दोस्तों, ये तो आप जानते ही हैं कि कि शार्क की 150 से अधिक किस्में होती हैं और वह सभी खारे पानी में रहती हैं, सिवाय एक प्रजाति को छोड़कर। केन्द्रीय अमेरिका में एक लेक है, लेक निकारागुआ, वहां ता़जा पानी की शार्क रहती हैं। लेकिन वास्तव में शार्क किसी एक जगह या स्पॉट पर […]
“बाबा, आप मेरे और भैया के बीच संपत्ति का बंटवारा अपनी ़िंजदगी में ही कर देना।’ “क्यों क्या हुआ?’ “कुछ नहीं।’ “फिर यह बंटवारे की बात कहां से आ गयी?’ “दरअसल, मैं बाद में झगड़ा नहीं चाहती।’ “क्यों, क्या भैया से लड़ाई हो गयी?’ “नहीं।’ “फिर क्या बात है?’ “बाबा, देखो न संपत्ति के बंटवारे […]
प्रिया को किताब चाहिए थी। उसने हनुमान मंदिर के पास अपनी साइकिल खड़ी की और सामने किताब वाले की दुकान पर गई। उसने किताबें खरीद लीं। फिर साइकिल लेने वापस हनुमान मंदिर के पास गई। उसकी सहेली मिताली भी उसके साथ थी। वह मिताली से बोली, “”चलो! जल्दी निकल लेते हैं। यहॉं थोड़ी देर बाद […]
दोस्तों, अगर नाखून काटने में दर्द होता, तो हम में से कोई भी नाखून नहीं काटता और सबके बहुत बड़े-बड़े नाखून होते। अक्सर हम सोचते हैं कि यह मृत कोशिकाओं के बने होते हैं, इसीलिए। लेकिन यह अधूरी बात है। वास्तव में नाखून त्वचा से उगने वाली विशेष संरचना है। नाखून का ज्यादातर हिस्सा केराटिन […]
हमने 29 जुलाई को “मिलाप’ के संपादकीय में इस बात का उल्लेख किया था कि यह सोचना-कहना गलत होगा कि एक अरब से ऊपर की जनसंख्या वाला भारत आतंकवादी हौसले के सामने बेबस, निरीह और कमजोर हो गया है। हमने यह भी कहा था कि कमजोरी देश में नहीं विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा संचालित हो […]
किसी भी राष्ट के विकास में कृषि, खनिज, वन एवं जल संसाधनों की प्रमुख भूमिका रहती है। हमारा देश कृषि प्रधान है परन्तु कृषक यहॉं आत्महत्या करने के लिये मजबूर है। विगत कुछ वर्षों में एक लाख से अधिक किसानों ने आत्महत्या कर ली है। ऐसा क्यों? यह प्रश्र्न्न हमारे मस्तिष्क पटल पर उभरता है। […]
पाकिस्तान जेहादी आतंकवाद की जड़ है, यह सूचना किसी के लिए नई नहीं है। अफगानिस्तान की सीमा से लगा पाकिस्तान का उत्तर-पश्र्चिमी पहाड़ी क्षेत्र तालिबान एवं अल-कायदा के सर्वप्रमुख केन्द्र के रूप में विकसित हो चुका है, यह भी सर्वविदित है। ये शक्तियां स्वयं पाकिस्तान को भी अपने हिंसक हमलों से लगातार बींध रहीं हैं […]
पिछले साठ वर्षों से असम में हर साल बाढ़ का तांडव होता रहा है। 1950 में हुए भयंकर भूकंप की वजह से ब्रह्मपुत्र एवं उसकी सहायक नदियों के स्वरूप में परिवर्तन आ गया और उसके बाद हर साल बाद तबाही मचने लगी। इस तबाही की रोकथाम के लिए सरकार की तरफ से इतने सालों में […]
यह अमृत-वाणी हमारे प्राचीन ऋषियों और संतों की है। इस विचार-सूत्र के पीछे क्या मर्म छुपा है, आइए थोड़ा समझने का प्रयास करें। इसकी व्याख्या कई ढंग से की जा सकती है। व्यक्ति-व्यक्ति से मिलकर समाज, देश और विश्र्व का निर्माण होता है। यदि व्यक्ति बुरा है तो समाज, संगठन और विश्र्व निश्र्चय ही बुरा […]
हम में से प्रत्येक को आस्तिक बनना चाहिए और इसके लिए नित्य नियमित रूप से उपासना की ाम-व्यवस्था दैनिक जीवन में रखनी चाहिए। एक परिपूर्ण व्यक्तित्व के रूप में ईश्र्वर की किसी छवि का ध्यान करें, उसके गुणों का चिंतन करें और उसी में तन्मय हो जाएं, उसे अपने में धारण करने की भावना करें। […]