आलू का हलवा

सामग्री – उबले हुए आलू एक किलो, 50 ग्राम घी, 50 ग्राम मावा, 75 ग्राम चीनी। विधि – घी गर्म होने पर, उबले हुए आलुओं को मसलकर घी में डालकर अच्छी तरह चलाएँ। गैस की आँच धीमी करके बराबर चलाते हुए भूरा होने तक भूनें और चीनी डाल दें। थोड़ा-सा पानी का छींटा भी दें। […]

साबूदाने के पकौड़े

सामग्री – साबूदाना 1 कटोरी, 1 कटोरी सिंघाड़े का आटा, बारीक कटा हरा धनिया, हरी मिर्च, सौंफ 1 चम्मच, नमक व लाल मिर्च स्वादानुसार। विधि – साबूदाने को पानी में भिगोकर 4-5 घंटों के लिए रखें। अब इसमें सिंघाड़े का आटा, नमक, मिर्च, सौंफ, बारीक कटा हरा धनिया, मिर्च डालें व पानी डाल कर पकौड़े […]

नमकीन दालमोठ

आलू के लच्छे को भूनकर रख लें। थोड़े से काजू के छोटे टुकड़ों को भून लें अथवा मूंगफली के दानों को भून लें। सब सामग्री एक साथ मिलाएँ और कुछ किशमिश डालें। इसमें फलाहारी नमक (सेंधा) मिलाकर खाएँ, टेस्टी लगेगा।

सिंघाड़े का हलवा

सिंघाड़े के आटे में घी डालकर अच्छी तरह भूरा होने तक भूनें। अब चीनी डालें व पानी डालकर, आँच धीमी करके बराबर चलाती जाएँ, ताकि गांठें न पड़ने पाएँ। एक थाली में घी लगा कर चिकना कर लें। हलवा जब गाढ़ा हो जाए और पानी न रहे, तब इसे थाली में जमा दें। ठंडा होने […]

टिप्पणी

कितने प्यारे जूते हैं देखो किसको पड़ते हैं शैम्पो कितने बदले हैं बाल अभी तक झड़ते हैं बेगम को समझाते हैं आप भी कितने भोले हैं मैच वो देखने जाए क्यों जिसके ग्यारह बच्चे हैं जब से बजट ये आया है बटवे सूखे-सूखे हैं मोहम्मद मुमताज़ राशिद की ऐसी ग़ज़लें पढ़ते-पढ़ते हम लोटपोट हो जाते […]

ज्ञान यज्ञ में चाहिए समर्पण की आहुति

भारत सनातनी संस्कृति का अनुपालक और आस्थावादी राष्ट्र है। यहां भूमि, जल, नदियां, वृक्ष, आकाश तथा सूर्य और चंद्र पूजे जाते हैं। यहां आस्था की पराकाष्ठा मूर्तिपूजा में देखने को मिलती है। वैसे तो सनातनी संस्कृति में 36 करोड़ देवता हैं, जिन्हें नित्य पूजा जाता है, बावजूद इसके भी यहां दो प्रमुख अवतार हुए हैं, […]

प्रणाम शहीदों को इन्कलाब जिन्दाबाद के मायने

‘मार्डन रिव्यू’ के सम्पादक श्री रामानन्द चट्टोपाध्याय ने ‘इन्कलाब-जिन्दाबाद’ के शीर्षक से एक टिप्पणी लिखी। इसमें इस नारे को अराजकता और खून-खराबे का प्रतीक बताया और निरर्थक भी। भगत सिंह ने 23 दिसम्बर, 1929 को श्री रामानन्दजी को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने ‘इन्कलाब जिन्दाबाद’ के मायने स्पष्ट किये। भगतसिंह ने लिखा, ‘‘आपने अपने सम्मानित […]

काहे को ब्याही विदेश

एक है जनार्दन मिश्र। शुद्ध शाकाहारी, बिना सुबह नहाए अन्न-जल तक ग्रहण नहीं करते। इनके बाबा (दादा) बनारस में पंडिताई करते थे। पिता को यह पसंद नहीं था, मगर मजबूरीवश उन्हें रामायण बांचनी पड़ती थी। उन्होंने ठान लिया था कि जनार्दन पंडिताई नहीं करेगा। जनार्दन को उन्होंने खूब पढ़ाया-लिखाया एवं डॉक्टर बनाया। उन्हें क्या पता […]

नीलकंठ महादेव मंदिर

भारत के पावन तीर्थों की श्रृंखला में हरिद्वार का अपना एक विशिष्ट स्थान है। पुण्य-सलिला भागीरथी अपने पूर्ण रूप में यहीं दृष्टिगोचर होती है। ऋषिकेश एवं लक्ष्मण झूला के मध्य गंगाजी के पूर्वी तट पर स्वर्गाश्रम है। इसी स्वर्गाश्रम के चंद्रकूट पर्वत के अग्नि पार्श्‍व में एक भव्य प्राचीन, विशाल शिव-स्थल है, जिसे नीलकंठ कहा […]

गुस्से का दफ्तरी समाजशास्त्र

सत्तर के दशक में सलीम-जावेद ने अमिताभ बच्चन को एंग्री यंग मैन के रूप में फिल्मी पर्दे पर पेश किया और उनका जादू सिर चढ़कर बोला। इस सफलता के पीछे एक मनोवैज्ञानिक कारण यह था कि युवा मर्द आाामक ही अच्छा लगता है। दिलचस्प बात यह है कि एंग्री यंग मैन का बिल्ला वास्तव में […]

1 2 3 24