नियतें ठीक नहीं खुद को बचाकर रखना
आज के दौर में हर कोई है सहमा-सहमा
दिल मिले या न मिले हाथ मिलाकर रखना
बेवफा व़क्त है कब जाने दगा दे जाए
आज के काम को कल पर न उठाकर रखना
भटक न पाए कोई रास्ता चलते-चलते
घर की दहलीज पे कंदील जला कर रखना
दोस्ती भूल के नादान से करना न कभी
नादान दुश्मन हो तो हर राज़ छुपा कर रखना
काम आ जाए किसी व़क्त निशानी अपने
घर में तस्वीर भी पुरखों की लगा कर रखना
ख्याल इतना लतीफ़ “आरजू’ रहे हर दम।
राह चलना हो तो नजरों को झुका कर रखना
You must be logged in to post a comment Login