भारी मत से हरा शेर को बिल्ली जी मुसकाई, सब चूहों को झॉंसा देकर प्रेस वार्ता बुलवाई। बोली-हिंसा धर्म न मेरा न चूहों को खाऊँगी, लेकिन इतना याद रखो तुम जब चाहो तब आऊँगी। अगर नहीं आ पाई तो फिर तुमको आना होगा, भूख लगेगी अगर मुझे तो भोजन मेरा बन जाना होगा।
चंदा-मामा, चंदा-मामा, पूछें एक सवाल। दोगे उसका ज़वाब? तुम आधे महीने ड्यूटी पर आते, बाकी दिन कहॉं रहते? देखो-देखो, हो गयी सिट्टी-पिट्टी गुम, लगता है नहीं दोगे ज़वाब तुम। नहीं दोगे ज़वाब, तो सुनो हमारा ऐलान, नीले आकाश और तारों से, शिकायत करेंेगे, धरना देंगे, भूख हड़ताल करेंगे। फिर भी न माने तो, तुम्हें मामा-मामा […]
गर्म हवा की छड़ी उठा, गुस्से में गर्मी आई, धूल-मिट्टी आँखों में आई। छक्के-चौके सूरज मारे, चाय और काफी छूटी जाए, कुल्फी-लस्सी ही इतराए। गला सूख हुआ कांटा, गर्म हवा का पड़ा जो चॉंटा मौसम ने बदले रंग-ढंग। गर्मी ने तो प्यास बढ़ाई। गुस्से में गर्मी आई…..।
सद्गुण न हो तो रूप व्यर्थ है, विनम्रता न हो तो विद्या व्यर्थ है, उपयोग न हो तो धन व्यर्थ है, साहस न हो तो हथियार व्यर्थ है, होश न हो तो जोश व्यर्थ है, जोश न हो तो जवानी व्यथर्र् है, परोपकार न हो तो जीवन व्यर्थ है।
वो गुरु ही तो है जिसने हमें विद्या धन दिया, एक-एक अक्षर से शुरू कर पुस्तक पढ़ना सिखा दिया। विद्या बिना मानव पशु जैसा होता है, कैसे भुला सकते हम जिसने नवोन्मेषी ज्ञानवान बना दिया। विनय से विद्या आती अकड़ से कुछ नहीं आता गोविंद से बड़ा गुरु है। गुरुभक्ति ही तो है जिसने एकलव्य […]
रंग-बिरंगे पंखों वाली, कितनी सुंदर प्यारी तितली। उपवन के जीवन में इसने, कई बहारें देखी हैं। सांसों की मीठी धड़कन में, कई फुहारें देखी हैं। फूलों पर उड़ती रहती है, सबसे लगती न्यारी तितली। रंग-बिरंगे पंखों वाली, कितनी सुंदर प्यारी तितली। मौसम की मस्ती में बहकर, इसने रंग दिखाए हैं। सुंदर सपनों की दुनिया में, […]
भारत माता का मंदिर यह, समता का संवाद जहॉं! सबका शिव कल्याण वहॉं है, पावें सभी प्रसाद यहॉं!! समानता की सीख सिखाता, न्याय का यह मंदिर कहलाता! हम भारत की शान हैं बच्चे, भारत मॉं की संतान हैं बच्चे!!
छुट्टियॉं हो गईं प्यारे बच्चों बंद हुए हैं स्कूल, दादा का घर खुला है निस दिन अब भी न जाना भूल। कभी तो आओ यहॉं जहॉं पर बूढ़े नीम के पेड़, माना ए.सी. नहीं लगे हैं छांव घनी है ढेर। मैं अब भी घोड़ा बन सकता घुमा लाऊँगा गॉंव, थक कर लौटोगे, दाबूँगा नन्हें-नन्हें पॉंव। […]