प्राचीन काल में वेद-वेत्ताओं में श्रेष्ठ कण्डू नामक मुनीश्र्वर थे। जब वह गोमती नदी के परम रमणीक तट पर घोर तप कर रहे थे, तब उनके तपोबल के कारण तीनों लोक जलने लगे। परिणाम स्वरूप इन्द्र को अपना सिंहासन हिलता-डुलता नजर आया। तब इन्द्र ने उनके तप को भ्रष्ट करने का निश्र्चय किया, जिसके लिए […]
इधर देश की आ़जादी को पचासवॉं साल लगा और उधर ज्ञान बाबू की आँखें चिरौटा हो गयीं। कोयलों पर मोहर लगाने वालों ने अशर्फ़ियों की बोरी पर बोरी खोल दी। जो सयाने होते हैं, वे दोनों हाथ उलीचने का कोई मौका नहीं छोड़ते। हमारे ज्ञान बाबू तो ठहरे महा-सयाने, एकदम काने कौवे के माफिक। दोनों […]
एक दिन की बात है, जब जमदग्निनन्दन परशुराम ने अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार पृथ्वी को क्षत्रियों से रहित कर दिया, तब वे अपने गुरु भूतनाथ के चरणों में प्रणाम करने और गुरुपत्नी अम्बा शिवा तथा उनके नारायण-तुल्य दोनों गुरुपुत्रों कार्तिकेय और गणनायक को देखने की लालसा से कैलाश पहुँचे। वहॉं उन्होंने अत्यन्त अद्भुत कैलाशपुरी का […]
एक बार एक भारतीय युवक अमेरिका के एक धनी पुरुष के बुलावे पर उनके घर गया। घर के मालिक ने युवक का खूब सत्कार किया। सुंदर सजे-धजे आरामदायक कमरे में रात को उनके सोने का इंत़जाम किया। परन्तु उस युवक को उस आरामदायक बिस्तर पर नींद नहीं आई। वह रोने लगा। उसका तकिया तक आँसुओं […]
बादशाहों में विभिन्न बूटियों और शिलाजीत इत्यादि के सेवन के बावजूद बेऔलाद मरने का काफी चलन था। शक्की मिजाज बादशाहों को पीर-फकीरों के ताबीज और दुआएँ भी संतानसुख नहीं दे पाती थीं। पुरानी पब्लिक को यूँ तो बादशाहों का संग गॅंवारा नहीं था परन्तु उनके बिना भी उसका गुजारा नहीं था। लिहाजा सम्राट के अंतिम […]
झज्जर जिले के महाभारतकालीन कस्बे बेरी से 12 किलोमीटर दूर गांव माजरा दूबलधन में बेरी-दादरी सड़क मार्ग पर एक बड़ा ही मनोहारी सरोवर है, देवालय। नाम के अनुरूप ही यहां अनेक देवी-देवताओं तथा संत-महात्माओं के मंदिर तथा समाधियां बनी हुई हैं। इस सरोवर का महाभारत काल से ही विशेष महत्व रहा है। इसी सरोवर के […]
इंग्लैण्ड की राजधानी लन्दन से आठ कोस दूर दक्षिण दिशा में एरसम नामक एक छोटा-सा नगर है। यह नगर छोटा जरूर है, लेकिन उसकी सुन्दरता देखते ही बनती है। एरसम में पिट पैलेस महल है। पिट पैलेस सारे इंग्लैण्ड में मशहूर महल के रूप में जाना जाता है। इसी महल में लॉर्ड टॉमस लिटेलिटन शान-शौकत […]
एक समय की बात है, राजा जनक ने योग के द्वारा अपने शरीर का परित्याग कर दिया और दिव्य-देह से विमान पर आरूढ़ होकर चल दिये। जब राजा जनक धर्मराज की संयमनी पुरी के निकटवर्ती मार्ग से जा रहे थे, उस समय करोड़ों नरकों में जो पापाचारी जीव यातना भोग रहे थे, वे जनक के […]
विचित्र इतिहास, रोचक परंपराओं, जनश्रुतिओं और मिथकीय घटनाओं से भरपूर कल्लू जनपद का लोक-जीवन अपने आपमें अध्ययन व शोध का विषय है। यहॉं मनाये जाने वाले मेलों के पीछे देवी-देवता का ही कोई न कोई प्रसंग जुड़ा रहता है। कुल्लू के एक गांव शिरढ़ में प्रतिवर्ष एक मेला लगता है, जिसे काहिका के नाम से […]
माना जाता है कि रामकथा के अमर गायक गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्म राजापुर गॉंव में हुआ था, जो अब उत्तर-प्रदेश के बांदा जिले में है। जहां गोस्वामी जी का जन्म हुआ, अब वहां एक मंदिर बना दिया गया है। वहॉं भगवान राम और लक्ष्मण के साथ-साथ जगतजननी सीता जी की भी मूर्ति प्रतिष्ठित है। […]