जाग्य म्हारा भाग्य प्रेम गुरु मिल्या घर बैटा ही रे आज निद उग्यो भलाई रे करोड करोड बंदन गरु दाता के चरण के माई रे गरु सा री महीमा अधिक गौविंद से वर्णीन जाई रे जीबा के कारण तारण दाता देही बनाई रे आप ही नाव आप के वटीया पार लगाई रे जीवा के कारण […]
मुर्खा फिरे रे गीवार मुर्खा फिरे रे गिवार कायावनी है हरि रे कारणे आरठ बैहे रे उताबलो ज्हाँरी उल्टी हीमाल एक भरे दुजी खालडी ज्यु जावे रे संसार चार चारे चोरी करे बडीयाबाडी के नाय फल नहीं तोड़े रामा फुलड़ा बेलड़ी या कुमलाय सामाली हाटीया में बैठी यो बानीयों निबजे हिरा मोती लाल बैल्या देख […]
टेर नाथ में थारो जी थारो नाथ में थारो जी थारो भुलो भुरो कुटील और कामी जो कुछ हू सो थारो भूरो भूरो मैं बहुत भूरो हूँ आकीर टावर थारो भूरों कहाकर मह रह जो सु नाम बिगड़सी थारो बिगड़ीयो तो चारों बिगड़ीयो थे ही माने सुधारो। सुधरीयो तो थारो सुधरीयो थासु नहीं में न्यारों […]
रिम झिम बाजे गुगरा धाडो रा बाजे पोट रे लिले री पोटा सू धरती धुजे रे बाल पना में मिल्यापीरजी करीया बड़ा हशियार रे धाल पना में मिल्या सू धो को बागे कह गया मन री बात रे बुढापा में भरे मिल्या माथे धरीयो हाथरे हाथ धरो तो ऐसा धरजो, मति छोडो महाराज रे नौपत […]
काछवो काछवी रहता समंद में दोनों हरि का दास दर्शन करवा निसरी यारे धार लियो विसवास संता ने आवत जानीया रे पकड झोली में दालीया रे तडप मत का छब कुडीरे सावरारी रिवा रूडी रे भक्ति रा भैद भारी रे लके कोई संत मुरारी रे संत जन कृपा करीरे भक्ता ने लिया उठाय डेरा पर […]
नलरे सरीसा राजवी दयंवती जैसी रानी रे बिको पड़ीया बन बन फिरे बीना अन्न जल पानी रे टेर सुख दुःख मन मती लावना सुख दुःख साथे रे घडीया विधनारा लिखीयोड़ा नाटले हरिचंद जैसा रे राजवी तारा जैसी रानी रे भगी घर बासो लियो भरीयो नीच घर पानी रे सीता रे जैसी भार्या रघुवर जैसा स्वामी […]
पाण्डवा रा कुल माही जेठल राजा गढ़ हस्तिना पूर राज करे रे आप आपरी छोकीया जाओ अके बड़ वाली छोड़ी भीम फिरे रे टेर सुन लीजो सेल सक्त वाली बाता सती दोपता अवतार लियो रे पाँच पाण्डवा ने राणी लेने तीरे रे पवन देवता पवन बुआरे इन्द्र राजा छिटकाव करे जाजमा विचीजे प्रदम सिंहासन अधर […]