आपके पांव बहुत खूबसूरत हैं, इन्हें ज़मीन पर न उतारना, मैले हो जायेंगे? फिल्म पाकीजा के इस डायलॉग के बावजूद पांवों पर इतना ध्यान नहीं दिया जाता, जितना कि देना चाहिए। यह शरीर का सबसे अधिक नजरअंदाज किया जाने वाला हिस्सा है। गौरतलब है कि शरीर की कुल हड्डियों का 25 प्रतिशत यानी 52 हड्डियां […]
बंद हुआ अब धूल गुब्बार, सूरज का उतरा बुखार। इंद्रदेव की उतरी सेना, छा गया नभ का कोना-कोना। उमड़-घुमड़ बादल आए। ढेरों सारा पानी लाए। धरती मॉं की शान निराली, चहुं ओर फैली हरियाली। झिंगुर मेंढक गीत सुनाते, दादा-दादी नहीं नहाते। पंखा-कूलर पाए आराम, लस्सी-कोला के घट गए दाम। भली लगे ठण्डी पुरवाई, बड़े शान […]
वर्षा की पहली बूँद, लगती है अति प्यारी। स्वागत करते हैं इसका, सब ही मिलकर भारी। भीषण गर्मी की तपन यह, जब आती पहली बौछार। जड़ चेतन अंबर सब, मनाते जैसे कोई त्योहार। सूखे धानों को जब मिलता अमृतमय शीतल पानी। तृप्त हो जाती है धरा, इस बूँद का न कोई सानी। ज़िंदगी जिंदगी […]
ठुम्मक-ठुम्मक छड़ी घुमाती, जादूगरनी की वह नाती। टोना खूब चलाए निंदिया, पलकों पर जब आए निंदिया। फुटपाथों पर या बिस्तर पर, बाहों का तकिया दे सिर पर। सुख की सैर कराए निंदिया, कौन देश से आए निंदिया। सांझ समय लोरी सुनवाती, थपकी देती और सुलाती। रच-रच स्वप्न दिखाए निंदिया, पलकों पर जब आए निंदिया। दबे […]
जीवन की महिमा जानें, जलते हुए चिरागों से। अभी वक्त है कर लो बच्चों, सच्चा प्रेम किताबों से। अच्छी-अच्छी किताबों में, जीवन की सच्चाई है। ज्ञान का विस्तार लिये, अनुभवों की गहराई है। भीनी खुशबू लेकर आती, नंदन वन के बागों से। अभी वक्त है कर लो बच्चों, सच्चा प्रेम किताबों से…। छोटी-सी पुस्तक में […]
ज्ञानवान मनुष्य अपने मन में सोचता है कि अब मैं निरंतर योग का अभ्यास करूंगा, अब मैं खूब दिल लगाकर ईश्र्वरीय सेवा करूंगा अर्थात् अन्य मनुष्यों को भी ईश्र्वरीय ज्ञान तथा योग की शिक्षा देकर शान्ति का रास्ता दिखाऊँगा, अब मैं अमुक-अमुक दैवी-गुण धारण करूंगा, बस अब तो मैं बहुत मधुर स्वभाव वाला बनूंगा; परन्तु […]
गंगा के पश्चिम, थोड़ी ही दूर हिमालय की यमुनोत्री से मैं निकली हूँ और करीब आठ सौ मील चलकर प्रयाग में गंगा में समा गई हूँ। गंगा के साथ एक ओर तथा सतलुज के साथ दूसरी ओर मैंने दोआब बनाया है, जिसकी भूमि में वीरकर्मा जातियॉं बसती आई हैं और इतिहास सदी-सदी अपनी ईंट जोड़ता […]
ऐसा कम ही होता है कि आप किसी के विवाह में जाएँ और आपका मुँह गालियों से भर जाए। पर आजकल मेरे साथ यही हो रहा है। एक तो आजकल शादियों का सीजन है और लोग थोक के भाव कार्ड छपवा कर बांटने लगे हैं। किसी भी शादी की दावत में चले जाओ, पार्किंग से […]
देश में जैसे-जैसे संचार क्रांति आई, आम उपभोक्ता की पसंद मोबाइल बन गया। आज हर हाथ में मोबाइल देखा जा सकता है। सब्जी बेचने वाले से लेकर कचरा उठाने वाले तक का हाथ मोबाइल से जुड़ा हुआ है। आज की जिंदगी मोबाइल के संग इस प्रकार जुड़ चली है जिसके बिना सब कुछ अधूरा-सा लगने […]