बच्चे की जान

बच्चे की जान

डॉक्टरी इलाज, गंडा-ताबीज और पूजा-पाठ सभी ने उन्हें पिछले आठ सालों से निराश ही किया। मन मारकर ही सही, धीरे-धीरे उन्होंने बच्चा गोद लेने की ठान ली। थोड़ा खर्च करो तो अनाथालय से स्वस्थ्य-सुंदर ऊँची नस्ल का बच्चा, वह भी लड़का आसानी से मिल सकता है। इसी आशा में वे दंपत्ति आश्रम पहुँचे। पति मैनेजर […]

मनुष्य को पूर्वजन्म के पुण्यों के फल से ही सम्पत्ति मिलती है

मनुष्य को पूर्वजन्म के पुण्यों के फल से ही सम्पत्ति मिलती है

श्रावस्ती नगरी के एक सेठ भोजन करने बैठे थे। उनकी सुशीला पुत्रवधू विशाखा हाथ-पंखे से उन्हें हवा कर रही थी। सेठ आराम से भोजन कर रहे थे, तभी एक बौद्ध भिक्षु उनके द्वार पर आ खड़ा हुआ। बौद्ध भिक्षु ने भिक्षा देने के आग्रह के साथ आवाज लगाई। सेठ ने पुकार पर गौर नहीं किया, […]

किट्टी

किट्टी

ट्रैफिक की बत्ती अचानक लाल हो गयी। ड्राइवर ने जोर से ब्रेक लगाया, तो गाड़ी की मालकिन कमला साहनी ने जोर की डॉंट लगाते हुए कहा, अरे संभल कर चलाओ। मेरा सिर टॉप से टकरा गया है। ड्राइवर इस तरह की डांट खाने का आदी हो चुका था। लाल बत्ती पर रुकी इस होंडा कार […]

खुशियॉं

खुशियॉं

अमन सुनो तो, क्या तुम्हें पता है, मेरी स्प्रे कहां रखी है? मैं नहीं जानता दीदी और वैसे भी आप मुझे अपनी स्प्रे डालने भी देती हैं कभी? छूने तक तो देती नहीं हैं। मैं क्या जानूं आपकी स्प्रे के बारे में। अच्छा-अच्छा रहने दे। तुझे नहीं पता है तो मैं अपने कमरे में ही […]

रोटी

रोटी

आज फिर वही हुआ, थाली में भोजन परोसा ही था कि आंखें नम हो गईं। मिहिर के साथ अक्सर ऐसा ही होता है, थका-मांदा रात्रि को जब लौटता है, तो ऐसा लगता है, जैसे उसे घर काटने को दौड़ रहा हो। बरामदे में चमगादड़ों का निरंतर घूमना जारी रहता है। वह पूरब से पश्र्चिम की […]

अविश्वसनीय रिश्ते

चैनसिंह यादव। हॉं, यही नाम तो बताया था उसने। लंबा कद, नजर का चश्मा, आगे के कुछ दॉंत नकली, नीली शर्ट, काली पतलून और कंधे पर मैली-सी तहमद बिछाए रेलवे स्टेशन के करीब एक दफ्तर के बरामदे में वह लेटा हुआ था। मैं उसकी ऊटपटांग बातों पर कभी विश्र्वास नहीं करता था। जाने क्यों मुझे […]

नेपाल की राजशाही का पतन – एक युग का अंत

अभी वो दिन ज्यादा पुराने नहीं हुए जब नेपाल में राजा को देवी-देवताओं की तरह पूजा जाता था। राजा को विष्णु का अवतार समझा जाता था और उनके दर्शन के लिए आम लोगों की वैसे ही लंबी-लंबी कतारें लगती थीं, जैसे किसी बड़ी मान्यता वाले देवी-देवताओं के मंदिर में लगती हैं। लेकिन अब नेपाल में […]

भीड़ तंत्र

एक दिन सच और झूठ के बीच बहस छिड़ गयी। दोनों अपने आपको सही ठहराने का प्रयास करने लगे। आखिर निर्णय हुआ कि चुनाव करवाया जाये। सच, लोगों को सद्गुणों, नैतिक मूल्यों व ईमानदारी की दुहाई देते हुए अपने पक्ष में वोट डालने की अपील करने लगा, जबकि झूठ ने दोनों हाथों से शराब व […]

तू वहॉं मैं यहॉं

दो अभिन्न मित्र बरसों बाद मिले। एक विदेशी छात्रवृत्ति के सहारे विदेश चला गया था और वहीं का होकर रह गया था, जबकि दूसरा अपने देश की मिट्टी का मोह न छोड़ सका। उसने एक सरकारी संस्थान में टेक्नीकल इंस्ट्रक्टर की नौकरी कर ली। विदेशी मित्र अपने देसी मित्र के घर पहुंचा। चाय पीते हुए […]

परखनली और फाइल

रमेशचन्द्र ने बी.एस.सी में प्रथम श्रेणी पायी थी। इसके बावजूद वे पशोपेश में थे। वे एक मामूली हैसियत के किसान के लड़के थे। उनका रुझान बचपन से ही विज्ञान की ओर था। उनमें प्रतिभा, लगन और महत्वाकांक्षा थी। उन्हें अपने समाज और देश की मिट्टी से प्यार था और वे अपने देश के लिए अपना […]