चेहरे पर उभरी सलवटें, करवट लेता हुआ बिस्तर, कयामत की रात रही होगी। आँखों में सलवटें आ गयीं चेहरे का रंग सुर्ख हो चला ख़्वाब सारे भीगने से लगे। आँखों पर लम्हों के फ़ाहे रख कर सो गये हो पलकों में उनींदी नींद की कतरने दबा लीं अहसास के साये ना जीने दें ना मरने […]
देश हमारा हमको नाज़, नहीं गिरी है सिर पर गाज। हिंसा-हत्या अभी बहुत कम, अभी न कोई वाद-विवाद। अभी नहीं है जंगल राज रात दिवस हम नहीं घुट रहे, आपस में हम नहीं पिट रहे सज़ा मिल रही हत्यारों को, अभी न महॅंगे आलू-प्याज़ अभी नहीं है जंगल राज कट्टर पंथी अभी झुके हैं, आतंकी […]
फिर आ गया ख्याल तेरा ओल्ड एज में वापिस हुआ शबाब मेरा ओल्ज एज में अपनी गुज़र रही है बड़ी एहतियात से तुम भी संभल के रहना ज़रा ओल्ज एज में जो हाई जम्प करते थे अहदे शबाब में करते नहीं हैं चूँ व चरा ओल्ज एज में दीवारें थाम-थाम के चलते हैं अब मगर […]
आप करते जाइये जो हम कहें, आप जो चाहेंगे होता जाएगा आपने हमको अगर खुश कर दिया, आपका प्रतिपक्ष रोता जाएगा टेढा-मेढ़ा काम करने के लिए, आप हमसे बात सीधी कीजिए, सिर्फ सुविधा शुल्क देते जाइये, कार्य सुविधाजन्य बनता जाएगा। अब हमें कानून मत सिखलाइये, खेलते हैं रोज़ हम कानून से आप चाहेंगे तो सुलझेगा […]
प्लास्टिक मनी का चलन इस उद्देश्य से हुआ था कि लोग जेबों में नोट भरकर चलने में परेशानी महसूस करने लगे थे। फिर उपभोग का दायरा भी बढ़ रहा था और मात्रा भी। कब और क्या खरीदने का मन आ जाए, किसी चीज की क्या कीमत चुकानी पड़े, इस तरह के तमाम तात्कालिक डरों से […]
हम भारतीय प्रमाण-पत्रों के पुराने शौकीन हैं। राजा लोग खुद को ही प्रमाणित करने के लिए अपने जनहित के कार्यों के शिलालेख जगह-जगह लगवाते रहे हैं, ताम्रपत्र जारी करते रहे हैं। दूसरों की तरह हम भी बचपन में इनके लिए लालायित रहते थे। पहला और आखिरी प्रमाण-पत्र हमें मैट्रिक का मिला था। हमने कोई विशेष […]
गणेश जी का एक नाम है द्वैमातुर। द्वयोर्मात्रोरपत्यं पुमान् द्वैमातुरः। अर्थात दो माताओं का संतानत्व प्राप्त होने के कारण गणेश का यह नाम पड़ा। गणेश जी की एक माता पार्वती हुईं और दूसरी माता हथिनी। रंभा तथा इंद्र के क्रीड़ारत रहते समय दुर्वासा ने जो पारिजात पुष्प इंद्र को दिया था, उसे इन्द्र ने स्वयं […]
मध्य-प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र में नर्मदा (रेवा) नदी के किनारे बसी हुई एक छोटी-सी नगरी धरमपुरी है, जो सड़क-मार्ग द्वारा इंदौर से जुड़ी हुई है। यह नगरी मुंबई-आगरा राजमार्ग पर इंदौर से मुंबई की ओर जाते हुए खलघाट नामक स्थान से मात्र ग्यारह किलोमीटर पश्र्चिम की ओर स्थित है। इंदौर से इसकी कुल दूरी पचानवे […]
हम सभी इस सत्य को नकार नहीं सकते कि संसार दुःखों की खान है, अगर प्रभु में हमारा ध्यान है, तब वह सुखों की खान है। अक्सर देखने को मिलता है कि निर्धन हों या धनी, हर कोई दुःखी ही प्रतीत होता है। इसका मुख्य कारण है अज्ञानता। इसी कारण मानव दुःख-सुख के पहलुओं को […]
सूक्ष्म देवलोक के भी पार एक अन्य लोक है। उस लोक को परमधाम, ब्रह्मलोक अथवा परलोक भी कहा जाता है। यहॉं न स्थूल शरीर होता है, न सूक्ष्म, न संकल्प होता है, न वचन और न कर्म। इसलिए, वहॉं न सुख होता है न दुःख, न जन्म और न मरण। बल्कि वहॉं शान्ति ही शान्ति […]