कहते हैं कि इस दुनिया में चोरों की कमी नहीं। कोई अंडा चोर, कोई मुर्गी चोर! आदमी सोचने लगता है कि पहले मुर्गी हुई थी या अंडा यानी आदमी की फितरत से भ्रष्टाचार उपजा अथवा भ्रष्टाचार ने आदमी की फितरत को बदला। यह विकास की राह भी बड़ी टेढ़ी-मेढ़ी है। आदमी जहॉं से चलता है, […]
हाल ही में मुझे कुतुब मीनार देखने का मौका मिला। देखनी तो पहले चाहिए थी, पर संयोग ही नहीं बना। मीनार की खूबसूरती की सराहना किये बिना कौन रह सकता है? मेरा मन भी उसे निहार कर मुग्ध होता रहा। सचमुच यह मीनार हमारी वास्तुकला का गज़ब का सबूत है। पर वहॉं जाकर आपके मन […]
क्यों बे, लड़कियॉं छेड़ने आया था होटल में? सिपाही ने उसे गले से पकड़ कर धक्का दिया। वह तो वैसे ही लड़खड़ा रहा था। इस धक्के से थाने के फर्श पर गिर पड़ा। फिर भी बच गया। उसका सिर मेज से छू तो गया, किन्तु उसे टकराना नहीं कह सकते। टकराता तो सिर फटता और […]
चिंतामणि बहुत झल्लाए हुए थे। किसी परिचित का हॉस्पिटल बिल अपने समाजवादी झोले में अन्यान्य अल्लम गल्लम लिटरेचर के साथ कुछ उसी तरह जमा करके रखा हुआ था, जैसे ग़रीबी की रेखा से नीचे वाले परिवारों के सदस्य, सरकारी फ़ाइलों में पड़े रहा करते हैं। बड़े दिनों बाद मिले थे। सो छूटते ही बोले, गुरू, […]