जलपरि ने दिया जीवनदान

जलपरि ने दिया जीवनदान

एक बार की बात है। एक डॉल्फिन अपने बच्चों के साथ समुद्र की परिामा कर रही थी। उसी दौरान उसे एक अंगूठी मिली। वह उसे उलट-पुलट कर देख ही रही थी कि एक जलपरी आई और उससे पूछने लगी, तुमने मेरी अंगूठी देखी क्या? वह अंगूठी मेरे पिताजी ने मुझे अपने जन्मदिन पर दी थी। […]

गड्ढे में कितनी धूल

बाबा, आप यह फावड़ा लेकर कहां जा रहे हैं? गार्डन में। क्यों? यह क्या सवाल हुआ? फावड़ा लेकर गार्डन में खुदाई के लिए ही तो जाया जाता है। वो तो मुझे मालूम है, लेकिन मैं यह जानना चाह रही थी कि खुदाई किसलिए? एक चार फुट का पेड़ नर्सरी से मंगाया है, उसे लगाने के […]

श्रम का मधुरस

छोटे-छोटे पंखों वाली, मधु की मक्खी बड़ी निराली। फूल-फूल मंडराती है, रस चूस कर लाती है। बूंद-बूंद का करती संचय, उसे नहीं किसी का भी भय। मेहनत करती जाती है, रस से शहद बनाती है। मधुमक्खी से जीना सीखें, श्रम का मधुरस पीना सीखें।   – रवीन्द्र कुमार ‘रवि’

सर्दी आई!

सर्दी आई, लगा काटने बर्फीला पानी। नाम नहाने के आ जाती हमें याद नानी। आठ बजे ही विद्यालय अपना खुल जाता है। सात बजे ही रिक्शेवाला लेने आ जाता है। किसे बताएँ नित्य सुबह की यही समस्या है। जैसे हर बच्चे को करनी यही तपस्या है। अच्छे बच्चे कहलाने को सब सह जाते हैं। भारी […]

नानी कहो कहानी

नानी! कहो कहानी! चिड़िया की, बिल्ली की, चूहों के गिल्ली की, छेड़ो बात पुरानी, नानी, कहो कहानी! राजा ने, रानी ने, बुलबुल दीवानी ने, कैसे की नादानी, नानी कहो कहानी! खरहे का, कछुए का, झगड़ा क्या मछुये का, गीदड़ की शैतानी, नानी, कहो कहानी!   – डॉ. हरीश निगम

फैशन का बुखार

टीवी देख चुहिया को चढ़ गया, फैशन का ते़ज बुखार। चूहे से वह कड़क के बोली, मुझे लेकर चलो बा़जार। फैंसी वस्त्र, सुंदर गहने, मुझको तुम बनवा दो। फैशन शो में जाऊँगी मैं, सबको तुम बतला दो। तंग वस्त्र जब पहन चली तो, राह में लग गया जाम। फैंसी सैंडल धोखा दे गए, वह सड़क […]

बच्चों की सरकार

अगर बन जाती दुनिया में, नन्हें बच्चों की सरकार। बड़ा म़जा तब आता यारों, बच्चों का होता संसार। ऊँचे-ऊँचे पद पर बच्चे, सभी नौकरी पाते। नहीं काम कुछ करना पड़ता, सभी खेलते-खाते। बड़े-सयानों से मैं कहता, बच्चों को मत डांटो। यह सरकारी ऑर्डर होता, मुफ्त मिठाई बांटो। सभा, सिनेमा, पिक्चर, नाटक, उस छोटे संसार के। […]

आओ स्कूल चलें

गर्मी हो या सर्दी, पलभर के लिए न रुकें। रिंकी, पिंकी, गोलू, मोलू, सब मिल आगे बढ़ें, आओ स्कूल चलें… मन लगाकर खूब पढ़ें, नेक राह पर चलते रहें हम। अर्जी ये मालिक से करें, स्वस्थ रहने के लिए, कसरत हर रो़ज करें। आदर करें बड़ों का हम, गुरुजनों का सम्मान करें। आओ हम इस […]

दुश्मन की दोस्ती

दुश्मन की दोस्ती

काला लंबा सांप बिल से बाहर निकला और रेंगने लगा। अब उसमें पहले वाली शक्ति नहीं थी। उम्र के साथ-साथ शरीर भी ढल चुका था। छोटे-छोटे कीड़े-मकोड़े, कछुए आदि को भी मारना उसके बस की बात नहीं रही थी। तब उसने बड़े-बुजुर्गों का पाठ याद किया कि समय के साथ बदल जाना ही बुद्घिमत्ता होती […]

बड़े बुद्घिमान होते हैं ये जीव

बड़े बुद्घिमान होते हैं ये जीव

चतुर गिलहरी अक्सर हम देखते हैं कि मखमली पूंछ वाली गिलहरी मिट्टी को खोदकर दोबारा उस गढ्ढे को ढक देती है। पांच में से एक बार वह सिर्फ ऐसा करने का अभिनय करती है। गिलहरी जमीन के भीतर दबे दानों को अपनी बुद्घिमानी से निकालकर खा लेती है। इसके अलावा गिलहरी ची़जों को चुराकर खाने […]

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