गुस्सा विवेक का अंत और अनर्थ की शुरूआत है। क्रोध की अवस्था में मस्तिष्क का शरीर की आपातकालीन क्रियाओं पर से नियंत्रण समाप्त हो जाता है तथा शरीर में एक अजीब किस्म की उत्तेजना व्याप्त हो जाती है। यह उत्तेजना ही मनुष्य को विवेकहीन कर गलत कार्य करने के लिए विवश करती है। वैसे तो ईर्ष्या, घृणा, द्वेष […]
हस्तिनापुर के भीलों के राजा हिरण्यधनु के पुत्र का नाम था एकलव्य, जिसे धनुर्विद्या सीखने की अपार इच्छा थी। उन दिनों गुरुद्रोण पांडवों तथा कौरवों को धनुर्विद्या सिखाते थे। एकलव्य ने गुरुद्रोण के समक्ष अपनी इच्छा प्रकट की, पर द्रोण ने शूद्र एकलव्य को धनुर्विद्या सिखाने से इन्कार कर दिया। देवर्षि नारद के उपदेश पर […]
हसरत मोहानी के बारे में फिरा़क गोरखपुरी ने कहा था कि वो नयी ग़जल के संस्थापक हैं। स्वतंत्रता सेनानी व राष्टवाद के घोर समर्थक होने के बावजूद प्रगतिशील धारा से उनका संबंध रहा है। सबसे खास बात यह है कि वे एक शायर के रूप में सौंदर्य और प्रेम की अनूठी अभिव्यक्ति रखते थे, जिसको […]
पश्र्चिमी उत्तर-प्रदेश का मैनपुरी नगर महर्षि मयन की तपोभूमि है। प्राचीन काल में यहां नागरिया ग्राम में मयन नामक युवक रहा करता था, जो बहुत ही मातृभक्त था। उसके विवाह हेतु बारात निकटवर्ती धारऊ ग्राम जा रही थी, रास्ते में बारातियों को इस बात की याद आई कि विवाह की आवश्यक वस्तु सिंधोरा तो घर […]
नई सदी के कर्णधार… नई पीढ़ी के पथप्रदर्शक और बड़े विद्वान, इक्कीसवीं सदी को स्वागतम् कहने वाले… अंतिम सत्र के लिए फिर एकत्रित हो गये। यों लग रहा था, जैसे एक विशाल मरुस्थल के फफोलों से पीड़ित यात्रियों का एक थका-हारा काफिला एक लंबी यात्रा के बाद अपने गंतव्य तक पहुंचने वाला हो। सत्र का […]
“”मैं अजर हूँ, अमर हूँ, अक्षय, अविनाशी, परम प्रकाश हूँ, इस धारणा की पूर्ण पुष्टि को वैराग्य कहा जाता है। सांसारिकता का मोह नष्ट हो जाय, यही वैराग्य है।” पाठशाला “”मस्तिष्कीय ज्ञान विकास एवं धारणा परिपक्व करने के लिए अध्ययन-अध्यापन की आवश्यकता पड़ती है। आवश्यक नहीं कि वह पुस्तकों के आधार पर ही अर्जित किया […]
धर्म का तत्त्व गुहा में छिपा हुआ है, यह इसलिए कहा गया है कि धर्म का वास्तविक रूप उसके तत्त्व का ज्ञान गहरे ध्यान में ही होता है। धर्म को जिस अर्थ में हमारी पूरी परम्परा में प्रयोग किया गया है, उसे नकारते हुए लोग उसे संकुचित अर्थ में आचार मात्र में प्रयोग करते हैं। […]
“आराम बड़ी चीज है’, “मुंह ढंक के सोइए’ अथवा “अजगर करे न चाकरी’ जैसे जुमले, कहावतें अकर्मण्यों के लिए ढाल का काम करती हैं। लेकिन हवा बिना आराम किए क्यों बहती रहती है? नदी क्यों नहीं रुकी? सूर्य, नक्षत्र, चन्द्र अविराम गति से क्यों चलते रहते हैं? पृथ्वी अपनी धुरी पर स्थिर क्यों नहीं है? […]
एक बार की बात है। बर्नार्ड शॉ एक नौजवान चित्रकार से बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने उस चित्रकार को अपना चित्र बनाने के लिए नियुक्त किया। साथ ही बर्नार्ड शॉ ने उस चित्रकार को 100 डॉलर का पारिश्रमिक देने का वादा भी किया। लेकिन बर्नार्ड शॉ ने चित्रकार को 100 डॉलर के एक चैक के […]
जी हॉं दोस्तों, यह बात वा़कई सच है कि जानवर किसी भी आपदा को पहले ही महसूस कर लेते हैं। वैज्ञानिकों ने इस बात पर गहन शोध करने पर पाया है कि किसी प्राकृतिक विपदा से पहले जानवरों का बर्ताव अनपेक्षित तरीके से बदल जाता है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि सूघने में, ताप के […]