भले ही आज का बौद्घिक समाज गांधी और गांधी के विचार की उपयोगिता और प्रासंगिकता पर सवाल खड़ा करे, लेकिन बहुत गहराई में टटोलने पर लगता है कि जिन सवालों ने आज हमें घेर रखा है, उन सवालों का जवाब अगर किसी एक आदमी के पास है तो वह निश्र्चित रूप से गांधी हैं। पिछली […]
जिस तरह से धान की बालियॉं बड़ी होने के लिये बोने वाले के गुणों की अपेक्षा नहीं करतीं, वैसे ही मनुष्य विकास करने के लिये जीवन के उतार-चढ़ाव की परवाह नहीं करता। वह निरंतर विकास की कामना के साथ प्रयत्नशील और अपनी लक्षित मंजिल की ओर गतिशील रहता है। वह अपने समुज्वल भविष्य हेतु वर्तमान […]
मैं और मेरा एक दोस्त दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैम्पस कम्पाउंड में स्थित शंकर ऑडीटोरियम में एक सेमिनार अटेंड करने गये थे। हम लोग जल्दी पहुंच गये थे, इस वजह से ऑडीटोरियम के पास की एक चाय की दुकान में खड़े चाय पी रहे थे। वहां यूनिवर्सिटी के तमाम लड़के खड़े थे। कोई चाय पी रहा […]
वक्त के साथ हम बहुत-सी आदतें विकसित कर लेते हैं, जो हमें आरामतलबी के जाल में फॉंसकर उससे बाहर नहीं निकलने देतीं और हमें हमारी क्षमता के अनुरूप तरक्की नहीं करने देतीं। जल्द ही यह आदतें हमारी समझ का अटूट हिस्सा बन जाती हैं और निर्धारित करती हैं कि हम क्या कर सकते हैं व […]