कविता करने का नशा किसी भी मादक द्रव्य के नशे से कम नहीं होता है। यह जिस पर छा जाये, उसकी घर-गृहस्थी भी रामभरोसे रहती है। जीवनलाल भी अक्सर कवि-सम्मेलनों में जाते। उनकी कविताएँ भी खूब जमतीं। जब वे श्रृंगार-रस के मधुर गीत सुर में सुनाते, तो सैकड़ों की भीड़ में सन्नाटा पसर जाता और […]
प्रोफेसर विजय मोहन अपने प्रदेश के एक जाने-माने कॉलेज में परीक्षा कंडक्ट करने आए। संस्कृत साहित्य के विद्वान प्रोफेसर अपने कॉलेज में बड़े लोकप्रिय थे। बच्चे उन्हें प्यार से मोहन सर कहते थे। इस कॉलेज में वे पहली बार ही यूनिवर्सिटी परीक्षा कंडक्ट करने आए थे। यहॉं के सीनियर सुपरिटेंडेंट यानी कॉलेज प्रिंसिपल बड़े अनुशासन […]
वैद जैसे ही कार्यालय में पहुँचा, गिरिधारी ने तपाक से कहा – तुम दोगले हो! क्या बकते हो? कह दिया जैसा देखा वैसा। तुम्हें जबान सम्हालकर बात करनी चाहिए। मैं जानता था, तुम सच्चाई बर्दाश्त नहीं कर पाओगे, किन्तु कडुआ सच सहन करने की आदत डाल लोगे तो तुम्हें तकलीफ नहीं होगी, गुस्सा भी नहीं […]
बाबूजी, आखिर आप भी चले ही गये। इस चुस्त-दुरुस्त देह से लड़ते हुए आप भी हार गये। नहीं-नहीं! आप हारे नहीं बाबूजी, आप तो जीत गये। इस देह को तो आपने स्वयं ही छोड़ा होगा। अगर बात हारने वाली होती तो अम्मा के जाते ही आप भी कहीं टूट जाते। सोचा तो सभी ने यही […]
एक जाट गणेश जी की पूजा किया करता था। एक दिन सुबह देखा कि गणेश जी के सिर पर चूहा बैठा है। उसने सोचा, मैं इतने दिन समझ रहा था कि गणेश जी से बड़ा और कौन होगा? किन्तु यह चूहा इनसे भी बड़ा है। वह चूहे की पूजा करने लगा और उसे विविध मिठाइयॉं […]
रमणू अभी-अभी गाय-भैंस चराकर लौटा ही था कि अम्मा ने दुअन्नी देकर नमक तथा गुड़ लाने के लिए लाला की दुकान पर दौड़ा दिया। रमणू भाई-बहनों में सबसे बड़ा था। उसे मदरसे का मुँह देखना नसीब नहीं हुआ। उसके हिस्से में गाय, भैंस तथा खेतीबाड़ी का काम ही आया। दिमाग का धनी रमणू जब अपने […]
एक ऊंची चिमनी हमारी खिड़की और छत से साफ दिखती थी। उसके ऊपर से भूरा धुआं निकल कर आसमान पर फैलता रहता था। फैलने के बाद धुएँ का रंग गुलाबी हो जाता था। मां बताती है कि घर से आते-जाते यह गुलाबी आसमान एकदम सामने दिखता था। जिन दिनों वहां काम लगातार होता, हरेक घर […]
सुबह पार्क में घूमते वक्त अचानक उर्मि ने कहा, आप माँ जी को क्यों नहीं बुला लेते? यहॉं पर हर तरह से उन्हें अच्छा लगेगा। घूमने को साफ-सुथरे पार्क हैं। उनकी पसंद का भोजन मैं खुद पकाकर दूंगी। बच्चों का साथ भी माँ जी को अच्छा लगेगा और हमें भी इस बहाने उनकी सेवा का […]
जी हॉं, मैं हूँ ज़िन्दगी के ज़ज्बे से लबालब भरी, जोशो-खरोश से सराबोर छब्बीस वर्षीय युवती श्रुति। आज मेरे लिये ज़िन्दगी नाम है कुछ कर गुज़रने का, आगे बढ़ने का, अपने साथ-साथ दूसरों के लिये भी जीने का। ज़िन्दगी कितनी हसीन, कितनी प्यारी और कितनी अपनी-सी लगती है, जब आपके पास उसे जीने की ताकत […]
सीमा, तुम काफी दिनों से बाहर घूमने जाने के लिए कह रही थीं ना, तो इस रविवार को चलेंगे। मुकेश अखबार के पन्ने पलटते हुए बोला। “”लेकिन बेटा, इस बार तो तुमने मुझे डॉक्टर के पास ले जाना है।” पास बैठी अम्मा ने कहा। “”ओहो! मां जी पिछले महीने ही तो आपका चैकअप करवाया था […]