महाभारत के युद्ध का पन्द्रहवां दिन था। द्रोणाचार्य का वर्चस्व फिर भी पूरे वेग पर था। पाण्डवों को विजय कोसों दूर दिखने लगी। तब श्रीकृष्ण ने सुझाया, “”सेनापति द्रोण का यह प्रण है कि उनके पुत्र अश्र्वत्थामा की मृत्यु होने के बाद वे शस्त्र डाल देंगे। जब वे निःशस्त्र बन जाएँगे, तब उनका काम तमाम […]
विवाह संस्था का मुख्य उद्देश्य मनुष्य के पारिवारिक जीवन को सुव्यवस्थित बनाकर एक सामाजिक सुरक्षा का पर्यावरण प्रदान करना है। विवाह से पूर्व प्रायः प्रत्येक मनुष्य मधुर और सुनहरे सपने देखता है, लेकिन हर विवाह का यथार्थ किसी परी-कथा की तरह सुखान्त नहीं होता। विवाह के कुछ समय पश्र्चात जब जिन्दगी की नंगी वास्तविकताएं सामने […]
हम जानते थे कि ऐसा होने जा रहा है। यह सिर्फ समय की बात थी, जब महिलाएं इस विचार के विरूद्ध खड़ी थीं कि उनका आत्म-मूल्य कॅरिअर पर निर्भर है। प्रतिष्ठित मैनेजमेंट स्कूलों में पढ़ रही महिलाओं ने तो कई साल पहले ही यह कहना शुरू कर दिया था कि कार्पोरेट सीढ़ी पर चढ़ने का […]
सफल और सुखी जीवन के लिए न सिर्फ एक दिन बल्कि साल के सभी दिन वेलेंटाइन-डे के समान होने चाहिए। समाजशास्त्रियों और मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक सफल और सुखी जीवन का एक ही आधार है, प्यार। लेकिन सवाल है कि प्यार की डोर किस तरह मजबूत बनी रहे जिससे हमेशा-हमेशा के लिए वेलेंटाइन-डे वाली अनुभूति बनी […]
बालक-बूढ़े एक स्वभाऊ यह महज कहावत नहीं है बल्कि जीवन की वास्तविकता है। बुढ़ापा वास्तव में जीवन में दोबारा से बचपन का लौटना है। मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक बुढ़ापा सेकेंड चाइल्डहुड स्टेज है। 58-60 साल की उम्र तक बेहद व्यस्त रहने के बाद जब कोई रिटायर होकर घर में रहने लगता है, तो उसे अकेलापन सताता […]
एक जमाना था, जब माता-पिता अपने बच्चों के लिए जीवन-साथी का चयन किया करते थे और बच्चे बिना किसी आपत्ति के उसे स्वीकार करके अपनी पूरी जिंदगी गुजार देते थे। यही नहीं, माता-पिता एक निश्र्चित आदर्श की तलाश में भी रहते थे। अगर तलाश दुल्हन की होती तो वह गोरी, लंबे बालों वाली और इकहरे […]
यह सही है कि अगर दीवारें नहीं हैं तो घर ही मौजूद नहीं होगा। इसी तरह घर भी सुंदर नहीं होगा, अगर उसकी दीवारें सुंदर नहीं हैं। आपके कमरे या घर का मूड, व्यक्तित्व, आकर्षण, शैली और व्यापकता सभी दीवारों से प्रभावित होते हैं। सुंदर दीवारों के लिए पहला कदम है वॉल ट्रीटमेंट : हर […]
लॉंकि आजकल संयुक्त परिवारों का चलन लगभग खत्म हो चुका है, लेकिन शादी के बाद समय-समय पर सास-ससुर से वास्ता तो पड़ता ही रहता है, खासकर शुरूआती वर्षों में। इसलिए अगर आप शादी के बंधन में बंधने जा रही हैं तो इन-लॉज से संबंधित इन लॉज (नियमों) को अच्छी तरह से समझ लें, उन्हें अपने […]
विवाह पूर्व यौन संबंध स्थापित करना, मानव प्रवृत्ति कहें या सामाजिक समस्या, आज की नहीं है बल्कि प्राचीन काल से चली आ रही है। पुराणों तथा महाभारत जैसे ग्रंथों में भी कई गाथाएँ ऐसे ही संबंधों पर आधारित हैं। आखिर क्यूँ होता है ऐसा? अगर सेक्स दो शरीरों का मिलन है और नैसर्गिक रूप से […]
कुत्ते पालने का शौक बहुत लोगों को है। लेकिन पूर्ण जानकारी, ज़ाहिर है इसी संदर्भ में, कम ही लोगों को है। मसलन, कुत्ते की नाक अगर गर्म व सूखी हुई है, तो समझ लिया जाता है कि उसे बुखार है। यह गलत है। अगर रेक्टल (गुदा) तापमान 102 डिग्री फेरनहाईट से अधिक है तभी बुखार […]