झूठ और सच का खेल बड़ा निराला है। आदमी झूठ क्यों बोलता है और सच क्यों नहीं बोलता? आखिर कौन-सी ऐसी मजबूरी है, जिससे व्यक्ति झूठ बोलता है? आज क्यों झूठ को इतनी प्रतिष्ठा मिली है? सच बोलने से व्यक्ति घबराता-कतराता क्यों है? ऐसे तमाम प्रश्र्न्न हैं, जो बताते हैं कि इसके कई कारण हैं। […]
तंत्रिका-तंत्र विशेषज्ञों के अनुसार मानवीय मस्तिष्क दो भागों में विभक्त है – बायॉं भाग और दाहिना भाग। मस्तिष्क के वाम भाग को उसकी क्रियाओं का संचालक व नियंत्रक कहा जाता है। मनुष्य द्वारा सोचे अथवा कल्पना किये गये चिंतन को क्रियान्वित करने का कार्य इससे संपन्न होता है। इसे मानवीय चेतना की जाग्रत अवस्था भी […]
आधुनिक दुनिया का यही चलन हो गया है। अब “निभा करना किसी से तो उम्र भर करना’ का जमाना नहीं रहा है। इसलिए विवाह टूट रहे हैं, संबंधों पर विराम लग रहा है और दोस्त एक दूसरे को अलविदा कह रहे हैं। प्यार का रिश्ता जितनी जल्दी बनता है, उतनी जल्दी ही टूट जाता है। […]
13 साल की तान्या ने ठान लिया था कि आज वह मम्मी के साथ रात का खाना खाने के बाद रात में 11 बजे घूमने जाएगी। उसकी क्लास में पढ़ने वाली एक दोस्त ने उसे बताया था कि जब वह अपनी मम्मी-पापा के साथ देर रात में घूमने जाती है तो उसे बहुत अच्छा लगता […]
परमाणु करार पर बहस राजनीतिक खींचतान का अखाड़ा बन चुकी है। इसके विरोधी परमाणु टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल देश की ऊर्जा सुरक्षा में मददगार होने के सरकारी तर्क को मह़ज बहाना मानते हैं तो सरकार इसे ऊर्जा सुरक्षा के लिए ़जरूरी कहती है और यह बताने में लगी है कि इसके बिना देश का विकास धीमा […]
विश्र्वासमत का गुणा-गणित किसके खाते में जीत और किसके खाते में हार दर्ज करता है, यह और बात है क्योंकि पक्ष-विपक्ष का संतुलन अभी बराबर का ही समझा जा रहा है। इस स्थिति में सरकार बच भी सकती है और जा भी सकती है। अतएव इन अटकलबाजियों से बाहर आकर अगर राजनीतिक हानि-लाभ का आकलन […]
बरसों पुरानी बात है, “इलेस्टेटेड वीकली ऑफ इंडिया’ में छत्रपति शिवाजी के बारे में एक लेख छपा था, जिस पर कुछ लोगों को आपत्ति थी। मामला महाराष्ट विधानसभा में भी गूंजा था और तत्कालीन मुख्यमंत्री ने उस लेख को बिना पढ़े ही विधानसभा में घोषणा कर दी थी कि वीकली के खिलाफ मुकदमा चलाया जाएगा। […]
भारतीय संसद के 272 ऐसे सांसद होंगे जो 22 जुलाई, 2008 को देश की लुटिया डुबोयेंगे। चाहे सरकार बचे या जाये, दोनो ही परिस्थितियों में देश का ही नुकसान होगा। यह नुकसान परमाणु करार के पक्ष या विपक्ष का नहीं है। यह नुकसान तो देश की लोकतांत्रिक गरिमा पर आधारित है कि आगे देश की […]
एक रिपोर्ट इन दिनों अखबार और टीवी में लगातार पढ़ने-देखने को मिल रही है कि फौज से अफसरों का मोह भंग हो रहा है और फौज छोड़ने वालों की संख्या हर दिन बढ़ती जा रही है। फौज छोड़ने के कई कारण गिनाये जा रहे हैं जिनमें प्रमुख है कि छठे वेतन आयोग ने उन्हें कोई […]
नन्द वंश का साम्राज्य बहुत प्रसिद्घ रहा है। उसका प्रधानमंत्री था शकडाल। वह बहुत बुद्घिमान था। उसके दो पुत्र थे- स्थूलप्रद और श्रीयक। महामंत्री ने सोचा, “श्रीयक के विवाह पर मैं राजा को आमंत्रित करूंगा। उस समय मुझे सम्राट को कुछ उपहार देना होगा। उन्हें क्षत्रियोचित उपहार देना ज्यादा उचित रहेगा।’ यह सोचकर उसने छत्र, […]