अतुलित बलधामं नमामि स्वर्णशैलाभदेह नमामि दनुज–बल–कृशानु नमामि, ज्ञानिनामग्रगण्यम् नमामि। सकल गुणनिधानं नमामि वानराणामधीशं नमामि। रघुपति प्रियभत्तं नमामि वातजातं नमामि।। आज का भोगोन्मुख मानव अमर्यादित कामाचार, अभक्ष्य भक्षणादि प्रवृत्तियों में फंसकर किंकर्त्तव्य विमूढ़ हो रहा है। जहां कहीं यत्र-तत्र थोड़ी-बहुत धार्मिकता या आध्यात्मिकता के अंश हैं, तो वहां उनके आचरण में दम्भ ईर्ष्या-द्वेष, पाखण्डादि की दुष्प्रवृत्तियां […]
तेल के आतंक ने दुनिया में खलबली मचा दी है। हर तरफ आग लगी हुई है। सिर्फ हिन्दुस्तान ही नहीं, पूरी दुनिया के लोग तेल में लगी आग से झुलस रहे हैं। यहां तक कि तेल पैदा करने वाले देश भी। सवाल है, क्या यह महामंदी का आसन्न संकेत है? क्या यह एक संगठित आतंक […]
दुर्बुद्धि मनुष्य के पास धन-संग्रह न होने पावे। इससे वह अपने साथियों का हित नहीं करता। जो इस प्रकार अकेला भोग भोगता है, वह निश्र्चय ही चोर है, पाप भोगता है। मोघमन्नं विन्दते अप्रचेताः सत्यं ब्रवीमि वध इत्स तस्य। नार्यमणं पुष्यति नो सखायं केवलाघो भवति केवलादि।। (ऋग्वेद 10/117/6) धन से मन में लोभ, मोह, मद […]
खाली व़क्त में फटी-पुरानी कविताओं की मरम्मत करते हुए कवि क्या सोचता है? यही कि आज कविता की ज़रूरत किसको है। वह कुछ देर अपने बच्चों के लिए पिता की भूमिका निभाते हुए सरल शब्दों की खोज करता है। वह कभी अपने पिता की ऩकल था तो कभी अपने पुरखों की परछाई और कभी अपनी […]
विकास की गति को कुछ शब्दों में बताने के लिए अकसर यह कहा जाता है कि …फिर उसने मुड़कर नहीं देखा, लेकिन कवि एक ऐसा जीव है, जिसका रचनात्मक संसार पीछे मुड़कर देखने से ही तामीर होता है। इसीलिए वह भूत को वर्तमान से जोड़ने का काम करता है। जब वह वर्तमान से भूत की […]
राजा भोज की सभा में एक कारीगर सोने की तीन पुतलियॉं बनाकर लाया। वह चाहता था कि सभा में उन सभी पुतलियों का अलग-अलग एवं उचित मूल्य तय हो। सभी ने उन्हें तोला-जोखा, निरखा-परखा, पर किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि जब सोना सब में बराबर है, तब कीमत में अन्तर क्यों? […]
समय बड़ी तेज़ी से बदल रहा है। बदलना भी चाहिये। ठहराव प्रकृति को बर्दाश्त नहीं। विचार बदल रहे हैं। मान्यतायें बदल रही हैं। रिश्ते-नाते भी बदल रहे हैं। बाप बदल रहे हैं तो बेटे भी बदल रहे हैं। मतलब यह कि दुनिया का नक्शा बड़ी तेज़ी से बदलता जा रहा है। समृद्धि आ रही है […]
बालक-बूढ़े एक स्वभाऊ यह महज कहावत नहीं है बल्कि जीवन की वास्तविकता है। बुढ़ापा वास्तव में जीवन में दोबारा से बचपन का लौटना है। मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक बुढ़ापा सेकेंड चाइल्डहुड स्टेज है। 58-60 साल की उम्र तक बेहद व्यस्त रहने के बाद जब कोई रिटायर होकर घर में रहने लगता है, तो उसे अकेलापन सताता […]
वे केवल उन्नीस साल की हैं और एकता कपूर की चहेती अभिनेत्रियों की कतार में शामिल थीं, पर आज बड़े पर्दे पर पहले निर्देशक और अब अभिनेता बने फरहान अख्तर के साथ अपनी पहली फिल्म रॉक ऑन में नायिका बनी अभिनेत्री प्राची देसाई इस बात से नाराज हैं कि उन्हें अब भी एकता कपूर की […]
क्या स्कूलों और कॉलेजों में विज्ञान का विषय पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या कम होती जा रही है? इसका जवाब है, नहीं। अब भी बड़ी संख्या में मेधावी छात्रों में विज्ञान के विषय में दाखिला लेने के लिए होड़ लगी रहती है। लेकिन अपना पाठ्याम पूरा करने वाले विद्यार्थियों की संख्या में जरूर बड़ी तेजी […]