गंगा सचमुच मैली हो गई

गंगा सचमुच मैली हो गई

पुराणों में गंगा जल का महत्व अत्यधिक पवित्र व रोग नाशक बताया गया है। आज भी लोग पापनाशिनी और जीवनदायिनी गंगा में डुबकी लगाकर और जल पीकर खुद को धन्य समझते हैं। कहते हैं, एक घड़े के पानी में दस बूंद पानी गंगाजल का मिला दिया जाए तो पूरा पानी साफ व कीटाणु नाशक हो […]

लोक जीवन में जल-दान की परंपरा

लोक जीवन में जल-दान की परंपरा

एक गीत मैं रोज सुनता हूं किसी प्यासे को पानी पिलाया नहीं, तो मंदिर में जाने से क्या फायदा। प्यासे को पानी पिलाना लोक-जीवन में बड़ा पुण्य माना जाता है। ग्रीष्मकाल में कस्बों और नगरों में प्याऊ की व्यवस्था इसी पुण्य-बोध का परिणाम है, पर आज सभी स्थानों पर पानी विक्रय की वस्तु बन गया […]

जीवन गीत – संत तिलोपा

संत तिलोपा की बड़ी ख्याति थी। उनके बारे में कहा जाता था कि उनके पास सभी प्रश्नों के उत्तर मौजूद रहते हैं। एक बार मौलुंक नाम का एक व्यक्ति उनके पास आया और अपने प्रश्नों का उत्तर जानना चाहा। संत तिलोपा ने कहा, मैं तुम्हारे सभी प्रश्नों का उत्तर दे दूंगा, लेकिन तुम्हें उसकी कीमत […]

सृष्टि के सृजक महर्षि कश्यप

सृष्टि के सृजक महर्षि कश्यप

मुनिराज महर्षि कश्यप ब्रह्मा जी के मानस-पुत्र और मरीची ऋषि के महातेजस्वी पुत्र थे। इन्हें अनिष्टनेमी के नाम से भी जाना जाता है। महर्षि कश्यप की माता का नाम कला था, जो कि कर्दम ऋषि की पुत्री और कपिल देव की बहन थी। महर्षि कश्यप ऋषि-मुनियों में श्रेष्ठ माने जाते हैं। सुर-असुरों के मूल पुरुष […]

हैदराबाद नगर में बीसवीं शताब्दी के महान संत सद्गुरु नारायण महाराज

भाग्यनगर रूपी आकाश में श्री सद्गुरु नारायण महाराज चंद्रमा की भांति सुशोभित हैं। यह चंद्र-प्रभा भारतवासियों के दुःख-कलेश हरण करने वाली, उद्धार करने वाली और आनंद एवं समाधान देने वाली है। एक बार की बात है, ज्येष्ठ शु. 9 शके 1836 (सन् 1914) को श्रीनारायण महाराज के एक शिष्य काशीराम हलवाई ने उन्हें अपने घर […]

सद्गति का निर्धारण स्वविवेक से संभव

एक ओर ईश्र्वर अपनी भुजाएं पसारे गोदी में चढ़ाने का, छाती से लगाने का आह्वान करता है, दूसरी ओर लोभ और मोह के बंधन हाथों में हथकड़ी, पैरों में बेड़ी की तरह बंधे हैं। स्वार्थान्धता की अहंता कमर में पड़े रस्सों की तरह जकड़े बैठी है। पीछे लौटें, जहां के तहां रुके रहें, या आगे […]

अनिष्ट निवारक निधि है शंख

शंख निधि का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि इस मंगलचिह्न को घर के पूजास्थल में रखने से अरिष्टों एवं अनिष्टों का नाश होता है और सौभाग्य की वृद्धि होती है। भारतीय धर्मशास्त्रों में शंख का विशिष्ट एवं महत्वपूर्ण स्थान है। मंदिरों एवं मांगलिक कार्यों में शंख-ध्वनि करने का प्रचलन है। मान्यता है कि […]

अन्तर्मुखी होने से ही जागती है चेतना

भारत की पहचान उसका वैदिक ज्ञान है। भारत की पहचान आत्मचेतना के क्षेत्र में और बाह्य क्षेत्र में देवत्व जगाने वाली उसकी वैदिक विद्या है। ज्ञान कैसे होता है? ज्ञान को जगाने के लिए कहीं बाहर नहीं भटकना पड़ता है। ज्ञान तो भीतर ही होता है और भीतर से ही जागृत होता है। ज्ञान आत्मचेतना […]

आत्मा इस संसार रूपी मुसाफिरखाने में आई कहॉं से?

जो आत्मा रूपी अविनाशी चेतन सत्ता है, यह संसार रूपी मुसाफिरखाने में आयी कहॉं से है और आखिर इसे जाना कहॉं है? यह सृष्टि रूपी कर्मक्षेत्र में अथवा कर्मेन्द्रियों के संग्रह रूप देह में उतरी कहॉं से है और अन्त में खेल खत्म होने पर यह लौटेगी कहॉं? इसका वास्तविक ठिकाना अथवा बसेरा कौन-सा है, […]

पौराणिक चरित्र – वामन

भगवान् विष्णु के दशावतारों में से पांचवां अवतार वामन का है। इनका जन्म अदिति के पुत्र के रूप में हुआ था। दैत्येश्र्वर बलि का आधिपत्य देखकर देवताओं ने ब्रह्मा सहित विष्णु की प्रार्थना की। उनमें अदिति भी थी। वह अपने पुत्र इंद्र के लिए विशेष चिंतित थी। भगवान् ने अदिति को आश्र्वासन दिया कि वे […]