चाय हिन्दुस्तान में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में पी जाती है। टी-मैनेजमेंट में डिग्री या डिप्लोमा हासिल करके आप इस क्षेत्र में शानदार रोजगार हासिल कर सकते हैं। टी-मैनेजमेंट के अंतर्गत कई काम होते हैं। मसलन, टी-प्लांटेशन, प्रोसेसिंग, ब्रॉंडिंग, मार्केटिंग, रिसर्च आदि।
इन क्षेत्रों में अगर विशेषता हासिल कर ली जाए तो देश ही नहीं, पूरी दुनिया में नौकरी के लिए तमाम दरवाजे खुल जाएँगे। यह इसलिए भी सुनिश्र्चित है, क्योंकि आने वाले सालों में न सिर्फ हिन्दुस्तान में बल्कि दुनिया के और भी कई देशों में खासकर एशियाई देशों में बड़े पैमाने पर चाय बागानों का विकास होने जा रहा है। हमारे देश में पहले सिर्फ उत्तर-पूर्व ही चाय का केंद्र था, लेकिन अब बड़े पैमाने पर हिमाचल, उत्तरांचल और जम्मू-कश्मीर में भी चाय बागान लगाये जा रहे हैं। इसी तरह दक्षिण में नीलगिरी की पहाड़ियों में भी चाय के बागान का क्षेत्र बढ़ रहा है, जो इस बात का सबूत है कि चाय की खपत बढ़ रही है और उसका भविष्य निश्र्चित है।
चाय मैनेजमेंट में डिग्री हासिल करने के लिए जो पाठ्याम तैयार किये गये हैं, उसमें फूड साइंसेज, बिजनेस मैनेजमेंट और मार्केटिंग है। डिग्री के छात्रों के साथ-साथ एग्रीकल्चर और बॉटनी के छात्रों को प्रमुख रूप से तरजीह दी जाती है। टी-मैनेजमेंट ट्रेनी के लिए न्यूनतम योग्यता 10जमा2 होती है और डिग्री व डिप्लोमा हासिल करने के बाद विभिन्न चाय कंपनियों, चाय बागानों, टी-ब्रेकिंग हाउस व टी-एसोसिएशन में नौकरी मिलने की प्रचुर संभावनाएँ रहती हैं।
लेकिन इस क्षेत्र में कॅरिअर बनाने के लिए मन बनाने से पहले इस बात को सुनिश्र्चित कर लें कि क्या घर से बाहर जिंदगी बिताने में आपकी रुचि है? साथ ही आपको शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत व स्वस्थ होना एक शर्त की माफिक है, साथ ही चाय बागानों की टोपोग्राफी और इनके भौगोलिक लोकेशन को लेकर भी आप में रुचि होनी चाहिए।
इस क्षेत्र में कॅरियर के बहुत सारे अवसर हैं। आप प्लांटेशन मैनेजर बन सकते हैं। शुरू में आपकी नियुक्ति प्लांटेशन लेवल पर बतौर असिस्टेंट हो सकती है या फिर जूनियर असिस्टेंट मैनेजर के रूप में नौकरी मिल सकती है। प्लांटेशन मैनेजर का मुख्य काम चाय बागानों का रख-रखाव, उनका विकास, उन्हें लगाया जाना, पत्तियों की तुड़ाई, चाय के बनाये जाने की प्रिाया यानी इसकी प्रोसेसिंग, इसकी पैकिंग, मार्केटिंग और अलग-अलग जगहों पर इसे भिजवाना है। कहने का मतलब यह है कि मैनेजर के जिम्मे लगभग हर वह काम होता है, जो चाय उद्योग क्षेत्र का कार्य होता है। इसी तरह आप रिसर्चर भी बन सकते हैं, क्योंकि चाय उद्योग में रिसर्च की काफी गुंजाइश रहती है। हमेशा नये टेस्ट और नये फ्लेवर जारी होते रहते हैं। इसके लिए आपको बोटेनिस्ट होना पड़ेगा। बायोटेक्नोलॉजिस्ट और कृषि विज्ञान के दूसरे क्षेत्रों में भी आपकी डिग्री काम आ सकती है। टी-ब्रोकर्स के रूप में भी अच्छा-खासा रोजगार हासिल किया जा सकता है। टी-ब्रोकर्स दरअसल चाय उत्पादक और उसके खरीदारों के बीच की कड़ी की तरह होते हैं। ऐसे लोगों को मार्केट ट्रेंड्स तथा चाय के थोक और खुदरा मूल्य की हमेशा जानकारी रखनी होती है। इनका काम चाय उत्पादकों और चाय खरीदारों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी बनाना होता है। बतौर कंसल्टेंट और टेस्टर्स भी आपके लिए नौकरी के अच्छे-खासे अवसर हैं। ये सभी क्षेत्र न सिर्फ शानदार नौकरी बल्कि सुरक्षित कॅरियर भी मुहैया कराते हैं। टेस्टर जहॉं चाय की गुणवत्ता के सुधार के लिए लगातार अपनी सलाह देता रहता है, वहीं कंसल्टेंट बाजार की दुनिया तथा भविष्य के बारे में भी इसी तरह की सलाह मुहैया कराता है।
इन सभी क्षेत्रों में स्थायी नौकरी की सुविधा के साथ-साथ अच्छा-खासा वेतन मिलता है। शुरुआत 10 हजार से होती है, जो मैनेजर और उच्च स्तर के टेस्टर के लिए 70 से 80 हजार रुपये महीने तक चली जाती है। चूँकि दुनिया के कई देशों में बड़े पैमाने पर चाय बागानों को लगाए जाने का दौर जारी है, इसलिए आपको भारत के बाहर बर्मा, इंडोनेशिया, मलेशिया, श्रीलंका जैसे देशों में भी नौकरी मिलने के चांस रहते हैं। नौकरी के अलावा इस क्षेत्र में अच्छी-खासी सुविधाएँ, जैसे- संपन्न यात्राओं का मौका और बड़े-बड़े होटलों, रेस्तरांओं आदि की पार्टियों में शामिल होने का मौका मिलता है।
टी-मैनेजमेंट के क्षेत्र में नौकरी पाने के लिए ये कुछ महत्वपूर्ण संस्थान हैं, जहॉं से पढ़ाई की जा सकती है –
- असम दार्जिलिंग टी-रिसर्च सेंटर, दार्जिलिंग, पश्र्चिम बंगाल
- असम एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, गुवाहाटी
- बिड़ला इंस्टीट्यूूट ऑफ फ्यूचरिस्टिक स्टडीज, कोलकाता
- डिप्स इंस्टीट्यूूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज, कोलकाता
- इंडियन इंस्टीट्यूूट ऑफ प्लांटेशन मैनेजमेंट, बैंगलूरू
- दि टी-टेस्टर्स अकेडमी, केरल
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