चन्दा मामा
आसमान में निकले तारे! चन्दा मामा कितने प्यारे!! देखो इनकी शान निराली! सूरत कितनी भोली-भाली!! रोज सवेरे छुप जाते हैं! जैसे हमसे शरमाते हैं!! आओ चन्दा मामा आओ! अपने घर की बात सुनाओ!! – राजेश रामदास सतपते
आसमान में निकले तारे! चन्दा मामा कितने प्यारे!! देखो इनकी शान निराली! सूरत कितनी भोली-भाली!! रोज सवेरे छुप जाते हैं! जैसे हमसे शरमाते हैं!! आओ चन्दा मामा आओ! अपने घर की बात सुनाओ!! – राजेश रामदास सतपते
बंद हुआ अब धूल गुब्बार, सूरज का उतरा बुखार। इंद्रदेव की उतरी सेना, छा गया नभ का कोना-कोना। उमड़-घुमड़ बादल आए। ढेरों सारा पानी लाए। धरती मॉं की शान निराली, चहुं ओर फैली हरियाली। झिंगुर मेंढक गीत सुनाते, दादा-दादी नहीं नहाते। पंखा-कूलर पाए आराम, लस्सी-कोला के घट गए दाम। भली लगे ठण्डी पुरवाई, बड़े शान […]
वर्षा की पहली बूँद, लगती है अति प्यारी। स्वागत करते हैं इसका, सब ही मिलकर भारी। भीषण गर्मी की तपन यह, जब आती पहली बौछार। जड़ चेतन अंबर सब, मनाते जैसे कोई त्योहार। सूखे धानों को जब मिलता अमृतमय शीतल पानी। तृप्त हो जाती है धरा, इस बूँद का न कोई सानी। ज़िंदगी जिंदगी […]
ठुम्मक-ठुम्मक छड़ी घुमाती, जादूगरनी की वह नाती। टोना खूब चलाए निंदिया, पलकों पर जब आए निंदिया। फुटपाथों पर या बिस्तर पर, बाहों का तकिया दे सिर पर। सुख की सैर कराए निंदिया, कौन देश से आए निंदिया। सांझ समय लोरी सुनवाती, थपकी देती और सुलाती। रच-रच स्वप्न दिखाए निंदिया, पलकों पर जब आए निंदिया। दबे […]
जीवन की महिमा जानें, जलते हुए चिरागों से। अभी वक्त है कर लो बच्चों, सच्चा प्रेम किताबों से। अच्छी-अच्छी किताबों में, जीवन की सच्चाई है। ज्ञान का विस्तार लिये, अनुभवों की गहराई है। भीनी खुशबू लेकर आती, नंदन वन के बागों से। अभी वक्त है कर लो बच्चों, सच्चा प्रेम किताबों से…। छोटी-सी पुस्तक में […]
ऐसा कम ही होता है कि आप किसी के विवाह में जाएँ और आपका मुँह गालियों से भर जाए। पर आजकल मेरे साथ यही हो रहा है। एक तो आजकल शादियों का सीजन है और लोग थोक के भाव कार्ड छपवा कर बांटने लगे हैं। किसी भी शादी की दावत में चले जाओ, पार्किंग से […]
रिमझिम आयी बरखा नभ में कड़ाकड़-कड़ बिजली चमकी काले-काले बादल छाये रे रिमझिम-रिमझिम आयी बरखा ठंडी चली पुरवाई रे बीत गये अब दिन गर्मी के नहीं रहे गर्म लू के झोंके ताप मिटा धरती का जन-जीवन में खुशहाली रे कब से आंगन में रिमझिम बरखा बरस रही कानों में रस घोल रही झरझर-झरझर जैसे लयतालबद्ध […]
गुनगुनी-सी हवा है बहूँ ना बहूँ अजनबी वेदन है सहूँ ना सहूँ मुस्कुराते हुए गीत और छन्द में अनमनी सी व्यथा है कहूँ ना कहूँ? जिन्दगी गुनगुनाई, कहो क्या करें? चॉंदनी मुस्कुराई, कहो क्या करें? मुद्दतों की तपस्या है पूरी हुई आप बॉंहों में आईं, कहो क्या करें?
आज का दिन कितना अच्छा है तेरी याद का फूल खिला है मेरी सोच से बाहर आकर तू कितना अच्छा लगता है झगड़ा तो दुनिया से होगा तेरा मेरा क्या झगड़ा है सूख रहा है पेड़ वो, जिस पर तेरा मेरा नाम लिखा है काश! कि तू भी सुनता होता मेरी […]
हीरो-छाप खिलौना नाचता है, गाता है, हॅंसता है और रोता है, आग और पानी का इस पर कोई असर नहीं होता है। टीचर-छाप पेन मजबूरी का नाम महात्मा गांधी इस सिद्धांत पर बनता है, छः-छः महीने बिना स्याही के भी बिना रुके चलता है – घनश्याम अग्रवाल