ध्यान साधना द्वारा परिवर्तन मस्तिष्क का

ध्यान साधना द्वारा परिवर्तन मस्तिष्क का

एक भाई ने कहा-ध्यान करने बैठते हैं तो विचार आने लग जाते हैं। मैंने कहा-विचार हमारे विकास के द्योतक हैं। कोई बुरी बात नहीं है विचार का आना। जिन प्राणियों में विचार करने की क्षमता नहीं होती उनमें विचार नहीं आता। कीड़े-मकोड़े विचार नहीं कर सकते। गाय, भैंस, ऊँट आदि पशु विचार नहीं कर सकते […]

यातायात बाधक रोड-शो पर प्रतिबंध क्यों न लगे?

यातायात बाधक रोड-शो पर प्रतिबंध क्यों न लगे?

अच्छा हुआ आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने राजनीतिक पार्टियों के रोड-शो पर प्रतिबंध लगाने का हुक्म सरकार को दे दिया। यह भी अच्छा संकेत रहा कि प्रतिवादियों (चीफ़ सेोटरी, गृह सचिव तथा पुलिस महानिदेशक संयुक्त रूप से) ने रोड-शो पर प्रतिबंध के आदेश का विरोध नहीं किया। लेकिन विचारणीय मुद्दा सिर्फ रोड-शो ही नहीं है जिसकी […]

यही लक्ष्य इंसान का

आंधी को जिसने थप्पड़ मारा बुझते दीपक को दिया सहारा उठो समय के पारखी यह परिचय बलवान का यही लक्ष्य इंसान का   पीछे हटना जिसे न भाया उसे विजय ने गले लगाया बढ़े चलो रुको नहीं साकार स्वप्न अरमान का यही लक्ष्य इंसान का   चाहे मस्तक कट गिर जाए आन-बान पर आँच न […]

तेवरी

नेताओं की चाल सियासी और नहीं चलने देंगे छल-फ़रेब की बारहमासी और नहीं चलने देंगे।   पहने हुए भक्त का चोला बगुले बैठे हैं साहिल पर इनकी यारों जीभ टका-सी और नहीं चलने देंगे।   देना है तो तू दे हमको भाव कोई ता़जा-ता़जा तेरी बातें बासी-बासी और नहीं चलने देंगे।   कल देखे थे […]

रथवान

हम रथवान, ब्याहली रथ में, रोको मत पथ में हमें तुम, रोको मत पथ में।   माना, हम साथी जीवन के, पर तुम तन के हो, हम मन के। हरि समरथ में नहीं, तुम्हारी गति है मन्मथ में। हमें तुम, रोको मत पथ में।   हम हरि की धनि के रथ-वाहक, तुम तस्कर, पर-धन के […]

मुक्तक

अपना दाना सबकी ऩजरों से बचा ले जाएगा, उसको उसकी जीत का, पहला नशा ले जाएगा। पंख ़ज़ख्मी हैं परिन्दे के, म़गर तुम देखना, घोंसले तक उसको, उसका हौसला ले जाएगा।   कहते हैं हमसे संत कि, दौलत असार है, ये एकतरफ़ा आपका, कैसा विचार है। देते नहीं हैं आप तो उपदेश मुफ़्त में बतलाइये […]

मेरे ही ़ज़ख्मों से इक चिं़गारी सुलगाता रहा

वह जिसे ओढ़ता रहा सुनता रहा बिछाता रहा मुझे बस उसी ़ग़जल के शेरों में उलझाता रहा रूई के सुंदर सफ़ेद पर्वतों पर चढ़ाकर मुझको मेरे ख्वाबों को अंदर ही अंदर से जलाता रहा बुझी हुई चिंगारी में ढूँढ कर शोलों का वजूद मेरे ही ़ज़ख्मों से इक चिं़गारी सुगाता रहा मं़िजल की तलाश में […]

जिसे कभी देखा था

मटमैले रूप में, सड़क के किनारे जिसे कभी देखा था सर्द मौसम में जिसका तन आधा ढका था जिसका पेट पीठ से सटा था वह आया था इस शहर में काम की तलाश में उस पर अपने परिवार का बोझ था उसे कोई काम नहीं देता था। उन्हें शक था, कि वो एक चोर है। […]

जीवन में

जीवन में ऐसे अवसर भी आते हैं जब अपने को अकेला और असहाय पाते हैं तब सहायता के लिए चारों ओर देखते हैं लेकिन लोग हमें शंका भरी ऩजरों से देखते हैं इस तरह हताशा के गहरे अंधेरे में खो जाते हैं पर यह अंधेरे अधिक समय तक टिक नहीं पाते उस व़क्त हमें चारों […]

हिन्दुस्तानी

आज हर एक कहता अपने को सच्चा हिन्दुस्तानी क्या कभी इसने जाना है सच्चे हिन्दुस्तानी की क्या है कहानी एक था वो देश पर देता था अपनी जान की कुर्बानी लेकिन अब देश को कर बर्बाद ला रहे हैं उसकी आँखों में पानी   जब कोई देश के लिए शहीद होता तो कहते उसे बड़े […]

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