यूँ तो फेरों पर कन्या होती ही है जो अग्नि के फेरे लेती है। परंतु मैं जिस कन्या का जिक्र कर रही हूँ वह फेरे लेने वाली कन्या से भिन्न है। अभी हाल ही में मेरे एक परिचित की शादी में यह कन्या मुझे दिख गई। वह मंडप में बैठी थी। सजी-संवरी, माथे पर चंदन […]
अंततः उत्तर प्रदेश के एक मंत्री जमुना निषाद ने इस्तीफा दे ही दिया और उनका इस्तीफा मुख्यमंत्री मायावती ने स्वीकार भी कर लिया है। मंत्री पर आरोप लगा था कि उन्होंने अपने साथियों के साथ एक पुलिस थाने पर हमला किया था और उनकी पिस्तौल से चली गोली से एक पलिसकर्मी की मौत हो गयी […]
“पर्युषण महापर्व’ को दिगम्बर मतावलंबी “दसलक्षण-पर्व’ के नाम से महा-महोत्सव के रूप में मनाते हैं। पर्युषण-पर्व का अर्थ है- हर तरह से अपने कषाय और कर्मों को ऊष्ण करना, तप्त करना, भस्म करना। यह पर्व विशुद्घ आध्यात्मिक पर्व है, जिसमें कषायों और कर्मों को नाश करने की विधिवत् साधना की जाती है। इसके 10 आयाम […]
आज फिर सुबह से घर में महाभारत छिड़ गया था। दादी ने ऑफिस जाते हुए टोक जो दिया था, मम्मी-पापा को। कई दिनों से दादी के चश्मे की डंडी टूट गयी थी तथा घुटनों के दर्द की दवाई भी खत्म हो रही थी। बस इतनी-सी बात थी, लेकिन मम्मी को तो बहाना चाहिए दादी से […]
दो सदी पूर्व हिमाचल प्रदेश के इस गॉंव में मंदिर का निर्माण कर मॉं की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा की गयी थी। यह वही विन्ध्यवासिनी माता का मंदिर है, जिसे स्थानीय लोग बंदला माता कहते हैं। आगे चलकर यह गॉंव बंदला के नाम से ही प्रसिद्घ हो गया। इस मंदिर के चारों ओर चाय के बागान […]
रंजिश ही सही दिल को दुःखाने के लिए आ आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ कुछ तो मेरे पिन्दारे मुहब्बत का भरम रख तू भी कभी मुझ को मनाने के लिए आ किस-किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम तू मुझ से खफ़ा है तो जमाने के लिए आ किसी भी […]
छेमाई का इम्तियान था, मैंने पर्चा एक बनाया जनरल नॉलेज के हिसाब से, लिक को उसकू खूब सजाया इम्तियान का दिन आया तो, सोब पोट्टों कू पर्चे बांटऊँ अच्छा-अच्छा लिकना बोल को, बदमाशोंऊँ कू कित्ता डांटऊँ घर में लाको इम्तियान के पर्चों से जब मैं टकराया पड़ पड़ को पोट्टों के जवाबॉं, अब्बा मेरा सिर […]
भेद-अभेद, आत्मा-अनात्मा आदि बातों में समन्वय स्थापित करते हुए, गोस्वामी तुलसीदास ने भव-सागर तरने के लिए केवल “राम-नाम’ को ही परम साधन माना है। गोस्वामी तुलसीदास जी के मतानुसार प्राणी को अपने सहज-सरल, स्वाभाविक रूप, आकार, ज्ञान अथवा उसके प्रति लगाव का आभास तभी होता है, जब अनात्म और आत्मा का पूर्ण मिलन हो जाता […]
न जाने क्यों, आज उसके पिताजी ने उससे कहा कि निशा को नौकरी से निकाल दें। उसने कारण जानने का प्रयास भी किया, लेकिन वे कुछ जवाब दिये बिना ही कंपनी चले गये और वह भी अपने कोचिंग संस्थान में आकर अपने कक्ष में बैठ गया। उसने इंटरकॉम पर निशा के नंबर डायल किये और […]
“रामचरित मानस’ के माध्यम से अजर-अमर हो चुके गोस्वामी तुलसीदास पर लिखते समय यह तय करना कठिन होता है कि उनके व्यक्तित्व के किस पक्ष पर लिखा जाए और किसे विस्मृत किया जाए। सोलहवीं शताब्दी के रचनाकारों में तुलसी के समकालीन भक्तिरस में डूबे अनेक कवि और महाकवि थे। सूरदास थे, मीरा थीं। इन सबका […]