महाभियोग नहीं है सही रास्ता

न्याय होना भी चाहिए और होता हुआ दिखायी भी देना चाहिए। लेकिन अफसोस की बात यह है कि बहुत सी अदालतें भ्रष्टाचार का केन्द्र बनकर रह गई हैं। हद तो यह है कि अवाम ऐसी अदालतों को न्याय का मंदिर समझने की बजाय अ द अ ल त (आजा देजा और लेजा तारीख) कहने लगी […]

हम भी हैं बेचारे बेबस

आपस की रंजिश में गोलियॉं चलीं, दो हताहत हुए, एक की मौके पर मौत हो गई। पब्लिक का गुस्सा फूट पड़ा – पुलिस निकम्मी है… हत्यारों को तुरन्त नहीं पकड़ती। इससे पहले कि पुलिसकर्मी कुछ समझ पाते, मृतक की लाश नगर के चौराहे पर थी। मृतक के रिश्तेदारों के साथ कुछ नेता भी नमूदार हुए, […]

अंग्रे़जी वर्चस्व के भाषाई संकट

अंग्रेजी वर्चस्व चाहे उसका विस्तार औपनिवेशिक साम्राज्यवादी नीतियों के लिए हुआ हो अथवा भू-मण्डलीकरण के बहाने बाजारवाद को बढ़ावा देने की दृष्टि से, विविधता को संकुचित करने और वर्गों के बीच भेद बढ़ाने की उसकी कुटिल भूमिका रही है। अंग्रेजी का साम्राज्यवादी विस्तार ब्रिटेन के रास्ते हुआ और अब आर्थिक विकास का मार्ग अमेरिका से […]

मर्यादा का विकृत होता रूप

मर्यादा का विकृत होता रूप

संसार में हमारे रिश्ते-नाते, प्रेम और मित्रता यह सब मर्यादा पर आधारित हैं। मर्यादा मनुष्य का आभूषण है। मर्यादा में जीवन व्यतीत करना बहुत बड़ा तप है। लेकिन वर्तमान में मर्यादा का स्वरूप कितना विकृत होता जा रहा है, यह जगजाहिर है। रिश्तों में काफी परिवर्तन आया है। परिवार से लेकर राष्ट तक के कर्णधारों […]

क्यों नहीं होता बाढ़ व सूखे का कोई स्थायी समाधान

आज हम इक्कीसवी शताब्दी में जी रहे हैं जिसमें कहने को तो हमने जमीन से चांद तक की दूरी तय कर ली है मगर जमीनी समस्याओं को अभी तक खत्म नहीं कर पाये हैं। आज स्वतंत्र हुए हमें कई दशक बीत चुके हैं, मगर हमारी आवश्यकताएं व समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। हम […]

जनतंत्र की सफलता की शर्त है सतत् जागरूकता

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ने लोकसभा में विश्र्वासमत का प्रस्ताव पारित करा लिया और आगामी चुनाव तक सरकार सुरक्षित हो गई है। लेकिन प्रस्ताव पर हुई बहस के दौरान सदन में और सदन के बाहर भी, जो कुछ हुआ, उससे यह सवाल फिर से हवा में तैरने लगा है कि क्या हमारा […]

अभिनव उपलब्धि का स्वर्णिम पल

आठ अगस्त को प्रारंभ हुए बीजिंग ओलम्पिक में अपनी हिसेदारी निभाने जब भारतीय दल रवाना हुआ था, तो लगभग सभी का कयास यही था कि सिर्फ फ़र्ज अदायगी की रस्म पूरी करने की कवायद की जा रही है। भारत के हिस्से में कोई बहुत बड़ी उपलब्धि आ सकेगी, यह अनुमान के बाहर की बात थी। […]

आर्थिक असमानता की उपज असंतुलित विकास

किसी भी दैनिक समाचार-पत्र को उठाकर देखा जाए तो निश्र्चित रूप से दो तरह की खबरें जरूर पढ़ने को मिल जाती हैं। एक वो जिन्हें पढ़ने के बाद यही लगता है कि निश्र्चय ही ये देश विकास पथ पर अग्रसर होते हुए नित नए मापदंड छू रहा है। आज देश व भारतीय समाज हरेक क्षेत्र […]

श्री विनायक सावरकर

19 मई, 1883 को जन्मे श्री विनायक सावरकर आगे चलकर हजारों क्रांतिकारियों के लिए प्रेरणा स्रोत बने। भारतवर्ष ने उन्हें “स्वातंत्र्य वीर’ की उपाधि से विभूषित किया। चाफेकर बंधुओं को जब फॉंसी की सजा सुनायी गयी, तब विनायक के मन में भी क्रांति की चिन्गारियॉं उठने लगीं। पूना के फर्ग्युसन कॉलेज से ही उन्होंने अपनी […]

श्री बदरीनाथ मंदिर में देव विग्रह

श्री बदरीनाथ मंदिर में देव विग्रह

बदरीश विग्रह – भगवान् बदरीविशाल का यह विग्रह एक शालिग्राम शिला द्वारा प्रकट हुआ है। यह विग्रह कब और कैसे प्रकट हुआ, किसके द्वारा स्थापित व पूजित होने लगा, इसका ठीक-ठीक निश्र्चय होना कठिन है। भगवान् बदरीनारायण के मौजूदा विग्रह के निर्वाण-दर्शन के अवसर पर चन्दन का पूर्ण चन्द्राकार एक तिलक बिन्दु नाभि, हृदय तथा […]

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