ताकि संबंधों की आग न बुझे

ताकि संबंधों की आग न बुझे

अक्सर, सिर्फ प्यार ही काफी नहीं होता। दूर तक साथ चलने के लिए एक-दूसरे को गहराई से समझना और आपसी तालमेल भी जरूरी होता है। यह हासिल करने के बाद भी कुछ बाधाएं होती हैं, जिन्हें पार करना होता है। प्यार और संबंध, दरअसल आग की तरह होते हैं। अगर आप इसे जलाये रखना चाहते […]

हाशिए पर न रखें बुजुर्गों को

हाशिए पर न रखें बुजुर्गों को

आजकल प्रायः देखने-सुनने में आता है कि परिवार में बुजुर्ग़ों की उपेक्षा बढ़ती ही जा रही है। घर के सदस्य बुजुर्ग़ों का सम्मान नहीं करते, उनका ख्याल नहीं रखते। बुजुर्ग़ों के प्रति वे संकुचित सोच रखने लगे हैं। आखिर क्यों बढ़ रही है बुजुर्ग़ों की इतनी उपेक्षा? क्यों पीने पड़ रहे हैं, उन्हें अपमान व […]

दूषित जल का शोधन क्यों और कैसे?

दूषित जल का शोधन क्यों और कैसे?

मीठा जल हमारे लिए असाधारण द्रव साधन है। हमारे देश के 0.72 मिलियन हेक्टेयर का क्षेत्र नैसर्गिक सरोवरों से उपलब्ध है। कृत्रिम तालाबों, झीलों और बांधों में भी उतना ही मीठा जल उपलब्ध है। मानव जीवन के लिए मीठा जल उचित मात्रा में सेवन करना आवश्यक है। बशर्ते यह बैक्टीरिया और रासायनिक पदार्थों से युक्त […]

पृथ्वी के स्वास्थ्य पर निर्भर है हमारा स्वास्थ्य

पृथ्वी के स्वास्थ्य पर निर्भर है हमारा स्वास्थ्य

प्रकृति और आदमी का सदा से साथ रहा है। इसी प्रकृति के पर्यावरण में हम, अन्य जीव तथा पेड़-पौधे जीते हैं। यदि प्रकृति का संतुलन बिगड़ जाएगा, तो हम सब पर उसका बुरा असर पड़ेगा। पिछले कुछ वर्षों से इस संतुलन में बहुत-कुछ बिगाड़ आया है। इसका कारण आदमी ही है। हम देख रहे हैं […]

आवश्यक है पर्यावरण संरक्षण

संसार में सूर्य की ऊर्जा को ग्रहण करके भोजन के निर्माण का कार्य केवल हरे पौधे ही कर सकते हैं। इसलिए पौधों को उत्पादक कहा जाता है। पौधों द्वारा उत्पन्न किए गए भोजन को ग्रहण करने वाले जंतु शाकाहारी होते हैं और उन्हें हम प्रथम श्रेणी के उपभोक्ता कहते हैं।

आवश्यक है पर्यावरण संरक्षण

जैसे-गाय, भैंस, बकरी, भेड़, हाथी, ऊंट, खरगोश, बंदर ये सभी प्रथम श्रेणी के उपभोक्ता कहलाते हैं। प्रथम श्रेणी के उपभोक्ताओं को भोजन के रूप में खाने वाले जंतु मांसाहारी होते हैं और वे द्वितीय श्रेणी के उपभोक्ता कहलाते हैं। इसी प्रकार द्वितीय श्रेणी के उपभोक्ताओं को खाने वाले जंतु तृतीय श्रेणी के उपभोक्ता कहलाते हैं। […]

सिक्किम रुबर्ब – पौधा या ग्रीन हाउस

एक अनोखा पौधा, शंक्वाकार, नाज़ुक, भूरे रंग का, चमकदार, पारदर्शी पत्तों वाला! विशेषता यह कि पराबैंगनी किरणों के दुष्प्रभाव से अपने बचने की व्यवस्था स्वयं करता है। इसके पत्ते जैसे दिखने वाले ब्रैक्ट्स एक-दूसरे पर झुके होते हैं। ऊपर के ब्रैक्ट्स गुलाबी रंग के किनारे लिए होते हैं। इन्हीं छाते के समान ब्रैक्ट्स में होता […]

मिट्टी ले सकती है बदला

मिट्टी ले सकती है बदला

आर्थिक विकास के कार्यक्रम बनाने में सावधानी बरतनी चाहिये। सिंधु घाटी के हमारे पूर्वजों ने पक्की मिट्टी के शहर बनाये। यह उस समय का उत्कृष्ट तकनीकी विकास था। ईंट पकाने के लिये ईंधन की ज़रूरत पड़ी जिसके लिये उन्होंने जंगल काट डाले। फलस्वरूप नदियों में मिट्टी भर गयी और बाढ़ का प्रकोप इतना बढ़ गया […]

जानवर भी करते हैं बेवफाई

जानवर भी करते हैं बेवफाई

अरसा पहले अमेरिका के पूर्व गवर्नर इलियट स्पिटजर सुर्खियों में थे। उनकी बदनामी की वजह यह आरोप था कि कानूनों का उल्लंघन करते हुए उन्होंने एक बहुत ही महंगी वेश्या की सेवाएं हासिल कीं। इसलिए उनको पाखंडी, घमंडी, बदचलन, स्वार्थी, असक्षम और मंदबुद्धि कहा जाने लगा। लेकिन बेवफाई सिर्फ शक्तिशाली खतरा उठाने वाले एल्फा पुरूष […]

क्यों बढ़ रही है समाज में हिंसा

क्यों बढ़ रही है समाज में हिंसा

यदि हम मानव स्वभाव में ताप वृद्धि को लोकतांत्रिक जीवन पद्धति की असफलता के साथ जोड़कर देखना चाहें तो सम्पूर्ण विश्र्व में लोकतांत्रिक जीवन पद्धति भी संकट में है और लोकतांत्रिक शासन पद्धति भी। क्योंकि सम्पूर्ण विश्र्व के मानव स्वभाव में लगातार ताप वृद्धि हो रही है। यदि हम पिछले पचास वर्षों का आकलन करें […]

सावधान – कोई आपको घूर रहा है

सावधान – कोई आपको घूर रहा है

नीहारिका ने पीछे मुड़कर देखा तो उसे पता नहीं क्यों ऐसा लगा कि दो आंखें उसेे लगातार घूर रही हैं। उसे ऐसा ही आभास बस-स्टॉप पर भी हुआ था। लेकिन उसने इसे एक भ्रम समझा था। बस में चढ़ने के बाद जब वह इत्मीनान से अपनी सीट पर बैठ गई और मुड़कर पीछे देखा तो […]