मैं एक अपराधी हूँ और मेरा अपराध है मेरा प्रेम, मेरी पूजा। मैंने प्रेम किया है, इंसान से मैंने पूजा है, मानव को यही मेरा अपराध है मैंने पूजा नहीं किसी पत्थर को, प्रेम नहीं किया, किसी पत्थर से। मैं अपराधी हूँ क्योंकि मैं छुपाना नहीं जानता मैं साधु कहलाता, अगर छुपाना जानता। अपराधी हूँ […]
चेहरे पर उभरी सलवटें, करवट लेता हुआ बिस्तर, कयामत की रात रही होगी। आँखों में सलवटें आ गयीं चेहरे का रंग सुर्ख हो चला ख़्वाब सारे भीगने से लगे। आँखों पर लम्हों के फ़ाहे रख कर सो गये हो पलकों में उनींदी नींद की कतरने दबा लीं अहसास के साये ना जीने दें ना मरने […]
देश हमारा हमको नाज़, नहीं गिरी है सिर पर गाज। हिंसा-हत्या अभी बहुत कम, अभी न कोई वाद-विवाद। अभी नहीं है जंगल राज रात दिवस हम नहीं घुट रहे, आपस में हम नहीं पिट रहे सज़ा मिल रही हत्यारों को, अभी न महॅंगे आलू-प्याज़ अभी नहीं है जंगल राज कट्टर पंथी अभी झुके हैं, आतंकी […]
फिर आ गया ख्याल तेरा ओल्ड एज में वापिस हुआ शबाब मेरा ओल्ज एज में अपनी गुज़र रही है बड़ी एहतियात से तुम भी संभल के रहना ज़रा ओल्ज एज में जो हाई जम्प करते थे अहदे शबाब में करते नहीं हैं चूँ व चरा ओल्ज एज में दीवारें थाम-थाम के चलते हैं अब मगर […]
आप करते जाइये जो हम कहें, आप जो चाहेंगे होता जाएगा आपने हमको अगर खुश कर दिया, आपका प्रतिपक्ष रोता जाएगा टेढा-मेढ़ा काम करने के लिए, आप हमसे बात सीधी कीजिए, सिर्फ सुविधा शुल्क देते जाइये, कार्य सुविधाजन्य बनता जाएगा। अब हमें कानून मत सिखलाइये, खेलते हैं रोज़ हम कानून से आप चाहेंगे तो सुलझेगा […]
बंद हुआ अब धूल गुब्बार, सूरज का उतरा बुखार। इंद्रदेव की उतरी सेना, छा गया नभ का कोना-कोना। उमड़-घुमड़ बादल आए। ढेरों सारा पानी लाए। धरती मॉं की शान निराली, चहुं ओर फैली हरियाली। झिंगुर मेंढक गीत सुनाते, दादा-दादी नहीं नहाते। पंखा-कूलर पाए आराम, लस्सी-कोला के घट गए दाम। भली लगे ठण्डी पुरवाई, बड़े शान […]
वर्षा की पहली बूँद, लगती है अति प्यारी। स्वागत करते हैं इसका, सब ही मिलकर भारी। भीषण गर्मी की तपन यह, जब आती पहली बौछार। जड़ चेतन अंबर सब, मनाते जैसे कोई त्योहार। सूखे धानों को जब मिलता अमृतमय शीतल पानी। तृप्त हो जाती है धरा, इस बूँद का न कोई सानी। ज़िंदगी जिंदगी […]
ठुम्मक-ठुम्मक छड़ी घुमाती, जादूगरनी की वह नाती। टोना खूब चलाए निंदिया, पलकों पर जब आए निंदिया। फुटपाथों पर या बिस्तर पर, बाहों का तकिया दे सिर पर। सुख की सैर कराए निंदिया, कौन देश से आए निंदिया। सांझ समय लोरी सुनवाती, थपकी देती और सुलाती। रच-रच स्वप्न दिखाए निंदिया, पलकों पर जब आए निंदिया। दबे […]
जीवन की महिमा जानें, जलते हुए चिरागों से। अभी वक्त है कर लो बच्चों, सच्चा प्रेम किताबों से। अच्छी-अच्छी किताबों में, जीवन की सच्चाई है। ज्ञान का विस्तार लिये, अनुभवों की गहराई है। भीनी खुशबू लेकर आती, नंदन वन के बागों से। अभी वक्त है कर लो बच्चों, सच्चा प्रेम किताबों से…। छोटी-सी पुस्तक में […]