राजनीति की बिल्ली, बड़ी चिबल्ली

राजनीति की बिल्ली, आदिकाल से बड़ी चिबल्ली रही है। उसके गले में घण्टी बांधे तो कौन और कैसे? सदा से वह ऊँचे सिंहासन पर बैठती जो रही है। पहले राजा स्वेच्छाचारी होता था। चापलूसों से घिरा रहता था। सुरा-सुन्दरी में डूबा रहता था। वह निरंकुश शासक था। मंत्री, आज राजा कहलाता है। वह कुर्सी रूपी […]

फिर कभी का क्या मतलब?

गृहमंत्री चिदम्बरम का एक बयान आया है। उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान की ओर से भारत को यह पक्की गारंटी मिलनी चाहिए कि 26/11 को हुए मुंबई के आतंकी हमले जैसा कोई हमला पाकिस्तान की ़जमीन से फिर कभी नहीं होगा। उनका यह भी कहना है कि अगर ऐसा हुआ तो उसे बड़ी कीमत चुकानी […]

शुक्र है सरकार जागी तो सही

हम राष्ट्रीय जॉंच एजेंसी बनाने और गैरकानूनी गतिविधियों में संशोधन को देर से ही सही, सही कदम मानते हैं। शुक्र है सरकार के कान पर जूँ तो रेंगी, सरकार जागी तो सही। सुबह का भूला घर तो आया, देर से ही भले, आया तो। साथ ही हम हमारे सांसदों और मंत्रियों से अपेक्षा करते हैं […]

राष्ट्र धर्म में धर्मसापेक्षता की दखलअंदाजी

हमारे संविधान में “धर्मनिरपेक्ष’ शब्द है, जिसका अर्थ है – किसी धर्म विशेष से पक्षपात नहीं। सभी धर्मों को समान दृष्टि से देखना। लेकिन साम्प्रदायिकता के आधार पर देश में अल्पसंख्यक व बहुसंख्यकों का वर्गीकरण हुआ, फिर राजनैतिक स्तर पर अल्पसंख्यकों का तुष्टीकरण व बहुसंख्यकों का तिरस्कार, धर्मसापेक्षता को ही फलीभूत करता है। इस प्रकार […]

इलेक्टॉनिक मीडिया को करना होगा आत्मचिंतन

इलेक्टॉनिक मीडिया की समाचार प्रस्तुति में गड़बड़ी कहॉं है? यह सवाल एक अरसे से पूछा जा रहा है और इसके कई-कई जवाब भी सामने आते रहे हैं। मुंबई पर हुए आतंकी हमले के बाद मीडिया एक बार फिर कठघरे में है। सबसे बड़ा आरोप जो मीडिया पर लग रहा है, वह है- अऩुत्तरदायी व्यवहार का। […]

समय की मांग – दृढ़ राजनैतिक इच्छाशक्ति

सीमा पार के देश द्वारा भारत के विरुद्घ छेड़े गए अघोषित युद्घ के रूप में आतंकवादी जब चाहते हैं, जहॉं चाहते हैं, जैसे चाहते हैं, विध्वंसक घटनाओं को अंजाम देकर सैकड़ों लोगों की जीवन लीला समाप्त कर देते हैं एवं सैकड़ों लोगों को घायल कर देते हैं। घटना के पश्र्चात हमारे देश की सरकार एकदम […]

क्रोध से करुणा की ओर – आनन्दमूर्ति गुरु मॉं

भगवान आदि शंकराचार्य कहते हैं – मनोबुद्घहंकार चित्तानि नाहं, न च श्रोत्रजिठे न च घ्राणनेत्रे। न च व्योमभूमिर्न तेजो न वायुः, चिदानन्दरूपः शिवोऽहं शिवोऽहं। न “मैं’ मन हूँ, न “मैं’ बुद्घि हूँ, न “मैं’ अहंकार हूँ, न “मैं’ चित्त हूँ। “मैं’ यह कुछ भी नहीं हूँ। जो “मैं’ हूँ, उसका होश सद्गुरु ने ज्ञान से […]

यज्ञमय जीवन यज्ञ परंपरा – आचार्य श्री किशोर जी व्यास

हम अपनी परम्परा में इतिहास की ओर देखते हैं, पौराणिक परम्परा की ओर देखते हैं अथवा हमारे प्राचीन इतिहास की परम्परा को देखते हैं तो ध्यान में आता है कि भिन्न-भिन्न प्रकारों से हमारी सम्पूर्ण संस्कृति यज्ञमय ही है। भगवान् श्रीराम यज्ञ से ही आविर्भूत हुए। यह कथा इस प्रकार है- महाराज दशरथ महर्षि वसिष्ठजी […]

जेबीटी कार

मुनीष प्राइमरी स्कूल में जेबीटी अध्यापक था। वह जेबीटी अध्यापक केवल इस कार की वजह से बना था। यह कार न होती तो वह जेबीटी अध्यापक नहीं बन सकता था। अब जब वह मास्टर बन चुका है तो भी टैक्सी चलाता है। उसके स्कूल का मुखिया बहुत मेहरबान व्यक्ति है। छुट्टी आसानी से दे देता […]

लघुकथाएँ

स्कूल का पहला दिन था। सभी बच्चे उत्साह के साथ स्कूल पहुँचे। मास्टर जी ने बड़े प्यार से बच्चों का स्वागत किया और उन्हें दालान में बिछी दरियों पर बैठने का इशारा किया। कुछ ही देर बाद बड़े अधिकारी की कार आकर रुकी। मास्टर जी ने लपक कर दरवाजा खोला और मंच की तरफ ले […]

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