सभी तो माँ के दुनिया छोड़ जाने की राह देख रहे हैं। बुआ कहती है – अरी ओ! तू जल्दी जा। तेरे कारण मेरा घर नहीं बन रहा है। मां चुप रहती है। भाभियां हंसती हैं। मां एक निरीह प्राणी बनकर रह गई है। उसकी बेचारगी चेहरे की एक-एक लकीर में उतर जाती है जैसे […]
अभी मैं अपने क्लिनिक में आया ही था कि बाहर शोर-गुल सुनाई पड़ा। देखा कि कुछ लोग एक 10-12 साल के बच्चे को चोर बताकर लप्पड़-थप्पड़ कर रहे थे। आसपास के ही लोग थे, पता करने पर मालूम हुआ कि यह लड़का पास के एक गुमटी से पैसे चोरी करते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया […]
सिगरेट पीते-पीते ऐश-टे कब भर गयी थी, नरेंद्र को पता ही नहीं चला। उठा और वाशबेसिन से आंखों पर पानी के छींटे मार कर बाल संवारने लगा। बेटे राधू की शादी का बीता दशक उंगली पकड़कर चलने वाली संतान न दे पाया था उसे। कोई मंदिर या दरगाह नहीं छूटी थी, जहां सपरिवार मन्नत न […]
वह जिस लड़की से प्यार करते थे, वह तंग गली में रहती थी। उसके मकान के आगे-पीछे दोनों तरफ गलियां थीं, जो नालियों से अटी हुई थीं और वहां बेजा गंदगी रहती थी। मकान के पीछे की अपेक्षा आगे की गली में सदैव आवाजाही बनी रहती थी। वह गली ठीक बस-स्टाप के पीछे और उसके […]
श्रेणिक महाराज समवसरण में बैठकर प्रभु श्री महावीर स्वामी की देशना का पान कर रहे थे। देशना के पश्र्चात् श्रेणिक राजा ने प्रभु से पूछा, “”प्रभु, मैं मरकर कहॉं जाऊँगा।” प्रभु ने कहा, “”तुम पहली नरक में जाओगे।” प्रभु के मुख से पहली नरक सुनकर श्रेणिक राजा चिन्ता में पड़ गये। स्तब्ध हो गये। प्रभु […]
प्राइवेट टक का डाइवर है कमालुद्दीन। अधिकतर वह घर से बहुत दूर शहर दर शहर ही रहता। टक ही उसका घर बन गई। टाइम-बेटाइम जब घर पहुंचता, तो किसी को उसका पता भी नहीं चलता। उसका घर गली के बहुत अन्दर था। गली में पत्थर बिछे हुए थे, लेकिन उसके कई पत्थर उखड़ गये थे। […]
उस दिन मेरे पापा और हमारे परिवार के अन्य सदस्य बहुत प्रसन्न थे, जब मेरी मम्मी ने अपने गर्भवती होने की सूचना उन सब को दी थी। यहां तक कि मेरी दादी ने सब रिश्तेदारों को लड्डू भी बांटें, क्योंकि यह खुशखबरी दो सालों के लम्बे अन्तराल की निराशा के बाद मिली थी। दो साल […]
आज गांव के सभी लोग उस छोटी-सी पहाड़ी नदी में नहाने के लिये जाने को उतावले थे। बच्चे-बूढ़े भी यहां गांव में रह कर कुएं में नहाना नहीं चाहते थे। युवा लड़के अपनी-अपनी बैलगाड़ियां व छकड़े दुरुस्त कर बैलों को खिलाने में लगे हुए थे, क्योंकि थोड़ी ही देर में गांव का एक बड़ा-सा काफिला […]
एक है जनार्दन मिश्र। शुद्घ शाकाहारी, बिना सुबह नहाए अन्न-जल तक ग्रहण नहीं करते। इनके बाबा (दादा) बनारस में पंडिताई करते थे। पिता को यह पसंद नहीं था, मगर मजबूरीवश उन्हें रामायण बांचनी पड़ती थी। उन्होंने ठान लिया था कि जनार्दन पंडिताई नहीं करेगा। जनार्दन को उन्होंने खूब पढ़ाया-लिखाया एवं डॉक्टर बनाया। उन्हें क्या पता […]
वह कॉलेज से आते ही बिस्तर पर जा लेटा। उसका सारा शरीर बुखार से तप रहा था। वह सहरसा से पटना आया था। उसे पटना के इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला मिल गया था। उसने कॉलेज के समीप ही एक पुराने मकान में एक कमरा किराये पर लिया था। बाकी के तीन-चार कमरे खाली ही थे। […]