आज भी हमारे देश में करीब 40 लाख बच्चे प्रति वर्ष दस्त रोग से अकाल मृत्यु को प्राप्त होते हैं। दस्तों से मृत्यु का कारण शरीर में पानी की कमी का होना है। आज हमारे पास इस रोग से रक्षा के सरल एवं सटीक उपाय उपलब्ध हैं। जरूरत है तो केवल आम जनता को इस विषय में जानने की और इसका सही तरह से सही समय पर प्रयोग करने की।
दस्त रोग क्यों होता है
दस्त रोग शरीर में विभिन्नि स्रोतों से कीटाणुओं के प्रवेश के कारण होता है।
- बोतल से दूध पिलाने से।
- गंदा पानी पीने से (नदी, बिना ढक्कन के कुएँ, बावड़ी, बिना ढके मटके आदि का पानी)।
- बासी एवं बिना ढका हुआ भोजन खाने से।
- खोमचे वालों से चाट-पकौ़डी आदि खाने से- जो खाद्य वस्तुओं को ढककर नहीं रखते।
- गंदे हाथों से भोजन करने से।
- बढ़े हुए नाखून रखने से।
- जंगल अथवा घर के बाहर शौच करने से।
पानी की कमी के चिह्न
- अधिक प्यास लगना।
- चमड़ी का ढीला पड़ना।
- आँखें अंदर धॅंसना।
- जिठा का सूखना।
- पेशाब की मात्रा कम होना।
- तालू का बैठना।
- नाड़ी कमजोर पड़ना एवं उसकी गति का बढ़ना।
- बेहोशी छाना।
दस्त लगते ही क्या करना चाहिए – दस्त में मृत्यु का कारण है शरीर में पानी की कमी। दस्त लगते ही रोगी को दही, छाछ, चावल का मांड, पानी, नारियल का पानी, हल्की चाय, नींबू पानी इत्यादि तुरंत दें। ऐसा करने से शरीर में पानी की कमी की आपूर्ति हो सकती है।
जीवन जल क्या है? – दस्तों से शरीर में पानी की एवं लवण की कमी आ जाती है, इसकी पूर्ति के लिए घर में नमक-चीनी का घोल बनाया जा सकता है जिसे जीवन जल कहते हैं। एक गिलास स्वच्छ जल औसतन 200 मि.ली. में एक चुटकी भर नमक मिलाएं, उसे चख कर देखें- स्वाद आँसुओं की तरह होना चाहिए। यदि नहीं, तो थोड़ा-सा नमक और डालें, यदि नमकीन ज्यादा है तो नया घोल बनाएँ। इसके बाद चम्मच भर चीनी डालें। (चीनी के स्थान पर गुड़ या खाण्डसारी ले सकते हैं) और अच्छी तरह मिला लें। हर पतले दस्त के बाद रोगी को यह पिलाएँ- छोटे बच्चों को आधा गिलास एवं बड़ों को एक गिलास।
खतरे के चिह्न
- यदि रोगी को बुखार 101 डिग्री या अधिक है। यदि उल्टी-दस्त में खून एवं एवं आँव है।
- यदि रोगी ने पिछले 4-5 घंटे में पेशाब नहीं किया है।
- पेट फूलने लगे।
- शरीर में अकड़न आने लगे।
- रोगी की सांस की गति तेज हो और सांस लेने में तकलीफ हो।
- दस्त को दो दिन से अधिक हो गए हों।
रोकथाम – इसके लिए पॉंच नियम हैं
- अपने बच्चे को अधिक से अधिक स्तनपान कराएँ। बोतल से दूध पिलाना जानलेवा हो सकता है।
- पीने का पानी ट्यूबवेल, पंप अथवा अन्य साफ स्रोत (नल) इत्यादि से लें।
- शौच के बाद हाथ साबुन से अवश्य धोएँ।
- गंदगी, मिट्टी एवं मक्खियों को दूर रखने का प्रयत्न करें। समस्त खाने की चीजों और पीने के पानी को ढंक कर रखें। कच्चे फल एवं सब्जियों को खाने से पहले अच्छी तरह पानी से धोएँ।
- बच्चों को कुछ खिलाने-पिलाने से पहले और खाना पकाने के समय अपने हाथ अच्छी तरह साबुन से धोएँ तथा नाखून छोटे रखें।
दवाइयॉं – आम तौर से किसी भी दवाई की आवश्यकता नहीं होती है। यदि दस्त में खून एवं आंव हो, बच्चों को बुखार हो अथवा दूध की तरह दस्त हों तो अपने डॉक्टर की राय अनुसार दवाई लें।
जीवन जल – ओरल रिहाईड्रेशन थैरपी एक पैकेट 200 मिली पानी में मिलाएँ और बार-बार पिलाएँ। एक गिलास समाप्त होने पर फिर बनाकर पिलाएँ।
उल्टी रोकने हेतु – साधारणतः कोई दवा नहीं / कभी-कभी डॉक्टरी राय से दवाई दें (डोमफास्ट इत्यादि)।
– डॉ. अविनाश बंसल
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