सिमी के समर्थक तथाकथित लाल बुद्घिजीवियों, पत्रकारों और राजनीतिक दलों को सिमी प्रमुख सफदर नागौरी का इंडिया टुडे के 2 अप्रैल, 2003 के अंक में छपा साक्षात्कार ़जरूर पढ़ना चाहिए। सफदर नागौरी ने अपने साक्षात्कार में साफ तौर पर कहा था कि हिन्दुस्तान को सबक सिखाने के लिए आज मोहम्मद गजनवी की आवश्यकता है। मुसलमानों […]
हाल में (17 जुलाई, 2008 को) जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले सप्ताह से भी आगे बढ़ती हुई महंगाई 11.91 प्रतिशत तक पहुँच चुकी थी। और अभी कुछ ही समय पहले यह 12 का आंकड़ा पार कर चुकी है। महंगाई को रोकने हेतु सरकार द्वारा अपनाये जा रहे सारे प्रयास विफल होते दिखाई दे रहे […]
भारतीय जनता पार्टी ने अपने पिछले शासनकाल में भले ही अपने राजग के अन्य सहयोगियों के दबाव में जम्मू-कश्मीर से संबंधित धारा 370 को नेपथ्य में डाल दिया था, लेकिन 2009 के चुनावों के पहले वह इस मुद्दे को अपनी राजनीति के केन्द्र में रखने का मन बना चुकी लगती है। जम्मू-कश्मीर राज्य की स्थिति […]
वर्षा का आना एक खबर है। वर्षा का नहीं आना उससे भी बड़ी खबर है। वर्षा नहीं तो अकाल की खबर हो जाती है। कल तक जो अकाल को लेकर चिल्ला रहे थे वे ही आज वर्षा के आगमन पर हर्ष की अभिव्यक्ति कर बाढ़-बाढ़ खेल रहे हैं। जो नेता-अफसर अकाल की सेवा में थे […]
हालांकि ईरान बार-बार यह दोहराता आ रहा है कि उसका परमाणु कार्याम हथियारों के लिए नहीं बल्कि अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए है, लेकिन पश्र्चिमी देश उसकी इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं हैं। ईरान से सबसे ज्यादा खतरा इ़जराइल महसूस करता है। इसलिए इस वर्ष जून में इ़जराइल ने […]
यदि सामाजिक परम्पराएं एवं आदर्श अपनी ही जड़ें खोदने लगें, तो समाज के पास रह ही क्या जाएगा? पत्तों का अस्तित्व तब तक ही हरा-भरा है, जब तक वे वृक्ष की डालियों से जुड़े रहते हैं, शाख से टूटते ही उनके अस्तित्व पर प्रश्र्न्नचिह्न लग जाता है। आदिकाल से लेकर वर्तमान तक सभी समाज सुधारक […]
समझौता किसी एक विषय-बिन्दु पर हुई दो पक्षों के बीच सहमति का नाम है। यह सहमति भी संभव तभी हो सकती है जब समझौते में दोनों पक्षों के हित समान हों। कोई एक पक्ष अपनी शर्तों पर अगर समझौता करना चाहता हो तो दूसरा पक्ष उसे तभी स्वीकार कर सकता है, जब वह इस कदर […]
अंतर्राष्टीय मुद्रा कोष जैसी संस्थाओं द्वारा कहा जा रहा है कि तेल के मूल्यों में भारी वृद्घि विश्र्व अर्थव्यवस्था के लिए खतरा है। यह बात भ्रामक है। वास्तव में यह मूल्य वृद्घि भारत समेत दूसरे विकासशील देशों के लिए लाभकारी है। विश्र्व अर्थव्यवस्था को एक परिवार सरीखा समझें। मान लीजिए, परिवार का कर्ता बच्चों को […]
राजस्थान के दूसरे सबसे बड़े शहर जोधपुर की पहचान न केवल ऐतिहासिक विरासतों के लिए है, अपितु साम्प्रदायिक सौहार्द की अनूठी मिसाल पेश करने में भी यह पीछे नहीं है। शहर के चप्पे-चप्पे पर बने मंदिर व मस्जिद आपसी भाईचारा व प्रेम की ऐसी इबारतें लिख चुके हैं, जिन्हें मिटाना नामुमकिन है। मारवाड़ के तत्कालीन […]
मकान मुझे देखकर मुस्कुराया। आखिर क्यों न मुस्कुराता? कितने दिनों बाद कोई उसके आंगन में आया था। किसी के आने से किसी को कितनी खुशी होती है, यह उससे पूछिए जो अपने ही घर में अकेला रह गया हो। मैंने उस सुनसान और अंधेरे मकान में पांव रखा, तो आंगन में खड़ा वह पुराना पेड़ […]