गोदरेज का दीपावली ऑफर

दीपावली के मौके पर अपने ग्राहकों के लिए गोदरेज ने एक बढ़िया योजना जारी की है। इस योजना के तहत गोदरेज के किसी भी उत्पाद की खरीदी पर खरीद्दार को मिलेगा एक शानदार उपहार, जो उक्त उत्पाद की कीमत पर निर्भर होगा। मसलन- महंगे उत्पाद खरीदने पर 22 पीस वाला मैट फिनिश स्टेनलेस स्टील का […]

कयामत का तूफान

मशहूर अर्थशास्त्री और समाज विज्ञानी गुन्नार मिर्डल ने भारत को नरम राज्य होने के जो बहुत सारे कारण गिनाए हैं, उनमें से एक यह भी है कि भारतीय सुनते बहुत हैं, सोचते कम हैं। वैसे यह बात सिर्फ भारतीयों पर ही लागू नहीं होती है। यह मनुष्योचित्त मनोविज्ञान है कि वह सोचने से ज्यादा सुनना […]

स्वच्छता वर्ष में भारत की भागीदारी

दुनिया भर में कम से कम 120 करोड़ लोग शौचालय सुविधा से वंचित हैं। इसमें सर्वाधिक संख्या भारत के लोगों की है। विश्र्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ द्वारा संयुक्त रूप से किए गए अध्ययन रिपोर्ट में बताया गया है कि शौचालय का उपयोग न करने वाले लोगों के देशों की सूची में यह देश पहले […]

संयम की महत्ता समझें हमारे नेता

महाराष्ट नवनिर्माण सेना के नेता राज ठाकरे ने एक बार फिर अखंड भारत की मर्यादाओं को रौंदते हुए घृणा और फूट डालने की राजनीति खेली है और रेलवे की परीक्षा देने आए उत्तर भारतीय छात्रों के साथ उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने मारपीट की है। किसी तरह या शायद भारी दबाव के चलते महाराष्ट सरकार […]

कथा लक्ष्मीवाहन की

हे भक्तों! जो लोग लक्ष्मी की पूजा- अर्चना करना चाहते हैं और लक्ष्मी को प्रसन्न रख कर अपने घर की वृद्घि करना चाहते हैं, उन्हें चाहिए कि वे लक्ष्मीवाहन उलूक की अभ्यर्थना करें। सेवा-पूजा करें क्योंकि यदि वाहन खुश है तो सवारी करने वाली अपने आप प्रसन्न होंगी। जो व्यक्ति इस उलूक अध्याय को पढ़ेगा, […]

गोधरा कांड के अभियुक्तों पर पोटा नहीं

सर्वोच्च न्यायालय की एक खंड पीठ ने, जिसकी अध्यक्षता स्वयं मुख्य न्यायाधीश के. जी. बालाकृष्णन कर रहे थे, गोधरा कांड के सभी 134 आरोपियों पर से पोटा हटाने का निर्देश दिया है। ़गौरतलब है कि इन सभी आरोपियों पर सन् 2002 में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आग लगाकर अयोध्या से लौट रहे 59 […]

श्रीमद्भागवत में रहस्यवाद

धार्मिक-जीवन एवं साधनात्मक क्षेत्र में रहस्यात्मक अनुभूतियों का होना एक सहज एवं स्वाभाविक प्रिाया है। इससे उत्पन्न परम कोटि का संज्ञान संसार में प्रायः सभी धर्मों का लक्ष्य रहा है। यह वह संज्ञान है, जिसमें आत्मा, परमात्मा से एकता स्थापित करती है, इसीलिए रहस्यवाद को मानव की उस प्रवृत्ति की संज्ञा दी जाती है, जिसके […]

प्रणाम शहीदों को

“मैं बेबे (मॉं) के हाथ की रोटी खाना चाहता हूँ’ भगतसिंह का साहित्य, जो उनके बाद समाज का मार्ग-दर्शन करता, नष्ट हो गया, पर वे कैसी समाज-व्यवस्था चाहते थे, मानव-मानव के बीच कैसा संबंध चाहते थे, यह एक संस्मरण में सुरक्षित है। उनकी काल-कोठरी में जो भंगी सफाई करने आती थी, वे उसे बेबे कहा […]

मनुष्य की भूख

जागतिक वस्तुएँ सीमित हैं, असीमित नहीं हैं, किन्तु मनुष्य की भूख, उसकी प्यास असीमित है। मनुष्य की भूख, उसकी प्यास बुझाने के लिए असीमित वस्तुएँ चाहिए। इसलिए जागतिक वस्तुओं से यह प्यास नहीं बुझ सकती है, इस क्षुधा की निवृत्ति नहीं हो सकती है। असीमित सत्ता एक ही है – परम पुरुष। इसलिए असीम की […]

फूलां

सत्य कहूँ, उसने मुझे कोहनी से पकड़ लिया था। “”आपने मेरे रांझू को तो नहीं देखा? कहॉं होगा मेरा रांझू? परदेसी बाबू! आपने जरूर देखा होगा?” किसी युवती का स्पर्श मुझे कंपा गया था। मैं थोड़ी देर के लिए घबरा गया था। वह युवती कोई बीस बरस की रही होगी। लंबे बाल, अस्त-व्यस्त कपड़े। किसी […]

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