मनु स्मृति, महाभारत, ब्रह्मवैवृत्त पुराण, वाराह पुराण, वृहत संहिता, आग्न पुराण, हरिवंश पुराण इत्यादि धार्मिक ग्रंथों में मथुरा से संबंधित आख्यान पढ़ने को मिलते हैं। जरासंघ के बार-बार आामण किये जाने के फलस्वरूप भगवान श्रीकृष्ण ने कूटनीति से मथुरा से द्वारिका गमन का तात्कालिक रास्ता निकाला था। श्रीकृष्ण के द्वारिका गमन के पश्र्चात् मथुरा का […]
वैगे नदी के किनारे स्थित मदुरै नगर काफी सुन्दर है। यह पहले दक्षिण पांड्य देश की राजधानी रहा है। इसकी ख्याति विश्र्वविख्यात मीनाक्षी देवी के मंदिर के कारण है। यह मंदिर नगर के बहुत ही निकट है। यह काफी प्राचीन है। कहते हैं कि यहां शिवलिंग की पूजा सातवीं शताब्दी से ही होती थी। देवी […]
हिन्दुओं के चार धामों में से एक गुजरात की द्वारिकापुरी मोक्ष तीर्थ के रूप में जानी जाती है। पूर्णावतार श्रीकृष्ण के आदेश पर विश्र्वकर्मा ने इस नगरी का निर्माण किया था। यहॉं का द्वारिकाधीश मंदिर, रणछोड़ जी मंदिर व त्रैलोक्य मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। आदिशंकराचार्य द्वारा स्थापित चार पीठों में से […]
देवास टेकरी पर स्थित मॉं भवानी का यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है। लोक मान्यता है कि यहां देवी मां के दो स्वरूप अपनी जागृत अवस्था में हैं। इन दोनों स्वरूपों को छोटी मॉं और बड़ी मॉं के नाम से जाना जाता है। बड़ी मॉं को तुलजा भवानी और छोटी मॉं को चामुण्डा देवी का स्वरूप […]
हिमाचल प्रदेश में चंबा नगर के साथ कलकल बहती रावी नदी के पार लगभग बीस किलोमीटर की दूरी पर बसा है साहू या साहो गॉंव। एक ऐतिहासिक और अपनी तरह का एकमात्र मंदिर यहॉं होने के कारण यह गॉंव अत्यंत प्रसिद्ध है। इस पर्वतीय क्षेत्र में यह मंदिर देवदार के विशाल वृक्षों से घिरा हुआ […]
केदारखंड-उत्तराखंड के चारों धामों में यमुनोत्री, हिमालय के विशाल शिखर के पश्र्चिम में समुद्री सतह से 3185 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। सूर्यपुत्री यमुना का उद्गम यमुनोत्री से 6 कि.मी. ऊपर कालिंदी पर्वत पर है। यह स्थान अधिक ऊँचाई पर होने के कारण दुर्गम है। यहीं पर एक झील है, जो यमुना का उद्गम-स्थल […]
कावेरी नदी के तट पर बसा हुआ कुंभकोणम् नगर दक्षिण भारत का प्रमुख पावन तीर्थ है। यहां प्रति बारहवें वर्ष कुम्भ का मेला लगता है। “कुंभकोणम्’ का संस्कृत नाम “कुंभघोणम्’ है। कहा जाता है कि ब्रह्माजी ने अमृत का घट (कुंभ) यहां लाकर रखा था। उस कुंभ की नासिका (घोणा) में से अमृत की कुछ […]
पहाड़ी नगरी धर्मशाला से आठ-दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित धौलपुर पहाड़ियों पर मैक्लॉडगंज स्थित है। अंग्रेजों के जमाने में यहां लॉर्ड मैक्लॉड की रियासत थी। उनके नाम पर इस क्षेत्र का नाम मैक्लॉडगंज रखा गया। यही क्षेत्र आज भारत में मिनी तिब्बत के नाम से जाना जाता है। 1947 के पश्र्चात अंग्रेजों ने इस […]
कुल्लू का नाम आता है तो नग्गर का स्वतः ही स्मरण हो आता है। हो भी क्यों न, समूचे कुल्लू का इतिहास नग्गर के गिर्द ही घूमता है। इतिहास को जानने वाले इस गॉंव के संबंध में यदि विवरण देना शुरू कर दें तो एक पुस्तक लिखी जा सकती है। सृष्टि के आविर्भाव से लेकर […]