पिछम धरा में धणी थारो, बन्यो है देवरो। छाजारी छबि न्यारी, हो महाराज॥ मेहर तो करोनी, अजमालजी रा रामा। कलूकाल में राज कियो॥ अमृत बाणी म्हारे आंगनियाँ बोले। घूगरियाँ बाजेला, धणी रे रिमां झिमां॥ टेर ॥ माता रे मेना दे हर रे पिता अजमाल जी। पलना में, अवतार लियो॥ मेहर तो करोनी॥ 1 ॥ दूरां […]
चार दिनों का मेला रे बन्दे। चार दिनों का मेला॥ हाँ रे मन चार दिनों का मेला॥ टेर ॥ सब मेले है जीते जी के, काम ना आवे कोई किसी के रंग सुनहरे फिर भी फिके, वक्त पड़ा तो बीच नदी के भाई ने भाई को ढ़केला॥ 1 ॥ जिक्र सुनाऊँ, था एक बादशाह, देर […]
तन के तम्बुरे में दो साँसों के तार बोले। जय सियाराम राम जय राधेश्याम श्याम॥ जय सियाराम राम जय राधेश्याम॥ अब तो इस मन के मंदिर में, प्रभु का हुआ बसेरा। मग्न हुआ मन मेरा छूटा, जन्म जन्म का फेरा॥ तन की मुरलीया में, साँसों के तार बोले, जय सियारा॥ 1 ॥ लगन लगी लीला […]
आ रिम झिम करती, भीलनी कठी ने चाली रे। शंकर बैठे कैलाश में, बठीने चाली रे॥ टेर ॥ शंकर भोले जमा के गोले, बैठे थे हरि ध्यान में। रिमझिम रिमझिम पायल की, झंकार पडी है कान में॥ रूप देखकर दंग हुवे शिव, सुध बुध खो डाली रे॥ 1 ॥ बोले शंकर सुनो भीलनी, आवो पास […]
ओर आसरो छोड आसरो, ले लियो कूँवर कन्हाई को हे बनवारी आज मायरो, भर जा नानी बाई को॥ टेर ॥ असूर सहारन, भक्ता उबारन, चार वेद महिमा गाई। जहाँ जहाँ भीड़ पड़ी भक्तन पर तहाँ तहाँ आप करे सह पृथ्वी लाकर सृष्टि रचाई, वाराह सत्युग माँहि। आसूर मार प्रह्लाद उबारियो, प्रगट भये खम्बा माँ। वामन […]
जीते लकड़ी मरते लकड़ी, देख तमाशा लकड़ी का। दुनियाँ वालों तुम्हें दिखाये, ये जग सारा लकड़ी का॥ टेर ॥ पैदा हुआ था जिस दिन देखो, पलँग बिछा था लकड़ी का। तुझे झूलने को मँगवाया, वो भी पालना लकड़ी का॥ 1 ॥ खेल खिलौने थे लकड़ी के, हाथी घोड़ा लकड़ी का। जिसे पकड़ कर चलना सीखा, […]
दोहा :- कारिगर करतार की, महिमाँ लखि न जाय। पाँच तीन के मेल से, बँगला दिया बनाय॥ दस दरवाजे का बँगला, कारिगर अजब बनाया। पाँचों रंग भरे बँगले में, एक से एक सवाया सवाया एक से एक सवाया॥ टेर ॥ नेम की नींव धरी ऊँडी, कारिगर करी चुनाई। पून के पत्थर लग रहे इसमें अद्भुत […]
दगा किसी का सगा नहीं, अजमाँ के देख लो। बिना बुलाये आदर नाहीं, कोई जाकर देख लो॥ टेर ॥ बिना बुलाया सति गई अपमान हुआ भारी। क्रोध अग्नि में भस्म किये, जब कोपे त्रिपुरारी॥ महादेव ने वीर भद्रगण, भेजा बलकारी। हुआ यज्ञ विध्वंश दक्ष की जान गई मारी॥ मुखी को ना ज्ञान लगे, समझा के […]