केले में प्रायः सभी विटामिन एवं खनिज जैसे – कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा, सिलिका, मैंगनीज और पोटैशियम प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। केले के सेवन से स्वस्थ एवं सुडौल शरीर का भी निर्माण होता है। किन्तु कच्चा केला खाना स्वास्थ्य के लिए सदैव हानिप्रद ही होता है। दरअसल, कच्चा केला पचने में भारी होता है […]
शहद की चींटियां, जिन्हें “मधु चींटियां’ कहा जाता है, प्रायः आीका, ऑस्टेलिया, अमेरिका तथा न्यूगिनी में पाई जाती हैं। विश्र्वभर में पाई जाने वाली अन्य चींटियों की भांति ही मधु चींटियों में भी रानी चींटी अण्डे देती हैं और मजदूर चींटियां उन अण्डों को सेने का काम करती हैं और कीड़ों तथा कुछ विशेष प्रकार […]
समूचे यूरोप के जंगलों में पाए जाने वाले “ज्यूल बीटल’ नामक कीट अत्यंत दुर्लभ कीट माने जाते हैं। इन कीटों की शारीरिक चमक बड़ी अनूठी होती है। इस कीट की सबसे बड़ी विलक्षणता यह है कि अण्डे से वयस्क बीटल बनने में बहुत लंबा समय लगता है। इस प्रिाया में प्रायः 40 वर्ष तक का […]
एक दिन बाबा के पास एक बैग था जिसमें कुछ सामान था। मैंने बाबा से मालूम किया, “बाबा, आपके बैग में क्या है?’ “मोजे और दस्ताने हैं।’ “किसलिए?’ “आपको देने के लिए।’ “तो दीजिए।’ “लेकिन पहले मेरे एक सवाल का ़जवाब दीजिए।’ “आप सवाल पूछिए?” “मेरे इस बैग में दस जोड़ी गाउन और दस […]
एक राजा था। उसका नाम सूरसेन था। उसके अच्छे शासन की ख्याति चारों तरफ फैली थी। उसकी प्रजा सुखी थी। राज्य में धन-धान्य की कमी नहीं थी। बहुत जरूरी होने पर ही प्रजा पर कर लगाया जाता था। सबसे बड़ी बात यह कि राजा का रहन-सहन साधारण नागरिकों जैसा था। उसका मानना था कि लोगों […]
ब्रिटिश समुद्री विशेषज्ञों ने एक छः पैरों वाले हेक्सापस को पकड़ा है। इस अजीब तरह के जीव की जीभ भी ऑक्टोपस से मिलती-जुलती है। समझा जा रहा है कि यह ऑक्टोपस ही है जिसमें किसी तरह की असामान्यता के कारण ये विचित्रताएँ देखने का मिल रही हैं। उत्तर पश्र्चिमी इंग्लैंड में ब्लैकपूल सी लाइफ सेंटर […]
एक निर्धन ब्राह्मण थे सुदामा, जो कृष्ण के सहपाठी थे। दोनों ने एक साथ सांदीपनि के आश्रम में अध्ययन किया था। एक बार पत्नी के आग्रह पर सुदामा द्वारकाधीश श्रीकृष्ण से मिलने गये। कृष्ण ने उनका भव्य स्वागत किया। ब्राह्मण पत्नी द्वारा भेजा तंदुल खा लिया। दो मुष्टि-भर खाते ही भगवान् कृष्ण ने उन्हें सारी […]
उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में हिन्दुओं के प्रसिद्घ तीर्थ गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, और बद्रीनाथ के पॉंच-पॉंच स्वरूप और भी हैं, जो पंच केदार और पंच बद्री के रूप में पहाड़ों पर अवस्थित हैं। पंच केदारों की परिकल्पना महाभारत युग की है। जब भगवान शंकर गुरु-हंता, कुल-हंता पांडवों से रुष्ट होकर भैंसे का रूप धारण कर […]
यह संसार भी विचित्र है। मनुष्य जन्म लेता है, तरह-तरह के संबंध जोड़ता है, फिर उनमें रम जाता है। जन्म-जन्मांतरों की स्मृति को बिसार कर सुख-दुःख से भरे इस जीवन को सत्य मानते हुए, वह मात्र इसी जन्म को सब कुछ मान बैठता है। घर-परिवार, समाज की भूल-भुलैया में उलझता प्राणी जीवन के सवेरे से […]
राजकुमार के पिता को सफल ऑपरेशन के बाद जब थियेटर से बाहर रूम में शिफ्ट करने के लिए लाया गया तो उसने डॉक्टर का शुक्रिया अदा किया। लेकिन डॉक्टर ने हाथ जोड़ते हुए कहा, “”यह सब ईश्र्वर की कृपा है।” कहने का अर्थ यह है कि डॉक्टर भी विश्र्वास करते हैं और उन्हें मरीजों का […]