गांधीजी और चरखा

गांधी जी ने लिखा है कि प्रत्येक व्यक्ति के लिये खादी पहनना सर्वोच्च अनिवार्यता है। गांधी जी का प्रत्येक भारतीय से आग्रह था कि वह रोज कताई करें और घर में कताई कर बुने वस्त्र ही पहनें। उनका यह आग्रह अनुचित या अत्युत्साही राष्टभक्ति से नहीं उपजा था बल्कि भारत की नैतिक और आर्थिक स्थितियों […]

उपवास से नहीं होता कैलोरी ह्रास

उपवास से नहीं होता कैलोरी ह्रास

हम में से ज्यादातर लोग फास्ट या व्रत रखते हैं, जो धार्मिक कारणों के अलावा संभावित स्वास्थ्य लाभ या वजन कम करने के उद्देश्य से भी किया जाता है। लेकिन, फास्ंिटग का फायदा उसी समय होता है जब यह मेडिकल उद्देश्यों से बतायी गयी हो, वरना अन्य मामलों में इससे नुकसान हो सकता है। फैट […]

गुड़ आदिरसम

सामग्री – 1/2 किलो चावल का आटा 1 छोटा चम्मच इलायची पाउडर 1 छोटा चम्मच तिल 300 ग्राम गु़ड तेल (तलने के लिए) 1 बड़ा चम्मच घी विधि: गुड़ को कूट कर या कद्दूकस कर, एक कड़ाही में पानी के साथ इसके पिघलने तक गर्म करें। इस घोल को पतले कपड़े से छानें। घोल को […]

उत्तराषाढ़ा नक्षत्र

स्वभाव एवं सामान्य घटना :- जातक संस्कारी, मृदुभाषी, साफ दिल तथा मासूम चेहरे वाला प्रतीत होता है। आडम्बर रहित साधारण जन्दगी जीता है। धार्मिक स्वभाव तथा सबका सम्मान करने वाला होता है। कई बार मिलने के बाद ही इन लोगों के बारे में कोई राय बन पाती है। अपना कार्य यह ईमानदारी से करते हैं। […]

भानुमती का पिटारा

भानुमती का पिटारा

मूली के सेवन से दांत मजबूत होते हैं तथा हड्डियों को शक्ति मिलती है। मूली के पत्तों के चार तोला रस में तीन मासा अजमोद का चूर्ण और चार रत्ती जोखार मिलाकर दिन में दो बार एक सप्ताह तक लेने पर गुर्दे की पथरी काफी हद तक गल जाती है। मूली का ताजा रस पीने […]

यौन-संबंधों में विविधता का नशा

यौन-संबंधों में विविधता का नशा

कुछ लोग अपने घरेलू सेक्स जीवन या फिर यू कहें कि एक ही साथी से सहवास करने से संतुष्ट नहीं होते और यौन-संबंधों में विविधता की चाह के चलते, वे विवाहेतर संबंध कायम करते हैं। अपने इन नाजायज संबंधों की सफाई में कहने के लिए भी उनके पास कुछ नहीं होता अर्थात्, इसके पीछे कोई […]

धोबी के पूर्व-जन्म का वृत्तान्त

मिथिला नगरी में महाराज जनक राज्य करते थे। एक बार जब वे यज्ञ के लिए पृथ्वी जोत रहे थे तब चौड़े मुँहवाली सीता (फाल के धॅंसने से बनी हुई गहरी रेखा) के द्वारा एक कुमारी कन्या का प्रादुर्भाव हुआ, जो रति से भी बढ़कर सुन्दर थी। इससे राजा को बड़ी प्रसन्नता हुई और उन्होंने उस […]

परन्तु कहॉं प्राप्त कर लेता है? – ध्यानावस्था के अन्दर जाकर।

आज दुनिया में विज्ञान की बहुत चर्चा है। अमेरिका में विज्ञान बहुत आगे बढ़ा है। अमेरिका के अंतरिक्ष-यात्री दो बार चांद तक हो आये, तीसरी बार नहीं पहुँच सके तो अभिमान के कारण। मैं जब अमेरिका में था तो डलास, शिकागो और कई दूसरी यूनिवर्सिटियों में मैंने विज्ञान के विद्यार्थियों और विज्ञानवेत्ताओं के सामने भाषण […]

अष्टावा गीता

आत्माऽज्ञानादहो प्रीतिर्विषयभ्रमगोचरे। शुक्तेरज्ञानतो लोभो यथा रजतविभ्रमे।।2।। जैसे सीप दृष्टि भ्रम से – चांदी जैसी लगती है। आत्मा के अज्ञान से – विषयों में प्रीति होती है।। आश्चर्य कि जैसे सीपी में चांदी की भ्रान्ति में लोभ पैदा होता है, वैसे ही आत्मा के अज्ञान से विषय-भ्रम के पैदा होने पर राग पैदा होता है। रस्सी […]

अहिंसा और स्वर्ग

जे. कृष्णमूर्ति के मुताबिक “”जब तक किसी भी पुरुष में “मैं’ का अस्तित्व है- अत्यन्त स्थूल रूप में या अत्यंत सूक्ष्म रूप में- तब तक हिंसा मौजूद रहेगी।” महान दार्शनिक जॉर्ज बर्नाड शॉ का कहना था – “”जब तक इन्सान के मन में दूसरे जीवों के प्रति मित्रता का भाव पैदा नहीं होता, व्यवहार में […]