दिल्ली सीरियल बम ब्लास्ट कांड के बाद आतंक के पक्ष में जिस तरह से राजनीति शुरू हो गयी है व गोलबंदी शुरू हुई उसके खतरे गहरे हैं और इसकी कीमत आखिर राष्ट को ही चुकानी पड़ेगी। इतना ही नहीं बल्कि भविष्य में आतंक से निर्दोष जिंदगियां उसी प्रकार से हिंसा से लहूलुहान होंगी जिस प्रकार […]
विशेष परिस्थितियों में मनुष्यों का निर्णय खास तरह का होता है। जैसे अभी कुछ राज्यों में बाढ़ आई थी, लोगों का व्यवहार कैसा रहा। डूब के इलाके से जैसे-तैसे भी हो, उंचे इलाकों में भागकर जाने और किसी तरह जान बचा लेने की प्रवृति होती है। अभी पश्र्चिमी और विशेष रूप से अमेरिकी बाजार के […]
रामसेतु मुद्दे पर एक बार फिर केंद्र सरकार पल्टी मार गई है। अभी पिछली जुलाई में उसने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष प्रतिवेदन प्रस्तुत कर यह आश्र्वासन दिया था कि वह कथित रामसेतु की रक्षा के लिए वैकल्पिक मार्ग पर विचार करेगी। इसके लिए उसने प्रसिद्घ वैज्ञानिक आर.के. पचौरी की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ दल का […]
सितम्बर आते ही मुझे हिन्दी की चिन्ता सताने लगती है। बेचारी राष्ट-भाषा होते हुए भी पिछड़ी हुई है। हर कोई आंग्ल-भाषा में गिटर-पिटर करना चाहता है। इस बेचारी से बिना दहेज लाई दुल्हन-सा व्यवहार किया जाता है और अंग्रेजी को शादी में खूब दहेज लाई दुल्हन की तरह सिर-आँखों पर बिठाया जाता है। इसका अन्दा़जा […]
किसी को गरीब कहने का क्या मतलब होता है? एक मतलब तो वह बेचारा है यानी असहाय, जो या तो अपनी स्थितियों का मारा है या अपनी करनी का। गरीब का दूसरा मतलब है- वह, जिसके पास खाने को रोटी नहीं है, पहनने को कपड़ा नहीं है, रहने को घर नहीं है। बेचारा यह भी […]
दिल्ली एक बार फिर आतंकवादी निशाने पर आ गई है। शनिवार के दिन शाम अभी ढली ही थी कि शहर के तीन भीड़भाड़ वाले इलाकों में एक के बाद एक 5 बम-विस्फोटों ने 26 लोगों की जिन्दगियॉं मौत के हवाले कर दीं और 70 से ज्यादा लोग घायल हो गये। इसके पहले भी दिल्ली सन् […]
मनुष्य जन्म लेने के साथ ही रिश्तों के बंधन में बंध जाता है। उसी परिवेश में बंधु-बांधव, इष्ट मित्र तथा पूरा परिवार उससे जुड़ जाता है। उस नियति के जुड़ाव को स्वीकार कर वह सहयोग, सहायता एवं अपनापन ढूंढता हुआ सदा के लिए निश्र्चिंत हो जाना चाहता है। उसे हमेशा इंतजार रहता है कि मेरे […]
अभी हाल ही में जब विश्र्व में छाई आर्थिक मंदी और बेहद तीव्र गति से बढ़ती महंगाई के कारणों और परिणामों की विवेचना और विश्र्लेषण किया जा रहा था तो ऐसे में अमेरिकी राष्टपति के बयान और विचारों ने एक नई बहस को जन्म दे दिया। अमेरिकी राष्टपति ने कहा कि विश्र्वभर में बढ़ती महंगाई […]
जब हम कोई इच्छित वस्तु को प्राप्त नहीं कर पाते हैं, तो दुःखी व खिन्न हो जाते हैं। हमारा गुस्सा बढ़ जाता है और बिना बात के ही अन्य लोगों पर अपनी झल्लाहट उतारने लगते हैं। कभी-कभी हम किसी से कोई चीज चाहते हैं और वह देने से इंकार कर देता है, तब भी हमारी […]
पांडु एक चंद्रवंशी राजा थे, जो पांडवों के पिता थे। इनके पिता विचित्रवीर्य अत्यधिक कामासक्ति के वशीभूत हो, क्षय रोग से पीड़ित होने के कारण अकाल ही मर गये। अंबिका और अंबालिका उनकी पत्नियां थीं। वे दोनों निःस्संतान थीं। अतः विचित्रवीर्य की माता सत्यवती की इच्छानुसार तथा भीष्म पितामह की अनुमति लेकर दोनों से व्यास […]