिए उसे सुधारना कठिन हो जायेगा।

इसलिए यह जानना जरूरी हो जाता है कि बच्चा झूठ क्यों बोल रहा है? इस सवाल का जवाब तलाशते वक्त यह भी जानने की कोशिश करें या समीक्षा करें कि आपके परिवार में तो सब कुछ ठीक-ठाक है? यह बताने की शायद जरूरत नहीं कि पारिवारिक माहौल का असर बच्चे पर पड़ता है, जैसा कि ऊपर कहा गया कि आपके गुस्से से बचने के लिए भी बच्चा झूठ बोल सकता है।

साथ ही आप अपने स्वयं के व्यवहार पर भी गौर करें। क्या आप स्वयं तो बच्चे से झूठ नहीं बुलवाते? दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी, आप उससे मिलना नहीं चाहते, आपने अपने बच्चे से कहला दिया कि जाओ अंकल से कह दो कि पापा घर पर नहीं हैं या फिर पापा के पीछे कोई घर पर मिलने आया और मम्मी ने कहा कि एक चॉकलेट दूंगी, अपने पापा को इनके आने का मत बताना। इस किस्म के झूठ बुलवाना ठीक नहीं। बच्चा आज आपके लिए झूठ बोल रहा है, कल अपने लिए भी बोलेगा।

बच्चे को अच्छा व सच्चा नागारिक बनाने के लिए स्थिति को अपने नियंत्रण में रखें। उस स्थिति को नजरअंदाज न करें, जब बच्चा पहली बार झूठ बोले। अत्याधिक प्रतिक्रिया की आवश्यकता नहीं है, लेकिन ऐसे भी संकेत न दें कि जैसे आपने कुछ देखा ही नहीं है। उन्हें झूठ बोलने के हानिकारक नतीजों को समझाना आपका दायित्व है। आपका फर्ज यह भी है कि बच्चों को समझायें कि हर समय सच बोलना क्यों महत्वपूर्ण है। उसे झूठ बोलने से उत्पन्न खराब नतीजों से जुड़े कुछ उदाहरण सुनायें या इस नैतिक मूल्य से संबंधित कोई कथा सुनायें। अगर शुरू में ही बच्चा यह नहीं सीखेगा कि झूठ बोलना गलत है, तो यह समस्या समय के साथ विकराल रूप धारण करती चली जाएगी।

बच्चे में सच बोलने के लिए उत्साह पैदा करें। अगर बच्चे ने किसी गलती या भूल को स्वयं ही स्वीकार कर लिया है तो उसे सजा देने की बजाय उसकी तारीफ करें। सबसे अच्छा तरीका है कि उसका उत्साह बढ़ायें, तुम अच्छे बच्चे हो। जो तुमने किया उसे कुबूल करने के कारण तुम बहादुर भी हो। इसका अर्थ यह है कि तुम सच्चे हो और भविष्य में लोगों को धोखा नहीं दोगे।

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