क्या होगा इस देश का

बाबा जी का एक दर्जनिया बम-ब्लास्ट का जंतर-मंतर सुरक्षा-कवच अब पच्चीस-पच्चीस बम-ब्लास्टों के लिए कम पड़ता नजर आया तो प्रोफेसर शंकादीन के आतंकी भय ने उन्हें अपने घर में कैद कर दिया। लेकिन अब जब देश की आलाकमान से लेकर देश की आंतरिक सुरक्षा के निगहबान, मियां मुशर्रफ के इस्तीफे से विधवा नजर आने लगे, […]

कहानी हैदराबाद की

जिस तरह सुल्तान अपने पिता और ससुर से भिन्न था, उसी तरह अब्दुल्लाह अपने पिता से बिल्कुल अलग था। एक संयमी, गंभीर पुत्र में पिता जैसी कोई बात नहीं थी बल्कि उल्टा वह तो ज़िन्दगी का हर म़जा उठाना चाहता था। अब्दुल्लाह अभी नाबालिग था और हयात उसके स्वभाव को अच्छी तरह जानती थी। उसके […]

जापान का शिंतो धर्म

शिंतो, जापान का देशज व राष्टीय धर्म है, लेकिन इसका नाम चीनी भाषा का है। चीनी में “शेन-ताओ’ देवताओं के मार्ग को कहते हैं। इसी “शेन-ताओ’ शब्द का संक्षिप्त व विकृत रूप है शिंतो। इस धर्म को जापानी में “कामी नोमीचीं’ भी कहते हैं। कामी का अर्थ है-शानदार, चमत्कारी, दिव्य आदि। कोई भी ची़ज या […]

मोबाइल क्रांति

जब गांव-गांव हो उजियारा तब अपना भारत बनता है… इस प्रमोशनल सांग्स के जरिए सरकार गांवों को शहरों से जोड़ने की कोशिश कर रही है। सड़कें, बिजली, पानी, रोजगार और संचार इन्हीं साधनों के माध्यमों से गांवों को शहरों से जोड़कर एक नये भारत को बनाने की मुहिम जारी है। इस मुहिम में मोबाइल कंपनियां […]

सिमी यानी आतंकवाद का ईंधन

सिमी के समर्थक तथाकथित लाल बुद्घिजीवियों, पत्रकारों और राजनीतिक दलों को सिमी प्रमुख सफदर नागौरी का इंडिया टुडे के 2 अप्रैल, 2003 के अंक में छपा साक्षात्कार ़जरूर पढ़ना चाहिए। सफदर नागौरी ने अपने साक्षात्कार में साफ तौर पर कहा था कि हिन्दुस्तान को सबक सिखाने के लिए आज मोहम्मद गजनवी की आवश्यकता है। मुसलमानों […]

सरकारी नीतियां हैं महंगाई न थमने का कारण

हाल में (17 जुलाई, 2008 को) जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले सप्ताह से भी आगे बढ़ती हुई महंगाई 11.91 प्रतिशत तक पहुँच चुकी थी। और अभी कुछ ही समय पहले यह 12 का आंकड़ा पार कर चुकी है। महंगाई को रोकने हेतु सरकार द्वारा अपनाये जा रहे सारे प्रयास विफल होते दिखाई दे रहे […]

क्या सामयिक है तीन सौ सत्तर का मुद्दा?

भारतीय जनता पार्टी ने अपने पिछले शासनकाल में भले ही अपने राजग के अन्य सहयोगियों के दबाव में जम्मू-कश्मीर से संबंधित धारा 370 को नेपथ्य में डाल दिया था, लेकिन 2009 के चुनावों के पहले वह इस मुद्दे को अपनी राजनीति के केन्द्र में रखने का मन बना चुकी लगती है। जम्मू-कश्मीर राज्य की स्थिति […]

आह वर्षा! वाह वर्षा! हाय वर्षा!

वर्षा का आना एक खबर है। वर्षा का नहीं आना उससे भी बड़ी खबर है। वर्षा नहीं तो अकाल की खबर हो जाती है। कल तक जो अकाल को लेकर चिल्ला रहे थे वे ही आज वर्षा के आगमन पर हर्ष की अभिव्यक्ति कर बाढ़-बाढ़ खेल रहे हैं। जो नेता-अफसर अकाल की सेवा में थे […]

युद्ध और शांति की नई बिसात

हालांकि ईरान बार-बार यह दोहराता आ रहा है कि उसका परमाणु कार्याम हथियारों के लिए नहीं बल्कि अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए है, लेकिन पश्र्चिमी देश उसकी इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं हैं। ईरान से सबसे ज्यादा खतरा इ़जराइल महसूस करता है। इसलिए इस वर्ष जून में इ़जराइल ने […]

वृद्घ दम्पत्तियों पर कहर

यदि सामाजिक परम्पराएं एवं आदर्श अपनी ही जड़ें खोदने लगें, तो समाज के पास रह ही क्या जाएगा? पत्तों का अस्तित्व तब तक ही हरा-भरा है, जब तक वे वृक्ष की डालियों से जुड़े रहते हैं, शाख से टूटते ही उनके अस्तित्व पर प्रश्र्न्नचिह्न लग जाता है। आदिकाल से लेकर वर्तमान तक सभी समाज सुधारक […]

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