सतही राजनीति का बाजारीकरण

आज राजनेताओं की ऐसी भीड़ बढ़ गयी है जिनमें चारित्रिक निर्लज्जता खुलकर सामने आ रही है। इसका मूल कारण है क्षणिक फायदे की राजनीति, जो सतही राजनीति के बाजारीकरण की व्यवस्था लादती है। फलस्वरूप, हम हमेशा असुरक्षित तथा लाचारीपन का एहसास करते हैं। आज हर काम वोटों से लाभ-हानि का गणित बिठाकर करना राजनीति का […]

जीवन गीता

स्वामी रामकृष्ण परमहंस के समय दक्षिणेश्र्वर में श्री प्रताप हाजरा नाम के एक सज्जन रहते थे। उन्होंने अपना जीवन साधुओं जैसा बना रखा था। वे कभी-कभी स्वामी रामकृष्ण परमहंस से मिलने आते थे और सत्संग का लाभ लेते थे। एक बार वे स्वामीजी के साथ कोलकाता गए थे। जब वहॉं से लौटे, तो अपनी धोती […]

ब्लॉग हो तो हर कोई बांचे

किसी जमाने में एक गाना बहुत चलता था, “चिट्ठियॉं हों तो हर कोई बांचे, भाग न बांच्यो जाय।’ जमाना बदला। कम्प्यूटर आए। चिट्ठियां ई-मेल हो गईं। ई-मेल एसएमएस हो गए। एसएमएस एमएमएस हो गए। इधर नेट ने ब्लॉग बनवा दिए। हर व्यक्ति को अपने दिल की भड़ास निकालने का सुनहरा अवसर मिल गया। ब्लॉगों की […]

आतंकवाद के खिलाफ कड़े कानून की वकालत

अभी तक आतंकवाद के खिलाफ “पोटा’ जैसा कड़ा कानूनी प्रावधान लागू करने की मॉंग भाजपा के ही खेमे से उठ रही थी, लेकिन अब इसकी आवश्यकता को सरकारी खेमा भी महसूस कर रहा है। ़गौरतलब है कि अभी तक सरकार इस तरह की हर मॉंग को यह कह कर निरस्त करती रही है कि आतंकवाद […]

आखिर हंगामा है क्यों बरपा…

अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट में जॉर्ज बुश प्रशासन के प्रकाशित पत्र पर भारत में जो तूफान खड़ा हुआ, उसका औचित्य साबित नहीं किया जा सकता। वस्तुतः इस पत्र से विरोधियों को सरकार पर राजनीतिक हमला करने का अवसर मिल गया, अन्यथा इसमें नई बात कुछ भी नहीं है। सच कहा जाए तो इस रवैये से […]

गहरी चोट

कहा जाता है कि कोई भी व्यक्ति सम्पूर्ण नहीं होता, सिर्फ भगवान ही सम्पूर्ण होते हैं। पर यदि गहराई से देखा या सोचा जाये तो कुछ साधारण व्यक्ति भी ईश्र्वर सम सम्पूर्ण दिखाई देते हैं। होते हैं या नहीं, पर उनके जीवन की जीवट दृष्टि देखकर ऐसा आभास अवश्य होता है। मैं बात कर रही […]

चातुर्मास और हमारे कर्तव्य

चातुर्मास और हमारे कर्तव्य

प्रकृति का घटना-क्रम चलता रहता है। यह प्रकृति रानी भी बड़ी चुलबुली है। इसके परिधान परिवर्तित होते रहते हैं। इसी परिवर्तन के दौर में गर्मी आती है, ठंड आती है और आता है चौमासा। जैन शास्त्र में आषाढ़ी चौमासा का उल्लेख जोर-शोर से हुआ है। व्यवहार में भी इसी चौमासे को चौमासे के रूप में […]

अनंत है देवाधिदेव शिव की महिमा

अनंत है देवाधिदेव शिव की महिमा

जगदीश्र्वर परमात्मा “शिव’ की महिमा अनंत है। “ॐ’ जिनका वाचक है, संपूर्ण तत्व जिनके स्वरूप हैं, जो संपूर्ण तत्वों में विचरण करने वाले हैं, समस्त लोकों के एकमात्र कर्ता और संपूर्ण विश्र्व के एकमात्र पालनहार हैं तथा अखिल विश्र्व के एक ही संहारकारी हैं। सब लोकों के एकमात्र गुरु, समस्त संसार के एक ही साक्षी, […]

सागर कय्यामी की टिप्पणी

ऐसी कोई मिसाल जमाने ने पायी हो हिन्दू के घर में आग खुदा ने लगाई हो बस्ती किसी की राम ने आकर जलाई हो नानक ने राह सिर्फ सिखों को दिखाई हो राम व रहीम व नानक व ईसा तो नर्म हैं चमचों को देखिये तो पतीली से गर्म हैं साम्प्रदायिक दृष्टि से देश को […]

सोम दादा ने टॉंगा एक प्रश्न-चिह्न

लोकसभाध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने अपने पद पर बने रहने का फैसला किया है। बताया यही जा रहा है कि कम से कम विश्र्वास-मत हासिल करने की तारीख 22 जुलाई के पहले वह अपना इस्तीफा लोकसभा के अध्यक्ष पद से नहीं देने वाले। हालॉंकि यह बयान पूर्णतया पुष्ट नहीं है, क्योंकि न तो उन्होंने स्व़यं अथवा […]

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