आजकल बाजार में पैर रखना खुद को ठगने के लिए प्रस्तुत करने से कम नहीं है। रोजमर्रा की जिन्दगी में पत्र-पत्रिकाओं में, दूरदर्शन पर “जागो ग्राहक जागो’ के विज्ञापन तो बहुत आते हैं परंतु जो उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करते हैं, यानी उपभोक्ता मंत्रालय कितने सचेत हैं, कितने जागरूक हैं कि विोता के ठगे […]
वर्ष 2008 में जो राजनीतिक रूझान देखने को मिले उनसे यह अंदाजा बखूबी लगाया जा सकता है कि 2009 जिसमें नई लोकसभा का गठन होगा, में सियासी संभावनाएं क्या रहेंगी। वर्ष 2008 कई मायनों में भविष्य की राजनीति के लिए मार्ग दिखाने वाला रहा। इसलिए यह कहा जा सकता है कि वर्ष 2009 में राजनीतिक […]
स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में कुछ सप्ताह पूर्व संपन्न विश्र्व जल-सम्मेलन में विद्वानों ने दुनिया को चेतावनी दी है कि अगर हमने संसाधनों की बरबादी पर रोक नहीं लगाई तो वह दिन दूर नहीं जब हमें भारी जल-संकट का सामना करना पड़ेगा। हमारे लोग जब किसी भी तरह के संसाधनों का दुरुपयोग करते हैं तो […]
यकीनन आने वाला नया साल उम्मीदों और खुशियों का तोहफा लायेगा। अपनी जिंदगी को और बेहतर बनाने की इच्छा हर किसी की होती है। हर व्यक्ति कामना करता है कि आने वाला साल उसकी झोली को खुशियों से भर दे। नववर्ष की पूर्व संध्या पर परिवार के साथ होटल जाकर मौज-मस्ती करना आज भी लोगों […]
वर्ष 2008 में बहुत कुछ ऐसा हुआ जिसे हम याद नहीं रखना चाहेंगे। लेकिन एक काम ऐसा भी हुआ है जिसके लिए हम इस साल को हमेशा याद रखेंगे। बहुप्रतीक्षित “शिक्षा का अधिकार’ विधेयक लोकसभा द्वारा पास कर दिया गया है और जब ये पंक्तियां मैं लिख रही हूं, तब इसे राज्यसभा में पेश किये […]
अनेक अवसरों पर संकल्प लेने की प्रथा भारत में सदियों से चली आ रही है। उन संकल्पों के पीछे एक उद्देश्य होता था, जो व्यक्ति के स्वयं के हित में, परिवार के हित में, समाज के हित में हुआ करता था। पिछले कुछ वर्षों से नववर्ष पर भी संकल्प प्रथा भारत में भी आम हो […]
नये साल का स्वागत पूरी दुनिया में जोर-शोर के साथ किया जाता है। नया साल अपने साथ सुख-समृद्घि लाये- इसके लिए हर देश के अपने तरीके हैं, जिनका वह पालन करते हैं। आइये, जानते हैं कि विभिन्न जगहों पर नये साल के स्वागत में को कुछ होता है – इंग्लैंड: यहॉं के निवासियों की मान्यता […]
विनम्र प्रधानमंत्री जी ने विनम्रतापूर्वक महंगाई पर चिन्ता व्यक्त की। वित्त-मंत्री जी ने भी महंगाई पर चिन्तन किया। मुख्यमंत्री जी ने भी महंगाई पर चिन्ता की। इस स्थिति में मेरा भी पुनीत कर्तव्य है कि मैं भी महंगाई पर चिन्ता करूं, चिन्तन करूं, मनन करूं। तो हुजूर पाठकान, मैं आपके चिन्तन को भी आमंत्रित करता […]
किसी फिल्मी गाने का यह अंश शायद आपके मन में कभी-कभी प्रतिध्वनित होता रहा होगा – दुनिया में हम आए हैं तो जीना ही पड़ेगा… जीवन है अगर जहर तो पीना ही पड़ेगा… एक कविता में इसी सबको कुछ दूसरे ढंग से व्यक्त किया गया है – विहंसते मुर्झाने का फूल… श्रीमद्भगवद् गीता उद्घोषित करती […]
मुंबई की सड़कों पर तोड़-फोड़ करने वालों, गुजरात के साम्प्रदायिक दंगों में निरीह लोगों पर हथियार उठाने वालों, उड़ीसा में धर्मांतरण के नाम पर अत्याचार करने वालों और धर्म के नाम पर जेहाद का नारा लगाने वाले आतंकवादियों में क्या समानता है? इस सवाल का एक जवाब यह है कि उनमें से अधिसंख्य युवा हैं […]