इस मनुष्य-सृष्टि के पार, सूर्य और तारागण के पार, आकाश तत्व के भी पार एक और लोक है, जहॉं ब्रह्मा, विष्णु और शंकर अपनी-अपनी सूक्ष्म पुरियों में वास करते हैं। इस लोक को “सूक्ष्म लोक’ अथवा “आकारी देवताओं की दुनिया’ भी कहते हैं, क्योंकि यहां जो देवता वास करते हैं, उनके हमारी तरह कोई स्थूल अर्थात् हड्डी-मांसादि के शरीर नहीं हैं बल्कि उनकी सूक्ष्म, प्रकाशमय काया है, जो कि इन स्थूल नेत्रों से नहीं देखी जा सकती है। उस लोक को दिव्य-चक्षु द्वारा ही देखा जा सकता है। उस लोक में मनुष्य-लोक की तरह जन्म-मरण या दुःख नहीं होता, न ही वहां वचन या ध्वनि होती है। वहॉं बोलते तो हैं, परन्तु आवाज नहीं होती। अतः वहां केवल गति है अर्थात् केवल मूवी वर्ल्ड है, वहां आवाज नहीं है।
– ब्रह्मकुमारी
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