ट्वेंटी फोर आवर्स – नयी प्रतिभा कहानी

मैं बेटी के साथ घर पहुँचा तो देखा कि गेट पर निमंत्रण-पत्र पड़ा था। मेरी बेटी किसी भी तरह के समारोहों में जाने के लिए हमेशा तैयार रहती है। निमंत्रण-पत्र देखते ही वह उछल पड़ी, पापा कार्ड आया है। ट्वेंटी फोर आवर्स हेल्पलाइन का 26 जनवरी को उद्घाटन है। 11 बजे ब्रंच और 9 बजे […]

मौरुसी का मलबा

धरती पर उतरा स्वर्ग, इसी के बीचोंबीच बलखाती-इठलाती जेहलम पर काशी पंडित के पुश्तैनी अग्निग्रस्त भवन के चतुर्दिक बिखरे मलबे का अम्बार, काल के कपोल पर एक विकृत धब्बे के समान, इसी बात की गवाही दे रहा था कि यह इमारत, विशेष रूप से अपने समय में अत्यन्त भव्य एवं बुलन्द रही होगी। लगता था […]

सहूलियत के लिए

मैं अपनी पत्नी के तानों और रोजाना होने वाली किचकिच से बहुत परेशान था। यह सब पुरानी महरी के काम छोड़ देने और उसकी जगह कोई दूसरी महरी न मिलने की वजह से था। मैंने महरी के लिए अपने मित्रों और परिचितों से कह रखा था। खुद भी काफी कोशिश की। मुंहमांगा मेहनताना देने के […]

सूर्यकुंड में पका हुआ चावल ही है यमुनोत्री का प्रसाद

सूर्यकुंड में पका हुआ चावल ही है यमुनोत्री का प्रसाद

केदारखंड-उत्तराखंड के चारों धामों में यमुनोत्री, हिमालय के विशाल शिखर के पश्र्चिम में समुद्री सतह से 3185 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। सूर्यपुत्री यमुना का उद्गम यमुनोत्री से 6 कि.मी. ऊपर कालिंदी पर्वत पर है। यह स्थान अधिक ऊँचाई पर होने के कारण दुर्गम है। यहीं पर एक झील है, जो यमुना का उद्गम-स्थल […]

दक्षिण भारत का पावन तीर्थ कुंभकोणम्

दक्षिण भारत का पावन तीर्थ कुंभकोणम्

कावेरी नदी के तट पर बसा हुआ कुंभकोणम् नगर दक्षिण भारत का प्रमुख पावन तीर्थ है। यहां प्रति बारहवें वर्ष कुम्भ का मेला लगता है। “कुंभकोणम्’ का संस्कृत नाम “कुंभघोणम्’ है। कहा जाता है कि ब्रह्माजी ने अमृत का घट (कुंभ) यहां लाकर रखा था। उस कुंभ की नासिका (घोणा) में से अमृत की कुछ […]

भारत में भी बसता है एक मिनी तिब्बत

भारत में भी बसता है एक मिनी तिब्बत

पहाड़ी नगरी धर्मशाला से आठ-दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित धौलपुर पहाड़ियों पर मैक्लॉडगंज स्थित है। अंग्रेजों के जमाने में यहां लॉर्ड मैक्लॉड की रियासत थी। उनके नाम पर इस क्षेत्र का नाम मैक्लॉडगंज रखा गया। यही क्षेत्र आज भारत में मिनी तिब्बत के नाम से जाना जाता है। 1947 के पश्र्चात अंग्रेजों ने इस […]

रोरिख का नग्गर

रोरिख का नग्गर

कुल्लू का नाम आता है तो नग्गर का स्वतः ही स्मरण हो आता है। हो भी क्यों न, समूचे कुल्लू का इतिहास नग्गर के गिर्द ही घूमता है। इतिहास को जानने वाले इस गॉंव के संबंध में यदि विवरण देना शुरू कर दें तो एक पुस्तक लिखी जा सकती है। सृष्टि के आविर्भाव से लेकर […]

थानेदार का देशप्रेम

क्यों बे, लड़कियॉं छेड़ने आया था होटल में? सिपाही ने उसे गले से पकड़ कर धक्का दिया। वह तो वैसे ही लड़खड़ा रहा था। इस धक्के से थाने के फर्श पर गिर पड़ा। फिर भी बच गया। उसका सिर मेज से छू तो गया, किन्तु उसे टकराना नहीं कह सकते। टकराता तो सिर फटता और […]

टिप्पणी – एफ एम सलीम

मौसम बदल गया है। धूप और गर्मी से हल्की-सी राहत मिल गयी है। बारिश की कुछ बूंदों ने चार महीनों से झुलस रहे तन को ही नहीं बल्कि मन को भी हल्का कर दिया है। क्योंकि बारिश का संबंध केवल तन से नहीं, मन से भी होता है। यही वो बारिश है, जो स्मृतियों को […]

जादू मेहनत का – सीताराम गुप्ता

भव्य भवन हैं ऊँचे-ऊँचे, लंबी सड़कें, बाग-बगीचे। टेलीविजन, कार, कंप्यूटर, मॉल, हाट, मेले, अप्पूघर। रॉकेट, रोबोट या मोबाइल, अणु-बिजलीघर, तारामंडल। चमत्कार वैज्ञानिक सारे, कितने अचरज भरे नजारे। यह सारा जादू है किसका, सिर्फ आदमी की मेहनत का। बुद्धि हमारी है जादूगर, हाथ हमारे ही कारीगर। मन से सोचो, बुद्धि लगाओ, दो हाथों से सब कुछ […]