भारत में पहली बार सफेद बाघ को मध्य-प्रदेश के रीवां स्थित जंगलों में सन् 1951 में पाया गया। रीवां नरेश मार्तंड सिंह जू देव ने इसे अपनी देखरेख में रखा और इसे नाम दिया मोहन। इसी मोहन के वंशज सफेद बाघ सारी दुनिया में फैले। एक अनुमान के अनुसार अब दुनिया भर में 50 से […]
राजकोट के अलेड हाईस्कूल की घटना है। हाईस्कूल का मुआयना करने आए हुए थे, शिक्षा विभाग के तत्कालीन इंस्पेक्टर जाल्स। नौवीं कक्षा के विद्यार्थियों को उन्होंने श्रुतिलेख (इमला) के रूप में अंग्रे़जी के पॉंच शब्द बोले, जिनमें एक शब्द था, “”केटल।” कक्षा का एक विद्यार्थी मोहनदास इस शब्द के हिज्जे ठीक से नहीं लिख सका। […]
घर में घूमती छिपकलियॉं क्या कम हैं कि वैज्ञानिकों को एक नई मशीनी छिपकली बनाने की जरूरत आन पड़ी है? अमेरिका के रॉबर्ट फुल को छिपकली, गिरगिट और काकरोच पसंद हैं और मार्क कटकोस्की को खास नापसंद भी नहीं। दोनों की जिज्ञासा थी कि किस तरह ये प्राणी खड़ी दीवारों पर आसानी से चढ़ जाते […]
“बाबा, आप मेरे और भैया के बीच संपत्ति का बंटवारा अपनी ़िंजदगी में ही कर देना।’ “क्यों क्या हुआ?’ “कुछ नहीं।’ “फिर यह बंटवारे की बात कहां से आ गयी?’ “दरअसल, मैं बाद में झगड़ा नहीं चाहती।’ “क्यों, क्या भैया से लड़ाई हो गयी?’ “नहीं।’ “फिर क्या बात है?’ “बाबा, देखो न संपत्ति के बंटवारे […]
हमने 29 जुलाई को “मिलाप’ के संपादकीय में इस बात का उल्लेख किया था कि यह सोचना-कहना गलत होगा कि एक अरब से ऊपर की जनसंख्या वाला भारत आतंकवादी हौसले के सामने बेबस, निरीह और कमजोर हो गया है। हमने यह भी कहा था कि कमजोरी देश में नहीं विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा संचालित हो […]
किसी भी राष्ट के विकास में कृषि, खनिज, वन एवं जल संसाधनों की प्रमुख भूमिका रहती है। हमारा देश कृषि प्रधान है परन्तु कृषक यहॉं आत्महत्या करने के लिये मजबूर है। विगत कुछ वर्षों में एक लाख से अधिक किसानों ने आत्महत्या कर ली है। ऐसा क्यों? यह प्रश्र्न्न हमारे मस्तिष्क पटल पर उभरता है। […]
पाकिस्तान जेहादी आतंकवाद की जड़ है, यह सूचना किसी के लिए नई नहीं है। अफगानिस्तान की सीमा से लगा पाकिस्तान का उत्तर-पश्र्चिमी पहाड़ी क्षेत्र तालिबान एवं अल-कायदा के सर्वप्रमुख केन्द्र के रूप में विकसित हो चुका है, यह भी सर्वविदित है। ये शक्तियां स्वयं पाकिस्तान को भी अपने हिंसक हमलों से लगातार बींध रहीं हैं […]
पिछले साठ वर्षों से असम में हर साल बाढ़ का तांडव होता रहा है। 1950 में हुए भयंकर भूकंप की वजह से ब्रह्मपुत्र एवं उसकी सहायक नदियों के स्वरूप में परिवर्तन आ गया और उसके बाद हर साल बाद तबाही मचने लगी। इस तबाही की रोकथाम के लिए सरकार की तरफ से इतने सालों में […]
हम में से प्रत्येक को आस्तिक बनना चाहिए और इसके लिए नित्य नियमित रूप से उपासना की ाम-व्यवस्था दैनिक जीवन में रखनी चाहिए। एक परिपूर्ण व्यक्तित्व के रूप में ईश्र्वर की किसी छवि का ध्यान करें, उसके गुणों का चिंतन करें और उसी में तन्मय हो जाएं, उसे अपने में धारण करने की भावना करें। […]
भारत सनातनी संस्कृति का अनुपालक और आस्थावादी राष्ट है। यहां भूमि, जल, नदियां, वृक्ष, आकाश तथा सूर्य और चंद्र पूजे जाते हैं। यहां आस्था की पराकाष्ठा मूर्तिपूजा में देखने को मिलती है। वैसे तो सनातनी संस्कृति में 36 करोड़ देवता हैं, जिन्हें नित्य पूजा जाता है, बावजूद इसके भी यहां दो प्रमुख अवतार हुए हैं, […]