सितम्बर आते ही मुझे हिन्दी की चिन्ता सताने लगती है। बेचारी राष्ट-भाषा होते हुए भी पिछड़ी हुई है। हर कोई आंग्ल-भाषा में गिटर-पिटर करना चाहता है। इस बेचारी से बिना दहेज लाई दुल्हन-सा व्यवहार किया जाता है और अंग्रेजी को शादी में खूब दहेज लाई दुल्हन की तरह सिर-आँखों पर बिठाया जाता है। इसका अन्दा़जा […]
किसी को गरीब कहने का क्या मतलब होता है? एक मतलब तो वह बेचारा है यानी असहाय, जो या तो अपनी स्थितियों का मारा है या अपनी करनी का। गरीब का दूसरा मतलब है- वह, जिसके पास खाने को रोटी नहीं है, पहनने को कपड़ा नहीं है, रहने को घर नहीं है। बेचारा यह भी […]
दिल्ली एक बार फिर आतंकवादी निशाने पर आ गई है। शनिवार के दिन शाम अभी ढली ही थी कि शहर के तीन भीड़भाड़ वाले इलाकों में एक के बाद एक 5 बम-विस्फोटों ने 26 लोगों की जिन्दगियॉं मौत के हवाले कर दीं और 70 से ज्यादा लोग घायल हो गये। इसके पहले भी दिल्ली सन् […]
अभी हाल ही में जब विश्र्व में छाई आर्थिक मंदी और बेहद तीव्र गति से बढ़ती महंगाई के कारणों और परिणामों की विवेचना और विश्र्लेषण किया जा रहा था तो ऐसे में अमेरिकी राष्टपति के बयान और विचारों ने एक नई बहस को जन्म दे दिया। अमेरिकी राष्टपति ने कहा कि विश्र्वभर में बढ़ती महंगाई […]
अफगानिस्तान इतिहासबद्घ अराजकता का दूसरा नाम है। इतिहास का कोई ऐसा दौर नहीं रहा जब यहां की सरजमीं लहूलुहान न रही हो। थोड़ी देर का भ्रम भले काबुल में आसीन कोई सरकार पैदा करे, लेकिन हकीकत यही है कि पूरे अफगानिस्तान में किसी भी एक ताकत का कभी शासन न तो रहा है और न […]
बढ़ती महॅंगाई का मुद्दा लगता है राजनीति के परिदृश्य से बाहर चला गया है। अभी ज्यादा दिन नहीं हुए जब इस मुद्दे पर वामपंथी आसमान सिर पर उठाये हुए थे और विपक्ष की भाजपा तमतमायी हुई ़जमीन पर अपने पॉंव पटक रही थी। वामपंथियों और भाजपाई दोनों ने दो-चार दिन यहॉं-वहॉं कुछ धरना-प्रदर्शन कर खानापूरी […]
दुनिया में सारे सुख मिल जाएं तो जरूरी नहीं है कि शांति भी प्राप्त हो जाए। ये दोनों अलग-अलग बातें हैं। मन की शांति दूसरों के दुःखों को दूर करके भी प्राप्त की जा सकती है। इस संबंध में एक कथा है। एक राजा थे। वे अशांत स्वभाव के थे। एक बार उनके नगर में […]
जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा श्रीअमरनाथ श्राइन बोर्ड को दी गई जमीन वापस लेने के बाद कश्मीर फिर हिंसा एवं उग्र प्रदर्शनों की चपेट में आ गया है। जम्मू में विरोध प्रदर्शन इतना उग्र हुआ कि कर्फ्यू लगानी पड़ी। घाटी में अलगाववादी इसे अपनी जीत मानकर खुशियां मना रहे हैं। हुर्रियत कॉनेंस के एक धड़े के नेता […]
जागो बुद्घिजीवियों जागो, कब तक अपना सब कुछ बेचकर सोते रहोगे। देश संकट में है, देश की संस्कृति घोर संकट में है। संकटमोचक बनो, उद्घार करो, कब तक डरते रहोगे, किससे डरते हो? लोगों में दोहरी मानसिकता पनप रही है, उसे इकहरी बनाओ। समय आ गया है कि बुद्घिजीवी वर्ग भय त्यागकर सामने आए। अब […]
न्यूक डील एक बार फिर नये विवाद में उलझ गई है। इस विवाद ने एक बार फिर भारत सरकार और प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की स्थिति को असहज बना दिया है। उन पर दायें बाजू की भाजपा और बायें बाजू के वामपंथियों का हमला एक साथ फिर शुरू हो गया है। बात बस इतनी है […]