सत्य की खोज में

सत्य की खोज में

नगर की खुली चौड़ी सड़क पर एक रथ चला जा रहा था। एक अत्यन्त तेजस्वी राजकुमार उस रथ की शोभा बढ़ाते हुए, चारों तरफ बड़ी कौतुहलपूर्ण दृष्टि से देख रहा था। बसंत का समय था। चारों तरफ प्रकृति के सौन्दर्य की दिव्य शोभा छायी हुई थी। पुष्पों की सुगन्ध अनायास ही मन को मोह लेती […]

पवित्रता की दौड़

पवित्रता की दौड़

आपने स्कूलों, कॉलेजों और विश्र्वविद्यालयों में बच्चों की दौड़ देखी होंगी, जिसमें उन्हें कई प्रकार की बाधाएँ पार करनी पड़ती हैं। जैसे कि छोटी-सी दीवार, अग्नि-रिंग, कोई छोटा नाला इत्यादि। इस दौड़ को “ओब्स्टेकल रेस’ अर्थात् बाधा-युक्त दौड़ कहते हैं। इस दौड़ का लक्ष्य होता है, कुछ शारीरिक बल और स्फूर्ति द्वारा इनाम प्राप्त करना। […]

जैसा आचार, वैसा विचार जैसा लक्ष्य, वैसे लक्षण

जैसा आचार, वैसा विचार जैसा लक्ष्य, वैसे लक्षण

वैज्ञानिकों ने विद्युत, चुम्बकत्व, प्रकाश, ध्वनि और उष्मा इन शक्तियों को जान कर बड़े-बड़े आविष्कार किये हैं। इससे उन्होंने समाज को बहुत प्रकार की सुविधाएँ उपलब्ध कराई हैं। पदार्थ जगत में अणु के विस्फोट से भी एक बहुत बड़ी शक्ति को हासिल किया गया है। इन शक्तियों को अपने नियंत्रण में लाकर इनके द्वारा अद्भुत […]

क्षमा : जिसमें समाहित हैं कई गूढ़ अर्थ

क्षमा : जिसमें समाहित हैं कई गूढ़ अर्थ

किसी को क्षमा करना या किसी व्यक्ति से क्षमा मॉंगना दोनों ही कार्य अत्यधिक साहस, हिम्मत व विशाल हृदय होने पर ही पूर्ण हो सकते हैं। क्षमा की सीधी-सादी परिभाषा है – माफ करना या अपने कृत्य के लिए माफी मॉंगना अथवा प्रायश्र्चित करना। दूसरों की भूल को क्षमा करना फिर भी आसान है, परंतु […]

महर्षि वशिष्ठ ने जब विश्र्वामित्र को ब्रह्मर्षि कहा

महर्षि वशिष्ठ ने जब विश्र्वामित्र को ब्रह्मर्षि कहा

विश्र्वामित्र अपनी विशाल सेना सहित विजयी होकर अपने राज्य को लौट रहे थे। मार्ग में ब्रह्मा जी के पुत्र महर्षि वशिष्ठ का गुरुकुलमय आश्रम पड़ा। विश्र्वामित्र ने उनका आशीर्वाद लेने के विचार से आश्रम में प्रवेश किया। महर्षि वशिष्ठ ने राजा के रूप में उनका यथोचित सम्मान किया और कुछ समय आश्रम में रुककर आतिथ्य […]

पौराणिक चरित्र – वायुदेव

पौराणिक चरित्र – वायुदेव

वायुदेव वैदिक देवता हैं। वायु और इंद्र की घनिष्ठ मित्रता है। ये विराट् पुरुष के श्र्वास से उत्पन्न हुए हैं। ये त्वष्ट्री के जामाता कहे गये हैं। ये मनुष्य में प्राण रूप में रहते हैं। ये हनुमान् तथा भीम के पिता कहे गये हैं। अंजना रूप में पृथ्वी पर घूमती अप्सरा पुंजिकस्थली को देखकर वायुदेव […]

बगुलामुखी – सर्वसिद्धि साधना

बगुलामुखी – सर्वसिद्धि साधना

भारत में देव-पूजन की परंपरा अत्यंत प्राचीनकाल है। देव से अभिप्राय उस सत्ता से है, जो अतिमानवीय मंगलमयी तथा मानव द्वारा उपास्य है। यह सत्ता जन्म-मरण के बंधन से परे है। “देवी’ शब्द का प्रयोग भी उसी अर्थ में होता है, जिस अर्थ में “देव’ का। भक्ति-साहित्य में देवी को स्वतंत्र शक्ति के रूप में […]

ब्रज में गोपी बने त्रिपुरारि

ब्रज में गोपी बने त्रिपुरारि

श्रीमद्गोपीश्र्वरं वन्दे शंकरं करुणाकरम्। सर्वक्लेशहरं देवं वृन्दारण्ये रतिप्रदम्।। जब-जब भगवान ने अवतार लिया, तब-तब भगवान शंकर उनके बालरूप के दर्शन करने के लिए पृथ्वी पर पधारे। श्रीरामावतार के समय भगवान शंकर वृद्ध ज्योतिषी के रूप में श्री काकभुशुण्डिजी के साथ अयोध्या में पधारे और रनिवास में प्रवेश कर भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के […]

पौराणिक चरित्र – धर्मपुत्र

पौराणिक चरित्र – धर्मपुत्र

पांडव के ज्येष्ठ पुत्र युधिष्ठिर का एक नाम यह भी है। ये धर्मराज के पुत्र हैं, जो कुन्ती के गर्भ से उत्पन्न हुत्र थे। सत्यनिष्ठा, धर्म-पालन आदि में ये आदर्श माने गये हैं। माद्री से संभोग करते हुए, शापवश पांडु की मृत्यु होने पर धृतराष्ट्र के यहां इनका पालन-पोषण हुआ था। धृतराष्ट्र के पुत्र दुर्योधन […]

धर्म-निरपेक्षता बनाम पंथ-निरपेक्षता

धर्म-निरपेक्षता बनाम पंथ-निरपेक्षता

भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने संविधान में उल्लिखित “धर्म निरपेक्ष’ शब्द पर एतराज जताते हुए कहा है कि एक राजाज्ञा के जरिये इस शब्द के संवैधानिक प्रयोग पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। उन्होंने अपनी आपत्ति जताते हुए कहा है कि संविधान की प्रस्तावना में परिवर्तन कर सेकुलर शब्द नहीं डालना चाहिए था। वैसे भी इसका […]