19 मई, 1883 को जन्मे श्री विनायक सावरकर आगे चलकर हजारों क्रांतिकारियों के लिए प्रेरणा स्रोत बने। भारतवर्ष ने उन्हें “स्वातंत्र्य वीर’ की उपाधि से विभूषित किया। चाफेकर बंधुओं को जब फॉंसी की सजा सुनायी गयी, तब विनायक के मन में भी क्रांति की चिन्गारियॉं उठने लगीं। पूना के फर्ग्युसन कॉलेज से ही उन्होंने अपनी […]
जयप्रकाश नारायण जब एक अंग्रेजी स्कूल में पढ़ते थे तब पूर्व परिचित अध्यापक पिटमोर, जिन्होंने उन्हें पढ़ाया था, इस स्कूल के हेडमास्टर बनकर आए। पूर्व से ही वे जयप्रकाश की पढ़ाई और योग्यता के कारण उनको अच्छा विद्यार्थी मानते थे, क्योंकि उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ चरित्र गठन की ओर भी ध्यान दिया था। वे बहुत […]
भगत सिंह की लोकप्रियता बढ़ती चली गयी थी। आखिर भगत सिंह की लोकप्रियता का रहस्य क्या रहा होगा? हर देश का एक सामूहिक स्वभाव होता है, रुचि होती है, रुझान होता है, हमारे देश के स्वभाव, रुचि और रुझान के अनुसार हमारे मन में पूजित होता है सन्त, आदर पाता है वीर और लोकप्रिय होता […]
“रामचरित मानस’ के माध्यम से अजर-अमर हो चुके गोस्वामी तुलसीदास पर लिखते समय यह तय करना कठिन होता है कि उनके व्यक्तित्व के किस पक्ष पर लिखा जाए और किसे विस्मृत किया जाए। सोलहवीं शताब्दी के रचनाकारों में तुलसी के समकालीन भक्तिरस में डूबे अनेक कवि और महाकवि थे। सूरदास थे, मीरा थीं। इन सबका […]
पू. आचार्य भगवन का जन्म गुजरात में स्थित लाखेणी गांव में विाम संवत् 1961 को फाल्गुण मास की शुक्ल पूर्णिमा अर्थात होली के दिन रात्रि 11 बजे के पश्चात हुआ था। उनके पिता का नाम अमरचंद भाई एकाणी और माता का नाम संतोक बाई था। भडियाद गांव में अमर चंद भाई नगर सेठ की पदवी […]
बंगला भाषा के अमर कथाशिल्पी शरदचन्द्र चट्टोपाध्याय का व्यक्तिगत व सामाजिक जीवन अनेक विषमताओं से आप्लावित है। धनाभाव की जितनी प्रवंचनाएं उन्होंने झेली हैं, उतनी शायद ही किसी ख्यातनाम साहित्यकार ने झेली हों। इन दुःखद परिस्थतियों ने उन्हें इतना झकझोरा कि वे बेहद अंतर्मुखी होते चले गए। यहां तक कि वे अपना आत्मविश्र्वास ही खो […]
संसार में दो किस्म के लोग होते हैं – पहली किस्म के वे, जो इस दुनिया में आकर समय बिता कर चले जाते हैं, उन्हें दुनिया व दुनिया के लोगों से कोई लगाव नहीं होता। दूसरे किस्म के लोग वे होते हैं, जो इस दुनिया में आने को परमात्मा की देन समझते हैं तथा इन्सानियत […]
महात्मा गांधी भारत के सिर्फ राष्टपिता, स्वतंत्रता सेनानी या समाज सुधारक ही नहीं बल्कि विश्र्व के एक युग-पुरुष हैं, जिन्होंने युगान्तकारी परिवर्तन का एक मार्ग बतलाया है। युद्घ से जर्जर समाज को सत्य, अहिंसा का अमोघ अस्त्र दिया है। आज के विश्र्व को एक नया जीवन-दर्शन दिया है तथा समाज एवं राजनीति को एक नया […]
स्वतंत्रता के बाद जिन महान नेताओं ने अपने त्याग, तपस्या, व्यक्तित्व और राजनीतिक चेतना से जनमानस को प्रभावित किया, उनमें लाल बहादुर शास्त्री का नाम बड़ी ही श्रद्घा से लिया जाता है। उनका जन्म किसी बड़े घराने में नहीं हुआ। उनके पास न ही अपार संपत्ति का भण्डार था। अगर उनके पास था तो उनका […]
राष्ट्रीय पिता मोहनदास करमचन्द गांधी का गांधीवाद दशकों का लम्बा अरसा गुजर जाने के बाद आज भी प्रासंगिक है। महात्मा गांधी ने हमेशा अन्याय पर न्याय की विजय के लिए, असत्य पर सत्य की विजय के लिए तथा हिंसा पर अहिंसा की विजय के लिए संघर्ष किया। महात्मा गांधी के जीवन का सिद्घांत सदैव “जियो और […]