त्यौहार क्या है ?
त्यौहार सभी मनाते हैं, लेकिन सबके मनाने का तरीका अलग-अलग होता है । हमारें जीवन में त्यौहारों का विशेष महत्व है । हमारा नव वर्ष चैत्र सुदी 1 से शुरू होता है अतः हमारे त्यौहारों की शुरुआत हम चैत्र महीने से कर रहे हैं ।
चैत्र मास
वैसाख मास
ज्येष्ठ (जेठ) मास
जेठ सुदी दशम के दिन गंगा दशहरा होता है। अगर हरिद्वार वगेरह गये हुवे रहते है तो गंगा जी की पूजा करते है।
जेठ सुदी ग्यारस को निर्जला ग्यारस आती है इस दिन कोई निर्जल व्रत करते है, कोई थोडा पलाहार करते है कोई पुरा फलाहार करते है अपनी-अपनी शक्ति।
पानी का दान सर्वोत्तम माना जाता है। मटकी मे पानीभरकर उपर चालनी, शक्कर, आम दान मेंदेते है।
जेष्ठ महिने में जेठुती को खाना खिलवाने का व कपड्े देने का विशेष धर्म है। हमारे पुराणी में कहा गया है, (सात नणद जिमाई, एक जेठुती आगंण आई)
आषाढ़ मास
चतुरमास में चार महिने एक समय भोजन करते है, श्रावण महिने में हरी सब्जीयां नहीं खाते है, भादवे में दही नहीं खाते है, आसोज में दूध नहीं पीते है, कार्तिक में घी नहीं खाते है या एक धान खाते है, जैसी जिसकी शक्ति पराया अन्न-पानी नहीं लेते है। कार्तिक सुदी ग्यारस को चतुरमास पुर्ण होता है। अगर उद्यापन करवाना चाहते है तो पण्डितजी को बुलाकर विधिवत उद्यापन करवा लेवें, जैसी शक्ति वैसी भक्ति।
गुरु पुर्णिमा :- आषाढ़ सुदी पुर्णिमा को गुरु पुर्णिमा कहते हैं। प्रातः बेला मन्दिर में जाकर गुरुजी की पूजा व आरती करते है।
श्रावण मास
श्रावण महिने के सोमवार को शंकर भगवान की पूजा करके, एक समय भोजन करने का विशेष महत्व है। शंकर भगवान को कच्चा दूध, धतुरा चढाना चाहिए कुमकुम नहीं चढानमा चाहिए साबूत अक्षत चढाने चाहिए टुटे हुवे चावल शंकर भगवान को नही चढते है। सवा लाख साबुत चावल श्रावण महिने में शंकर भगवान को चढाने का विशेष महत्व है। इससे लक्ष्मी की वृद्धि होती है।
भाद्रपद (भादवा) मास
अश्विन (आसोज) मास
कार्तिक मास
- शरद पुर्णिमा
- करवा चोथ
- धन तेरस
- रूप चौदस
- दिपावली
- गोवर्धन पूजन
- भाई दूज
- गोपाष्टमी
- आवला नवमी
- देव उठनी ग्यारस
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