यही समझा जाता है कि मंदरिन भाषा जानने वालों की संख्या विश्र्व में सर्वाधिक है। परन्तु यह सच्चाई नहीं है। चीन में 70 अन्य उपभाषाएँ व बोलियॉं हैं जिनको जानने वालों की कुल संख्या 1000 मिलियन है। विश्र्व में हिन्दी व उर्दू जानने वालों की कुल संख्या 1023 मिलियन है। अन्य भाषाओं में प्रयुक्त हिन्दी […]
कोई भी सरकार नहीं चाहती कि देश में महंगाई बढ़े और जन-साधारण की रोजमर्रा की हालत खस्ता हो जाये। विपक्ष सरकारी नीतियों को महंगाई का कारण बताकर आये दिन बंद, जाम, हड़ताल, रैलियों आदि के आयोजन करवाकर सामान्य जन की सहानुभूति बटोर कर यह दर्शाने का प्रयास करता है कि उसे जनता को त्रासदियों से […]
कश्मीर घाटी में एक बार फिर हिंसा भड़क उठी है। जो खबरें आ रही हैं, उनके अनुसार यही लगता है कि यह सब राजनीतिक पार्टियों की कारस्तानी है ताकि अमरनाथ जाने वाले श्रद्धालुओं को अधिक से अधिक तंग किया जा सके। वजह चाहे जो भी हो, यह हमारी केन्द्र एवं राज्य सरकार की जिम्मेदारी बनती […]
आम तौर पर लोगों के पास जब पैसे होते हैं तो वह जमीनों में लगाना पसंद करते हैं। जमीन चाहे शहर-गांव के किसी भी कोने में हो, एक-न-एक दिन उसके भाव तो बढ़ने ही हैं। कुछ लोग यह सोच कर पैसा लगाते हैं तो कुछ लोग अंततः अपने लिए एक अदद आशियाने की चाहत में […]
धर्म और आध्यात्मिकता एक सिक्के के दो पहलू हैं और एक-दूसरे से संबंधित हैं। परन्तु फिर भी दोनों में अन्तर है। आध्यात्मिकता संसारिक भौतिकवाद से ऊपर है जिसकी कोई तुलना नहीं की जा सकती। यह आन्तरिक जिन्दगी की विश्र्वास और चमत्कारों से जुड़ी कड़ी है। यह मानव मूल्य की आधारशिला है जिस पर हम आस्था […]
इन दिनों शिद्दत से सिर उठाता, हिन्दी परिवार की आंचलिक बोलियों का स्वतंत्र स्थान पाने का मुद्दा (यानी संविधान में प्रदत्त विशेष भाषाई अनुसूची के अन्तर्गत जुड़ने का दुराग्रह) मेरी दृष्टि में एक खतरनाक राष्ट्रघाती कदम है। यह उतना ही खतरनाक है जितना कि देश के भीतर पृथक देश की मांग करते कुछ स्वार्थी तत्व, […]
जिन लोगों की लम्बाई औसत से कम होती है, उन्हें नाटों की संज्ञा दी जाती है। लेकिन जिनकी लंबाई औसत लंबाई से ज्यादा होती है, वह भी जब सड़क पर चलते हैं तो उनकी लंबाई सबका ध्यान अपनी ओर खींचती है। औसत से कम लंबाई किसी भी व्यक्ति के भीतर के आत्मविश्र्वास को खत्म कर […]
एक जमाना था, जब माता-पिता अपने बच्चों के लिए जीवन-साथी का चयन किया करते थे और बच्चे बिना किसी आपत्ति के उसे स्वीकार करके अपनी पूरी जिंदगी गुजार देते थे। यही नहीं, माता-पिता एक निश्र्चित आदर्श की तलाश में भी रहते थे। अगर तलाश दुल्हन की होती तो वह गोरी, लंबे बालों वाली और इकहरे […]
श्रेयांस जयपुर जाने के लिए घर से निकला। रेलवे स्टेशन पहुंचने के बाद एकाएक उसे लगा कि ट्रेन से नहीं जाना चाहिए और उसने ऐन मौके पर जाने का इरादा त्याग दिया। रात के समाचार में उसने देखा कि उस ट्रेन के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से सैकड़ों यात्री मारे गये। यह सिक्स्थ सेंस ही है, […]
क्या तुम जानते हो कि अलग-अलग प्रकार की सब्जियों का रंग और स्वाद अलग-अलग क्यों होता है? असल में किसी भी सब्जी या फल में उपस्थित रंग किसी विशेष प्रकार के वर्णक तथा स्वाद किसी विशेष प्रकार के पदार्थ की उपस्थिति के कारण होता है। फलों के पकने पर उनका रंग बदल जाता है क्योंकि […]