डील ही डील

यह पंक्तियां लिखे जाने तक स्पष्ट नहीं हो पाया था कि विश्र्वासमत का ऊँट किस करवट बैठेगा लेकिन इसके पहले की अफरा-तफरी ने जो ऩजारा दिखाया वह अद्भुत था। प्रस्तुत है, डील पर एक ऩजरिया- डील ही डील, जहां देखो, जहां सुनो, बस डील ही डील। सरकार ने इधर अमेरिका से डील करने के लिए […]

100 करोड़ के देश में दो कौड़ी की राजनीति

कांग्रेस, सपा और वामपंथियों के बीच जो आंखमिचौनी विगत दिनों में चली है, उसने भारतीय राजनीति को निर्वसन कर दिया है। भारत की जनता ने हमारे नेताओं और दलों का घिनौना रूप खुल कर देखा। विचारधारा, सिद्घांत, निष्ठा, शिष्टता- जैसे मूल्य कचरे की टोकरी में चले गए। अपने-अपने स्वार्थ और अहंकार के पोषण को राष्टहित […]

गतांक से आगे…

“”प्रेरणा! प्रेरणा मुझे अपने खोए हुए बच्चे की पीड़ा से मिली। मैंने इलाज के अभाव में अपना बच्चा खो दिया और तभी से इस अनुष्ठान में लगी हूँ। एक मिशन है मेरा, कोई बच्चा इलाज के अभाव में असमय ही काल का ग्रास न बने।” फिर एक प्रश्र्न्न उछला, “”आपका लक्ष्य क्या है?” “”मुस्कुराहट बिखेरते […]

यह राष्टीय शर्मिंदगी का विषय है

किसी भी व्यक्ति, समाज या देश के लिए शर्म की बात क्या हो सकती है, इस प्रश्र्न्न का सीधा उत्तर देना आसान नहीं है, फिर भी इतना तो कहा ही जा सकता है कि वह जिससे व्यक्ति, समाज या देश की प्रतिष्ठा पर आँच आती हो, जिससे स्थापित मूल्यों-आदर्शों का हनन होता हो, जिससे मानवीय […]

ओबामा की राह में रोड़े

इस बार अमेरिकी राष्टपति चुनाव में इतिहास तो रचा ही जायेगा, राष्टपति चाहे कोई भी बने। मेक्केन यदि राष्टपति बनते हैं तो वह अमेरिकी इतिहास के सबसे बुजुर्ग राष्टपति होंगे। अमेरिका में मूल्य वृद्घि और इराक युद्घ के कारण बुश प्रशासन के विरुद्घ वातावरण है। इसके बावजूद यदि मेक्केन राष्टपति चुने जाते हैं तो यह […]

नेपाली माओवादियों की भारत में दस्तक

पहले से ही नक्सली हिंसा से ग्रस्त भारत में नेपाली माओवादियों की दस्तक से केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और पुलिस-प्रशासन के होश उड़ गए हैं। नेपाल में हथियार छोड़ कर संसदीय लोकतंत्र में शामिल हुए माओवादियों के प्रमुख नेता पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड से नाराज माओवादी भारत को अपना ठिकाना बनाने लगे हैं। माओवादियों […]

अर्थव्यवस्था के संदर्भ में प्रधानमंत्री के आश्र्वासन

प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने लोकसभा में वैश्र्विक स्तर पर व्याप्त मंदी का प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ने की आशंका जताई है। लेकिन उन्होंने इस प्रभाव को अस्थायी माना है और देशवासियों को इसका मुकाबला करने को तैयार रहने को भी कहा है। उन्होंने देश को मजबूत बैंकिंग प्रणाली के प्रति आश्र्वस्त रहने का […]

पुत्रों रक्षति वार्धक्ये

मनुस्मृति की एक पंक्ति अक्सर उद्यृत की जाती है- पुत्रो रक्षति वार्धक्ये। यानी वृद्घावस्था में पुत्र रक्षा करता है। किसका? मनु की पंक्ति का उद्देश्य यह बताना है कि स्त्री का संरक्षण बाल्यावस्था में पिता द्वारा, यौवन में पति द्वारा और बुढ़ापे में पुत्र द्वारा किया जाता है। पूरा श्लोक इस प्रकर है- पिता रक्षति […]

रूल्स आर फॉर फूल्स!

सरकार का मानना है कि सरकार नियम और कानून के सहारे चलती है, लेकिन नौकरशाही का मानना है कि नियम-कायदे केवल मूर्खों के लिए होते हैं, बुद्घिमानों के लिए नहीं। बुद्घिमान इनका तोड़ ढूँढ़ ही निकालते हैं। इसलिए नियम-कानून आम जनता पर लागू होते हैं, नौकर-शाहों और बाहुबलियों पर नहीं। सरकार नियम-पुस्तकों में दिये गये […]

नासूर बनती नाकामी

यह लाचारी की पराकाष्ठा है कि बार-बार एक ही सवाल पूछा जाय और जवाब दे पाना संभव न हो। मगर पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) की स्थिति ऐसी ही है। मई महीने में जब जयपुर में श्रृंखलाबद्घ कई बम धमाके हुए और 80 से ज्यादा लोग मारे गए तो कहा गया कि यह खुफिया एजेंसियों की चूक […]

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